रेवंत रेड्डी ने सुप्रीम कोर्ट के फैसले को लागु कर भाजपा शासित राज्यों का राह आसान कर दिया है ?
तीसरा पक्ष डेस्क,हैदराबाद : तेलंगाना सरकार ने 14 अप्रैल 2025, सोमवार को अनुसूचित जाति (एससी) उप-वर्गीकरण को लागु करने वाला एक ऐतिहासिक सरकारी आदेश (जीओ) जारी किया है. इसके साथ ही ,सुप्रीम कोर्ट के फैसले को लागु करने वाला तेलंगाना देश का पहला राज्य बन गया है. यह कदम डॉ. बी.आर. अंबेडकर की 135वीं जयंती के ऐतिहासिक अवसर पर उठाया गया, जब पूरा समाज बाबा साहेब की जयंती पूरी एकजुटता के साथ मना रही थी. हलाकि, सरकार के फैसले को सामाजिक न्याय की दिशा में एक क्रांतिकारी कदम माना जा रहा है. अब कहा तो यह जा रहा है, कि रेवंत रेड्डी की सरकार ने इसे लागु कर भाजपा शासित राज्यों की राह आसान कर दिया है.
अनुसूचित जाति के 15% आरक्षण को कितने समूहों में बांटा गया ?
तेलंगाना सरकार द्वारा अनुसूचित जाति के 15% आरक्षण को तीन समूहों में बांटा गया है .तेलंगाना विधानसभा ने मार्च 2024 में अनुसूचित जाति (आरक्षण का युक्तिकरण) अधिनियम, 2025 पारित किया था, जिसे 8 अप्रैल को राज्यपाल जिष्णु देव वर्मा की मंजूरी मिली. इस अधिनियम के तहत, 59 अनुसूचित जाति उप-जातियों को उनकी सामाजिक-आर्थिक स्थिति और जनसंख्या के आधार पर तीन समूहों में वर्गीकृत किया गया है.

मुख्यमंत्री ए. रेवंत रेड्डी ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ‘X’ पर लिखा, “डॉ. अंबेडकर की जयंती के शुभ अवसर पर, तेलंगाना सरकार ने एससी उप-जातियों के वर्गीकरण की मांग को पूरा करते हुए सामाजिक न्याय का एक महान कार्य लागू किया.”
तीन समूहों में बांटा गया 15% आरक्षण
- समूह-I: 15 अति-पिछड़ी उप-जातियों को 1% आरक्षण. इसमें चंडाला, पकी, रेल्ली, डोम और अन्य शामिल हैं.
- समूह-II: 18 मध्यम रूप से लाभान्वित उप-जातियों को 9% आरक्षण. इसमें चमार, मडिगा, सिंधोला, मटंगी आदि शामिल हैं.
- समूह-III: 26 अपेक्षाकृत अधिक लाभान्वित उप-जातियों को 5% आरक्षण. इसमें माला, अधि आंध्र, पंचमा और अन्य शामिल हैं.
यह वर्गीकरण सरकारी नौकरियों और शैक्षिक संस्थानों में प्रवेश के लिए 15% एससी आरक्षण को और अधिक समान रूप से वितरित करने के लिए किया गया है.
सुप्रीम कोर्ट के फैसले का पालन
1 अगस्त 2024 को सुप्रीम कोर्ट की सात-न्यायाधीशों की पीठ ने अनुसूचित जातियों और जनजातियों के भीतर उप-वर्गीकरण की संवैधानिकता को बरकरार रखा था. इसके बाद तेलंगाना सरकार ने त्वरित कार्रवाई करते हुए अक्टूबर 2024 में रिटायर्ड हाई कोर्ट के जस्टिस शमीम अख्तर की अध्यक्षता में एक आयोग गठित किया. आयोग ने 59 उप-जातियों को तीन समूहों में बांटने की सिफारिश की, जिसे फरवरी 2025 में विधानसभा ने स्वीकार कर लिया.
मडिगा समुदाय के लिए ऐतिहासिक जीत
रेवंत रेड्डी सरकार के इस कदम को विशेष रूप से मडिगा समुदाय के लिए एक बड़ी जीत माना जा रहा है, जो 30 वर्षों से उप-वर्गीकरण की मांग कर रहा था. मडिगा रिजर्वेशन पोराट्टा समिति के अध्यक्ष मंदा कृष्ण मडिगा ने इस निर्णय का स्वागत किया है.
स्वास्थ्य मंत्री सी. दामोदर राजनरसिम्हा ने कहा कि 59 में से 33 उप-जातियां अपने पिछले समूह में ही रहेंगी, जबकि केवल 26 उप-जातियों (3.43% एससी आबादी) को नए समूहों में स्थानांतरित किया गया है.
तेलंगाना सरकार की भविष्य की योजनाएं
सरकार ने यह भी घोषणा की है कि यदि किसी समूह में योग्य एससी उम्मीदवार उपलब्ध नहीं होते हैं, तो रिक्तियां अन्य समुदायों से नहीं भरी जाएंगी, बल्कि इन्हें आगे बढ़ाया जाएगा. इसके अलावा, महिलाओं के लिए एक-तिहाई आरक्षण मौजूदा नियमों के अनुसार लागू रहेगा.
आखिर में, तेलंगाना सरकार का यह कदम यदि सामाजिक समावेशन को बढ़ावा देती है , तो अन्य राज्यों के लिए भी एक मिसाल कायम करेगा. अब आगे यह देखना होगा कि सरकार यह नीति सबसे अधिक हाशिए पर रहने वाले समुदायों को भी आरक्षण का उचित लाभ कितना दिला पाती है ?

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