बिहार : पटना में मनरेगा मजदूर सभा और खेग्रामस का विधान सभा मार्च,भाकपा माले के अनेक नेता शामिल

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kmSudha

बिहार
 पटना में भाकपा माले ,खेग्रामस और मनरेगा मजदूर सभा के बैनर तले हजारों दलितों, ग्रामीण मजदूरों और मनरेगा मजदूरों काविधानसभा सभा मार्च
पटना में भाकपा माले ,खेग्रामस और मनरेगा मजदूर सभा के बैनर तले हजारों दलितों, ग्रामीण मजदूरों और मनरेगा मजदूरों काविधानसभा सभा मार्च

बिहार से पलायन रोकने और मनरेगा में मजूदरी बढ़ाने का किया मांग,20 मई के देशव्यापी मजदूर हड़ताल का समर्थन की घोषणा !

तीसरा पक्ष ब्यूरोः आज पटना में भाकपा माले ने 24 मार्च 2025 को खेग्रामस और मनरेगा मजदूर सभा के बैनर तले हजारों दलितों, ग्रामीण मजदूरों और मनरेगा मजदूरों ने  एक साथ मिकलर विधानसभा सभा मार्च किया और साथ ही गर्दनीबाग में सभा आयोजितभी किया गया है । इस प्रदर्शन में भाकपा माले का अनेक नेता विधायक शामिल हुए जिसमे महबूब आलम, सत्यदेव राम, वीरेन्द्र प्रसाद गुप्ता, रामबली सिंह यादव, अरुण सिंह आदि नेताओं ने भाग लिया और सभा को संबोधित भी  किया। कार्यक्रम का संचालन खेग्रामस के राज्य सचिव शत्रुघ्न सहनी ने किया, जबकि अध्यक्षता जीवछ पासवान और जितेन्द्र चंद्रवंशी ने संयुक्त रूप से किया ।बाद में प्रदर्शनकारियों ने ग्रामीण विकास मंत्री और राजस्व एवं भूमिसुधार मंत्री को एक मांगपत्र भी सौंपा गया । मंत्री ने प्रतिनिधिमंडल के साथ वार्ता करने का आश्वासन दिया।नेताओं ने अपने संबोधन में कहा कि बिहार में 10 लाख से अधिक मनरेगा मजदूरों की मजदूरी बकाया है। कहीं भी 200 दिन काम नहीं मिलता और मजदूरी की दर भी सबसे कम है। अगर बिहार से पलायन को रोकना है तो मनरेगा में मजदूरी की दर को बढ़ाना होगा। राज्य की बड़ी आबादी वास और आवास की समस्या से जूझ रही है, जबकि सरकार इस विकराल समस्या के प्रति गंभीर नहीं है। सरकार के बजट में भी इस समस्या का कोई समाधान नहीं दिखा।भूमि सुधार की प्रक्रियाओं को उलटकर आज सरकार की बुलडोजर नीति ने लाखों परिवारों को उजाड़ दिया है। राज्य में नई जमींदारी खड़ी हो रही है। यह बिहार के जनोन्मुखी विकास के एजेंडा के साथ सरकार का विश्वासघात है।

बिहार से पलायन रोकने के लिए मनरेगा में मजूदरी बढ़ाओ – धीरेन्द्र झा

प्रदर्शनकारियों का सरकार से बिभिन्न  प्रकार के मांग भी किया जो इस प्रकार है :-

राज्य की 30 प्रतिशत से अधिक आबादी के वास-आवास व पक्का मकान की गारंटी करो।ग्रामीण क्षेत्रों में तमाम किस्म के मजदूरों को कम से कम 15 हजार रु. मासिक मानदेय दो।

सरकार द्वारा वितरित पर्चाधारियों की जमीन पर जो भी मुकदमा चल रहा है, उसे वापस लिया जाए और पर्चाधारियों को दखल देहानी दिलाई जाए। सिकमी बटाईदारों को सरकार पुश्तैनी हक दे।

जो लोग जहां बसे हुए हैं, उन्हें बासगीत पर्चा दिया जाए। सभी अनधिकृत बसावटों का सर्वे कर उसका नियमितीकरण किया जाए। मुसहर भुइयां, डोम, मेहतर, खानाबदोश आदि बस्तियों का प्राथमिकता के आधार पर नियमितीकरण किया जाए। हर पंचायत में भूमिहीनों के लिए आवासीय कॉलोनी बनाई जाए। बिना वैकल्पिक व्यवस्था के विस्थापन पर रोक लगे। सभी भूमिहीनों को 5 डिसमिल जमीन की गारंटी दी जाए।

हदबंदी और भूदान के तहत अर्जित सभी जमीन का वितरण भूमिहीनों के बीच यथाशीघ्र किया जाए।

बंधोपाध्याय आयोग की रिपोर्ट के आलोक में नया बटाईदारी कानून बनाया जाए। बटाईदारों को तमाम सरकारी सुविधाओं का लाभ दिया जाए।

शहरी हदबंदी कानून लागू हो। गांव पंचायतों को नगर पंचायतों में बदलने से दलित व वंचितों के भूमिआधिकार को बहाल किया जाए।

तालाबों, नदियों, झीलों और चौर के संरक्षण के लिए सरकार नया कानून बनाए और भूमाफियाओं पर अंकुश लगाए। दरभंगा के लापता हो रहे तालाबों और ऐतिहासिक तालाबों के भिंडा के अतिक्रमण की जांच कराई जाए।

किसानों के कब्जे में दशकों से मौजूद गैर मजरूआ खास अर्थात मालिक गैर मजरूआ की जमीन का नियमितीकरण किया जाए और इस जमीन के अधिग्रहण का मुआवजा किसानों को दिया जाए। गैर मजरूआ आम की बंदोबस्ती की जांच कराई जाए और अपात्र श्रेणी के नाम हुए बंदोबस्तियों को रद्द किया जाए।

बागमती, सीकरहाना, महानंदा आदि नदियों पर गैर जरूरी तटबंधों के निर्माण पर रोक लगाई जाए। तटबंधों के बीच फंसे हजारों परिवारों के लिए पुनर्वास की व्यवस्था की जाए।

बेतिया राज की जमीन पर बसे लोगों, बस्तियों और बाजारों का नियमितीकरण किया जाए। बेतिया राज की शेष खेती योग्य जमीन को भूमिहीनों और गरीबों के बीच वितरित किया जाए।

सभी प्रकार के मजदूरों को न्यूनतम 15,000 रु. मासिक मानदेय की गारंटी दी जाए।

नेताओं ने 20 मई के अखिल भारतीय हड़ताल को ऐतिहासिक बनाने की अपील की और इसे सफल बनाने के लिए सभी से समर्थन की अपील की।

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