मायावती की ऐलान,बसपा 2023 और 2024 के सभी चुनाव अकेली लड़ेगी
तीसरा पक्ष।। आज बहन मायावती जी की जन्मदिन है। मयावती की जन्म आज ही के दिन अर्थात 15 जनवरी 1956 को नई दिल्ली में एक बेहद साधारण परिवार में हुआ था। उनकी पिता जी डाक घर में एक कर्मचारी थे। उन्होंने राजनीति की शुरुआत मान्यवर कांशीराम जी के कुशल मार्गदर्शन में किया था और अपने कड़े संघर्षो व् मेहनत के बाद एक मजबूत राजनीतिक जमीन तैयार की थी। तब राजनीति में मायावती की उदय को तत्कालीन कांग्रेस के वरिष्ठ नेता एवं पूर्व प्रधान मंत्री पी. वी. नरसिम्हा राव ने लोकतंत्र का चमत्कार बतया था। वह मायावती जो सख्त मिजाज और अंदाज के लिए जानी जाती हैं। भारतीय राजनीतिक इतिहास में उनको पहली दलित महिला मुख्यमंत्री होने का गौरव हासिल है। मान्यवर कांशीराम जी की निर्वाण के बाद बहुजन समाज पार्टी की कमान संभालने वाली भारतीय दलित राजनीति आज भी प्रमुख धुरी मानी जाती है।आज उनकी जन्मदिन पर उनके लाखों चाहने वालो के साथ साथ राजनीति में पक्ष विपक्ष के अनेक गणमान्य लोग उनको बधाई दे रहे है। अतः मायावती जी की जनदिन पर तीसरा पक्ष टीम के तरफ से बहुत बहुत बधाई एवं नववर्ष की हार्दिक शुभकामनाएं !
आज अपने जन्मदि के अवसर पर विपक्षी एकांत को झटका देते हुए मायावती जी ने स्पस्ट कहा की 2023 और 2024 में होने वाली किसी भी चुनावो में किसी भी पार्टी से समझौता व् गठबंधन नहीं करेगीऔर बसपा सभी चुनाव अपने दम पर लड़ेगी। उन्होंने गठबंधन पर सवाल उठाते कहा कि गठबंधन के बाद दलितों और अनुसूचित जातियों का वोट विपक्षी पार्टी को तो मिल जाती है दूसरे पार्टियों का वोट हमें नहीं मिलती है ,जिसके कारण बसपा को कोई फायदा नहीं होता है। आगे उन्होंने ईवीएम पर भी सवाल उठाते हुए कहा कि जब जब बैलेट पेपर से मतदान होता तब तब बसपा का जनाधार बढ़ जाता है ,परन्तु ईवीएम के द्वारा मतदान से बसपा का जनाधा घाट जाता है। हालांकि उनके इस तर्क से बहुत सारे बुद्धिजीवी एवं दलित राजनीति के समझ रखनेवाले सहमत नहीं है। आगे पढ़िए मायावती जी की राजनीतिक कार्य शैली एवं दलित राजनीति की नेतृत्व संकटपर डॉ. विलक्षण रविदास का संक्षिप्त टिप्पणी ।
मायावती जी की राजनीतिक कार्य शैली एवं दलित राजनीति की नेतृत्व संकट पर डॉ. विलक्षण रविदास का संक्षिप्त टिप्पणी
आज बहुजन समाज पार्टी की राष्ट्रीय अध्यक्षा, पूर्व सांसद और यूपी की पूर्व मुख्यमंत्री बहन मायावती जी के 67वें जन्म दिवस पर बहुजन समाज की ओर से उन्हें हार्दिक शुभकामनाएं और बधाई !बहन मायावती जी ने मान्यवर कांशीराम साहब के कदम से कदम मिला कर बहुजन मिशन को आगे बढ़ाते हुए पूरे देश भर के बहुजन समाज के लोगों में राजनीतिक चेतना, सामाजिक संगठनों के प्रति जागरूकता और सम्मान की भूख जगाई थीं। बाबा साहेब डॉ आंबेडकर के बाद यह सबसे बड़ा सामाजिक जागरण का अभियान था।
बहन मायावती जी ने अपने मुख्यमंत्री के कार्यकाल में बहुजन महापुरुषों से सम्बंधित अनेक शिक्षण संस्थानों, मूर्तियों एवं संस्थाओं का निर्माण करवाया और हिन्दी क्षेत्र में बहुजन इतिहास गढ़ने एवं स्थापित करने का महत्वपूर्ण कार्य किया। उनके प्रेरणादायक राजनीतिक संघर्षों एवं उपलब्धियों को देखते हुए हजारों छात्र -छात्राओं, युवाओं और विशेषकर महिलाओं ने राजनीति और बहुजन समाज में परिवर्तन के कार्यों में हिस्सा लेने की रुचि जागृत हुईं थीं।किन्तु यह दुखद है कि जिस समय पूरे देश भर के बहुजन समाज में यह आशा, विश्वास, चेतना और संगठन निर्माण का कार्य बढ़ रहा था तथा बामसेफ और अन्य सामाजिक संगठनों का विकास तेज गति से हो रहा था, ठीक उसी समय बहन जी ने भाजपा से मिल कर सरकार बना लीं और आगे चलकर “बहुजन मिशन” की जगह पर “ब्राह्मणवादी सर्वजन ” के नारे के साथ ही उसके अनुरूप सारे सामाजिक और राजनीतिक कार्यक्रमों की घोषणा कर दीं। मान्यवर कांशीराम साहेब के पुराने सभी साथियों को पार्टी और संगठन से एक- एक कर बाहर निकाला गया था।आज भी वे उसी सर्वजन नीति पर काम कर रही हैं।बहन मायावती जी ने मान्यवर कांशीराम साहब के कदम से कदम मिला कर बहुजन मिशन को आगे बढ़ाते हुए पूरे देश भर के बहुजन समाज के लोगों में राजनीतिक चेतना, सामाजिक संगठनों के प्रति जागरूकता और सम्मान की भूख जगाई थीं। बाबा साहेब डॉ आंबेडकर के बाद यह सबसे बड़ा सामाजिक जागरण का अभियान था।
बहन मायावती जी ने अपने मुख्यमंत्री के कार्यकाल में बहुजन महापुरुषों से सम्बंधित अनेक शिक्षण संस्थानों, मूर्तियों एवं संस्थाओं का निर्माण करवाया और हिन्दी क्षेत्र में बहुजन इतिहास गढ़ने एवं स्थापित करने का महत्वपूर्ण कार्य किया।
उनके प्रेरणादायक राजनीतिक संघर्षों एवं उपलब्धियों को देखते हुए हजारों छात्र -छात्राओं, युवाओं और विशेषकर महिलाओं ने राजनीति और बहुजन समाज में परिवर्तन के कार्यों में हिस्सा लेने की रुचि जागृत हुईं थीं।
बहन मायावती जी की व्यक्तिवाद एवं अवसरवाद की यह चरम अभिव्यक्ति है इन बिन्दुओं में देखी जा सकती हैं
1. बहुजन समाज पार्टी की न तो कोई कार्यकारिणी कमिटी है और न तो वहां कोई राजनीतिक- लोकतांत्रिक संवाद प्रणाली है।ऐसी स्थिति में भाजपा और आरएसएस के द्वारा उत्पन्न की गई वर्तमान चुनौतियों का मुकाबला करने में बहुजन समाज पार्टी विवश और अक्षम साबित हो रही हैं।
2. बहन जी के व्यक्तिगत स्वार्थ, पारिवारिक मोह और मिशन की नीति के प्रति उपेक्षा ने इन विषम परिस्थितियों को और भी गंभीर बना दिया है। उनके द्वारा बहुजन समाज के 85% आबादी अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति, अन्य पिछड़े वर्ग एवं धार्मिक अल्पसंख्यकों की एकजुटता बनाने के कार्यनीति पर विश्वास और कार्य नहीं कर 15% सवर्णों के वोट पाने के लिए ‘सर्वजन’ की नीति अपनायी गयी है। यह नीति बहुजन समाज पार्टी के पतन के लिए ज्यादा जिम्मेदार है।
बहुजन समाज के लोगों के बीच में अभी भी उनके प्रति आशा दिखाई देती हैं, किन्तु आशा के अनुरूप पार्टी का कार्य नहीं होने के कारण लगातार निराशा पैदा हो रही है।
3. अगर हम गंभीरता से विश्लेषण करेंगे तो पायेंगे कि बहन जी ने सिर्फ यूपी को ही भारत समझकर प्रारंभ से लेकर आजतक की राजनीति की हैं। उन्होंने पूरे देश के बहुजन समाज की राजनीति एवं समाज परिवर्तन के बारे में कभी भी सोचा ही नहीं। इसलिए हम पाते हैं कि केवल यूपी के ही नेता ही अन्य प्रदेशों में बहुजन समाज पार्टी के प्रभारी बनाए जाते हैं।
4. प्रत्येक चुनाव में उम्मीदवारों के रूप में पार्टी में वर्षों से काम कर रहे स्थानीय कार्यकर्ताओं को उपेक्षित कर दिया जाता है और बाहरी लोगों को टिकट दे दिया जाता है। इसके कारण पार्टी दिन- प्रतिदिन कमजोर बनती गई है। राष्ट्रीय पार्टी का दर्जा बनाये रखने के लिए वोट प्रतिशत बढ़ाना और बाहरी उम्मीदवारों से पैसे वसूल किए जा सकें , इन्हीं दो लक्ष्यों को पूरा करने के लिए अन्य प्रदेशों में चुनाव लड़ा जाता है,न कि पार्टी के विकास और प्रसार के लिए।
5. राष्ट्रीय स्तर पर बहुजन समाज पार्टी को फैलाए जाने का उनका कोई मिशन ही नहीं है। इसलिए उनके नेतृत्व पर से विश्वास खत्म हो रहा है और पूरे देश में बहुजन समाज के बुद्धिजीवियों एवं छात्र -युवाओं में बौखलाहट और निराशा है। इसलिए हजारों नये नये संगठन बनाए जा रहे हैं।
ऐसी विषम परिस्थिति में हम मूलनिवासी बहुजन समाज के लोग ये आशा कर सकते हैं कि बहन मायावती जी बदलती परिस्थितियों के अनुरूप अपने विचारों और कार्यनीतियों में बदलाव करेंगी और अपनी पार्टी को फिर से सक्षम बनाएंगी एवं फिर से बहुजन समाज का खोया हुआ विश्वास वापस पा सकेंगी। पुनः उनके जन्मदिन पर हार्दिक बधाई और शुभकामनाएं। जय भीम। जय भारत।विलक्षण रविदास

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