तीसरा पक्ष ब्यूरो :न्यूज़ लेख:21 अप्रैल ,बिहार में विधानसभा चुनाव 2025 की तैयारियों के बीच, बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष दिलीप जायसवाल ने कांग्रेस पर तीखा हमला बोला है.उन्होंने दावा किया कि कांग्रेस, राष्ट्रीय जनता दल (राजद) के सामने अपनी स्वतंत्र पहचान खो चुकी है और “राजद का पिछलग्गू” बनकर रह गया है.यह बयान जायसवाल ने 15 अप्रैल 2025 को पटना में एक प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान दिया, जब उनसे दिल्ली में राजद नेता तेजस्वी यादव और कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे की बैठक के बारे में पूछा गया
जायसवाल के बयान का कारण ,बेमेल गठबंधन का आरोप:
जायसवाल ने कहा कि कांग्रेस और राजद का गठबंधन बेमेल है, क्योंकि दोनों पार्टियां एक-दूसरे का कद कम करने की कोशिश में लगा हुआ हैं.उनके मुताबिक, राजद कभी नहीं चाहेगा कि कांग्रेस बिहार में अपना आधार मजबूत करे, जबकि कांग्रेस राजद से बड़ा भाई बनने की इच्छा रखती है. उन्होंने इसे “तराजू पर मेंढक” की संज्ञा दी, जिसमें दोनों एक-दूसरे को नीचे खींचते हैं.
कांग्रेस की कमजोर स्थिति:
जायसवाल ने तंज कसते हुए कहा कि राजद ने कांग्रेस को “झोला ढोने वाली पार्टी” बना दिया है. उन्होंने राहुल गांधी के हालिया बिहार दौरे का जिक्र किया, जहां राहुल ने स्वीकार किया कि बिहार में कांग्रेस ने संगठन को मजबूत करने में कमी छोड़ी. जायसवाल ने इसे कांग्रेस की कमजोरी का सबूत बताया और कहा कि राजद की वजह से कांग्रेस का वजूद बिहार में धीरे-धीरे खत्म हो रहा है.
राजद का दबदबा:
जायसवाल का आरोप है कि महागठबंधन में राजद का दबदबा है, और कांग्रेस को सीट बंटवारे से लेकर रणनीति तक में राजद की शर्तें माननी पड़ती हैं.उन्होंने कहा कि 2020 के विधानसभा चुनाव में भी कांग्रेस को कम सीटें मिलीं, और उसका प्रदर्शन निराशाजनक रहा, जिससे राजद पर उसकी निर्भरता बढ़ गया है.
सियासी रणनीति:
विश्लेषकों का मानना है कि जायसवाल का यह बयान बीजेपी की रणनीति का हिस्सा है, जिसका मकसद महागठबंधन में दरार डालना है. जायसवाल ने सुझाव दिया कि कांग्रेस को अपना सम्मान बचाने के लिए राजद से अलग हो जाना चाहिए.यह बयान गठबंधन के भीतर सीट बंटवारे और नेतृत्व को लेकर चल रही खींचतान को उजागर करता है.
सोशल मीडिया पर प्रतिक्रिया
X पर इस बयान को लेकर मिली-जुली प्रतिक्रियाएं देखने को मिलता है .कुछ यूजर्स ने जायसवाल की बात का समर्थन किया, एक यूजर ने लिखा, “कांग्रेस बिहार में राजद की बैसाखी के बिना कुछ नहीं ” वहीं, कुछ ने इसे बीजेपी की बौखलाहट करार दिया, एक पोस्ट में कहा गया, “बीजेपी को महागठबंधन की एकता से डर लगता है.”
कांग्रेस-राजद का जवाब
कांग्रेस और राजद ने इस बयान को खारिज करते हुए इसे बीजेपी की “विभाजनकारी” रणनीति बताया है.राजद प्रवक्ता चित्तरंजन गगन ने कहा, “बीजेपी बिहार में अपनी नाकामी छिपाने के लिए गठबंधन पर सवाल उठा रही है.” कांग्रेस के एक नेता ने दावा किया कि पार्टी बिहार में अपनी स्थिति मजबूत कर रही है और गठबंधन के साथ मिलकर एनडीए को हराएगी.
निष्कर्ष
दिलीप जायसवाल का “पिछलग्गू” वाला बयान बिहार की सियासत में नया तूफान खड़ा कर सकता है. यह बयान न केवल कांग्रेस की कमजोर स्थिति को उजागर करता है, बल्कि महागठबंधन के भीतर तनाव को भी रेखांकित करता है.2025 के चुनाव में यह देखना दिलचस्प होगा कि क्या कांग्रेस अपनी स्वतंत्र पहचान बना पाएगी, या राजद के साथ गठबंधन में सहयोगी की भूमिका तक सीमित रहेगी.

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