
बोधगया टेम्पल एक्ट 1949 (BT Act 1949) बिहार सरकार रद्द करेगी ?
तीसरा पक्ष ब्यूरो,पटना : बिहार की बोधगया स्थित गौतम बुद्ध की ज्ञान स्थली पर महाबोधि महाविहार मुक्ति आंदोलन जारी है। आज की तारीख, 23 मार्च 2025 तक, यह आंदोलन बिहार के बोधगया में महाबोधि मंदिर को गैर-बौद्ध नियंत्रण से मुक्त करने और इसका प्रबंधन पूरी तरह बौद्ध समुदाय को सौंपने की मांग को लेकर चल रहा है। यह आंदोलन 12 फरवरी 2025 से शुरू हुआ था और इसके तहत बौद्ध भिक्षु और अनुयायी अनिश्चितकालीन भूख हड़ताल और विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं। हाल के समाचारों और सोशल मीडिया अपडेट्स के अनुसार, यह आंदोलन अब तक 40 दिनों से अधिक समय से चल रहा है और देश-विदेश में बौद्ध समुदाय से इसे समर्थन मिल रहा है।
हालांकि, बिहार पुलिस ने कुछ प्रदर्शनकारियों को जबरन हटाने की कोशिश की थी, लेकिन आंदोलन ने राष्ट्रव्यापी रूप ले लिया है। 3 मार्च 2025 को विभिन्न जिलों में जिलाधिकारियों के माध्यम से राष्ट्रपति को ज्ञापन सौंपने की योजना भी बनाई गई थी। इस आंदोलन की मुख्य मांग बोधगया टेम्पल एक्ट 1949 को रद्द करना और मंदिर का नियंत्रण बौद्धों को देना है। अभी तक सरकार की ओर से कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया है, और आंदोलन जारी है।

महाबोधि महाविहार आंदोलन क्या है ?
महाबोधि महाविहार आंदोलन बौद्ध धर्मालम्बियों द्वारा चलाया जा रहा एकआंदोलन है, जिसका उद्देश्य बिहार के बोधगया में स्थित महाबोधि मंदिर (महाबोधि महाविहार) के प्रबंधन को गैर-बौद्ध नियंत्रण से मुक्त करवाना और इसका पूरा अधिकार बौद्ध समुदाय को सौंपना है। यह मंदिर यूनेस्को विश्व धरोहर स्थल है और बौद्ध धर्म के सबसे पवित्र स्थानों में से एक माना जाता है, क्योंकि यहीं पर भगवान बुद्ध को ज्ञान की प्राप्ति हुई थी।
आंदोलन का कारण और पृष्ठभूमि:
वर्तमान में, महाबोधि मंदिर का प्रबंधन बोधगया मंदिर प्रबंधन समिति (BTMC) के पास है, जो बोधगया टेम्पल एक्ट 1949 के तहत संचालित होती है। इस समिति में नौ सदस्य होते हैं, जिसमें चार बौद्ध और चार हिंदू प्रतिनिधि शामिल होते हैं, और अध्यक्ष के रूप में गया जिले का जिलाधिकारी (जो आमतौर पर हिंदू होता है) होता है। कई बौद्ध संगठनों और अनुयायियों का मानना है कि यह व्यवस्था बौद्धों के धार्मिक अधिकारों का उल्लंघन करती है, क्योंकि एक बौद्ध तीर्थ स्थल का नियंत्रण पूरी तरह बौद्ध समुदाय के पास नहीं है। उनकी मांग है कि मंदिर का प्रबंधन केवल बौद्धों को सौंपा जाए, जैसा कि अन्य धर्मों के प्रमुख तीर्थ स्थलों (जैसे हिंदू मंदिरों या सिख गुरुद्वारों) के मामले में होता है।
आंदोलन की शुरुआत , गतिविधियाँ और मांगें:–
यह आंदोलन 12 फरवरी 2025 को शुरू हुआ, जब बौद्ध भिक्षुओं और अनुयायियों ने बोधगया में अनिश्चितकालीन भूख हड़ताल शुरू की। इसके तहत प्रदर्शनकारी बोधगया टेम्पल एक्ट 1949 को रद्द करने और मंदिर का नियंत्रण बौद्ध समुदाय को देने की मांग कर रहे हैं। आंदोलन में शांतिपूर्ण विरोध, प्रार्थना सभाएँ, और ज्ञापन सौंपने जैसे कदम शामिल हैं। 3 मार्च 2025 को देश भर के विभिन्न जिलों में जिलाधिकारियों के माध्यम से राष्ट्रपति को ज्ञापन सौंपने की योजना भी बनाई गई थी।
मांगें:
- बोधगया टेम्पल एक्ट 1949 को रद्द करना।
- महाबोधि मंदिर का प्रबंधन पूरी तरह बौद्ध समुदाय को सौंपना।
- गैर-बौद्ध प्रभाव को समाप्त करना।
वर्तमान स्थिति:
22 मार्च 2025 तक, यह आंदोलन 39 दिनों से अधिक समय से चल रहा है। इसे देश और विदेश में बौद्ध समुदाय से व्यापक समर्थन मिल रहा है। हालांकि, बिहार पुलिस ने कुछ प्रदर्शनकारियों को हटाने की कोशिश की, लेकिन आंदोलन ने राष्ट्रव्यापी रूप ले लिया है। सरकार की ओर से अभी तक कोई ठोस जवाब या कार्रवाई नहीं हुई है, और प्रदर्शनकारी अपनी मांगों पर अड़े हुए हैं।
यह आंदोलन धार्मिक स्वायत्तता और सांस्कृतिक संरक्षण के मुद्दे को उजागर करता है, जो बौद्ध समुदाय के लिए गहरा महत्व रखता है।
महाबोधि महाविहार आंदोलन आगे की योजना क्या है ?
महाबोधि महाविहार आंदोलन, जो बोधगया में महाबोधि मंदिर के प्रबंधन को बौद्ध समुदाय के पूर्ण नियंत्रण में देने की मांग को लेकर चल रहा है, अभी तक कई चरणों में आगे बढ़ चुका है। 22 मार्च 2025 तक, यह आंदोलन अपने तीसरे चरण तक पहुंच गया है, जिसमें राष्ट्रव्यापी विरोध प्रदर्शन शामिल थे। आगे की योजना के बारे में अभी तक कोई आधिकारिक विस्तृत घोषणा नहीं हुई है, लेकिन मौजूदा गतिविधियों और बौद्ध संगठनों के संकल्प को देखते हुए कुछ संभावित दिशाएँ उभर कर सामने आती हैं।
संभावित आगे की योजना:
- चौथे चरण की शुरुआत:
- पिछले चरणों में भूख हड़ताल, विरोध प्रदर्शन, और ज्ञापन सौंपने जैसे कदम उठाए गए हैं। तीसरे चरण के बाद, आंदोलनकारी चौथे चरण की योजना बना सकते हैं, जिसमें बड़े पैमाने पर शांतिपूर्ण रैलियाँ या देशव्यापी ध्यानाकर्षण अभियान शामिल हो सकते हैं।
- यह संभव है कि बौद्ध समुदाय और समर्थक संगठन दिल्ली जैसे प्रमुख शहरों में केंद्र सरकार पर दबाव बढ़ाने के लिए प्रदर्शन करें।
- कानूनी और संवैधानिक लड़ाई:
- आंदोलन की मुख्य मांग बोधगया टेम्पल एक्ट 1949 को रद्द करना है। इसके लिए सुप्रीम कोर्ट या हाई कोर्ट में याचिका दायर करने की रणनीति अपनाई जा सकती है।
- संवैधानिक अधिकारों के तहत धार्मिक स्वतंत्रता और आत्म-प्रबंधन की मांग को मजबूत करने के लिए कानूनी विशेषज्ञों की मदद ली जा सकती है।
- अंतरराष्ट्रीय समर्थन जुटाना:
- विश्व भर के बौद्ध देशों (जैसे श्रीलंका, थाईलैंड, जापान) और संगठनों से समर्थन पहले ही मिल रहा है। आगे की योजना में इसे और बढ़ाया जा सकता है, जिसमें संयुक्त राष्ट्र या यूनेस्को जैसे मंचों पर इस मुद्दे को उठाना शामिल हो सकता है, क्योंकि महाबोधि मंदिर एक विश्व धरोहर स्थल है।
- जागरूकता अभियान:
- सोशल मीडिया और अन्य प्लेटफॉर्म्स पर #महाबोधि_मुक्ति_आंदोलन जैसे हैशटैग के जरिए जागरूकता फैलाई जा रही है। आगे यह अभियान और तेज हो सकता है, जिसमें फिल्में, वृत्तचित्र, या अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन आयोजित किए जा सकते हैं।
- सरकारी वार्ता:
- आंदोलनकारी सरकार के साथ सीधी बातचीत की मांग कर सकते हैं। यदि सरकार कोई समिति गठित करती है, तो उसमें बौद्ध प्रतिनिधियों को शामिल करने की मांग उठ सकती है। यह एक दीर्घकालिक रणनीति हो सकती है।
वर्तमान संकेत:
- 12 मार्च 2025 को वंचित बहुजन आघाडी (VBA) ने महाराष्ट्र में राज्यव्यापी आंदोलन का आह्वान किया था, जो इस मुद्दे को राष्ट्रीय स्तर पर ले जाने का संकेत देता है।
- बौद्ध भिक्षुओं और अनुयायियों का कहना है कि वे तब तक पीछे नहीं हटेंगे, जब तक उनकी मांगें पूरी नहीं होतीं। इससे लगता है कि आंदोलन और उग्र होने की संभावना है।
- 5 अप्रैल 2025 को देश विदेश के विभिन्नय जगहों से बौद्ध धर्मालम्वी और आंबेडकरवादी संगठनों से जुड़े लोगों को बोधगया में जुटने की संभावना हैं।
निष्कर्ष:
हालांकि अभी तक कोई ठोस “आधिकारिक योजना” सार्वजनिक नहीं की गई है, लेकिन आंदोलन का अगला कदम शांतिपूर्ण विरोध को तेज करना, कानूनी कार्रवाई शुरू करना, और अंतरराष्ट्रीय दबाव बनाना हो सकता है। यह सब सरकार की प्रतिक्रिया और आंदोलन के समर्थन की ताकत पर निर्भर करेगा। जैसे ही कोई नई घोषणा होगी, उससे आगे की दिशा स्पष्ट होगी। तब तक यह आंदोलन अपनी गति बनाए रखने के लिए जमीनी और डिजिटल दोनों स्तरों पर सक्रिय रहेगा।

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