
“बाबा साहब आंबेडकर को संस्कृत का ज्ञान नहीं था ? रामभद्राचार्यजी को मनुस्मृति को स्थापित करने में क्यों लगे है ?
तीसरा पक्ष ब्यूरो :जगद्गुरु रामभद्राचार्य ने हाल ही में एक बयान दिया है जो विवादास्पद मानी जा रही है। यह बयान बहन मायावती और बाबा साहेब डॉ. भीमराव आंबेडकर के बारे में है। हाल ही में, जगद्गुरु रामभद्राचार्य ने मायावती और बाबासाहेब भीमराव अम्बेडकर को लेकर एक विवादित बयान दिया, जिसने राजनीतिक और सामाजिक हलकों में चर्चा को जन्म दिया है। यह बयान 22 मार्च 2025 को चित्रकूट में आयोजित एक संगोष्ठी के दौरान भारतीय न्याय संहिता 2023 पर उनके संबोधन के समय सामने आया।
रामभद्राचार्य ने कहा कि मायावती ने मनुस्मृति को गाली देना शुरू किया, लेकिन उन्हें मनुस्मृति का एक अक्षर भी नहीं पता। उन्होंने यह भी टिप्पणी की कि मायावती को “बहन” कहने में उन्हें संकोच होता है। इसके साथ ही, उन्होंने बाबासाहेब अम्बेडकर पर टिप्पणी करते हुए कहा कि अगर अम्बेडकर को संस्कृत का ज्ञान होता, तो वे मनुस्मृति को जलाने का प्रयास नहीं करते। उनका दावा था कि मनुस्मृति में राष्ट्र के खिलाफ एक अक्षर भी नहीं लिखा गया है और यह कि भगवान राम ने भी मनु के आधार पर न्याय किया था।
इस बयान के बाद मायावती की ओर से अभी तक कोई आधिकारिक प्रतिक्रिया सामने नहीं आई है, लेकिन यह बयान बहुजन समाज पार्टी (बसपा) और उनके समर्थकों के बीच नाराजगी पैदा कर सकता है, क्योंकि मायावती और अम्बेडकर दोनों ही दलित समुदाय के लिए प्रतीक माने जाते हैं। दूसरी ओर, रामभद्राचार्य के इस बयान को कुछ लोग उनके धार्मिक और सांस्कृतिक दृष्टिकोण के रूप में देख सकते हैं, जो मनुस्मृति और प्राचीन भारतीय परंपराओं के प्रति उनके सम्मान को दर्शाता है।
यह बयान संवेदनशील मुद्दों को छूता है, खासकर अम्बेडकर के मनुस्मृति विरोध और मायावती के दलित आंदोलन से जुड़े योगदान को लेकर। इसकी वजह से यह न केवल राजनीतिक बहस का विषय बन सकता है, बल्कि सामाजिक तनाव को भी बढ़ा सकता है।
वैसे आपको क्या लगता है जगद्गुरु रामभद्राचार्य का यह बयान मनुस्मृति को भारत के न्याय व्यवस्था में फिर से स्थापित करने की है ?

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