आइसा की मांग: नौशाद आलम का निलंबन बिना शर्त वापस लिया जाए
आरोपित कुलसचिव को बर्खास्त करो, उच्च स्तरीय जांच और गिरफ्तारी की मांग
तीसरा पक्ष ब्यूरो : 24 अप्रैल 2025 को आइसा ने मौलाना मजहरुल हक अरबी व फारसी विश्वविद्यालय के कुलसचिव व सहायक प्रो. नौशाद आलम के निलंबन के खिलाफ एकदिवसीय विरोध प्रदर्शन किया और उन्होंने कहा की मौलाना मजहरुल हक अरबी व फारसी विश्वविद्यालय प्रशासन का छात्र-विरोधी और अलोकतांत्रिक रवैया स्पष्ट रूप से सामने आया. इसके विरोध में आइसा ने 20 सूत्री मांगों के साथ मुख्य द्वार पर एक सभा का आयोजन किया, जिसका संचालन आइसा नेता ऋषि कुमार ने किया.

विश्वविद्यालय प्रशासन का तानाशाही रवैया असहनीय हो चुका है: प्रीति कुमारी
आइसा की राज्य अध्यक्ष प्रीति कुमारी ने कहा कि विश्वविद्यालय प्रशासन का तानाशाही रवैया असहनीय हो चुका है. उन्होंने बताया कि एक छात्रा होने के बावजूद उन्हें परिसर में प्रवेश करने से रोका गया. यह प्रशासन की असंवेदनशीलता और कुलसचिव कामेश कुमार की तानाशाही को दर्शाता है. प्रीति ने आरोप लगाया कि कुलपति के संरक्षण में कुलसचिव द्वारा भ्रष्टाचार को बढ़ावा दिया जा रहा है.
आइसा ने मांग की कि भ्रष्ट कुलसचिव को तत्काल बर्खास्त किया जाए और उनके खिलाफ उच्च स्तरीय जांच शुरू की जाए. संगठन ने स्पष्ट किया कि जब तक उनकी मांगें पूरी नहीं होतीं, तब तक उनका आंदोलन जारी रहेगा.
कुलसचिव के खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई होनी चाहिए :सबीर कुमार
आइसा के राज्य सचिव सबीर कुमार ने कहा कि मौलाना मजहरुल हक अरबी व फारसी विश्वविद्यालय के कुलसचिव कामेश कुमार के खिलाफ सीएजी ने 2017-22 के कार्यकाल के लिए पहले ही अपनी रिपोर्ट सौंपी थी, जिसमें उच्च स्तरीय जांच के आदेश दिए गए थे. हालांकि, उन आदेशों का क्या हुआ, यह किसी को नहीं पता.कुलसचिव की मनमानी के चलते अंग्रेजी विभाग के सहायक प्रोफेसर नौशाद आलम को निलंबित कर दिया गया, क्योंकि उन्होंने विश्वविद्यालय की दो मंजिलों को निजी संस्था को बेचने का विरोध किया था.
इस मामले में यह भी सामने आया कि विश्वविद्यालय प्रशासन ने राजभवन को गुमराह किया है, जो जांच का विषय है. साथ ही, उर्दू में जवाब देने पर विकास अधिकारी इनाम जफर का वेतन रोक लिया गया और उन्हें रोजाना विभिन्न तरीकों से प्रताड़ित किया जा रहा है.सबीर कुमार ने कहा कि कुलसचिव के खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई होनी चाहिए थी, लेकिन कुलपति उनका संरक्षण कर रहे हैं.
उन्होंने आगे बताया कि छात्रों और शोधार्थियों के लिए विश्वविद्यालय में प्रयोगशाला, लैब-स्टूडियो, नई किताबें जैसी कोई सुविधा उपलब्ध नहीं है। कुलसचिव ने अपने दो कार्यकालों में कई सामग्रियों की खरीद की, जिसमें गंभीर वित्तीय अनियमितताएं हुई हैं। सभा को समाजवादी छात्र सभा के अध्यक्ष सूरज यादव ने भी संबोधित किया, जिसमें उन्होंने इन मुद्दों पर कड़ा विरोध जताया.
सीएजी की रिपोर्ट में मौलाना मजहरुल हक अरबी व फारसी विश्वविद्यालय को सत्र 2017-22 के दौरान आर्थिक अपराधों के लिए चिह्नित किया गया था. इसके बावजूद, आरोपित कुलसचिव के खिलाफ अब तक कोई उच्च स्तरीय जांच नहीं की गई है. उनका कार्यकाल नौ महीने पहले समाप्त हो चुका है, फिर भी वे अपने पद पर बने हुए हैं. गैर-शैक्षणिक कर्मचारियों और अधिकारियों को मार्च का वेतन दे दिया गया, लेकिन शिक्षकों को जानबूझकर परेशान करने के लिए उनका वेतन रोक लिया गया.
कुलसचिव अपने गलत कार्यों का विरोध करने वालों को निशाना बनाकर प्रताड़ित करते हैं। उन्होंने विश्वविद्यालय परिसर को तानाशाही का अड्डा बना दिया है और कई मौकों पर बिहार सरकार के नियमों की अवहेलना की है.इसके खिलाफ आगामी दिनों में विश्वविद्यालय की छात्र-विरोधी, कर्मचारी-विरोधी और शिक्षक-विरोधी नीतियों के विरुद्ध निर्णायक आंदोलन को और तेज किया जाएगा.
इस विरोध प्रदर्शन में आइसा नेताओं जानवी, आसना, विश्वविद्यालय समन्वय सदस्य गोलू, रौनक, मनीष, फहद, धर्मेंद्र, धर्मेंद्र कुमार यादव, दीपक कुमार यादव, अभिषेक कुमार, गौतम कुमार, सुधांशु कुमार, किट्टू उर्फ एसके सम्राट साथ साथ दर्जनों आइसा सदस्यों के सक्रिय भागीदारी रही.

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