तीसरा पक्ष ब्यूरो: 18 अप्रैल 2025 को राष्ट्रीय जनता दल के राज्य कार्यालय के कर्पूरी सभागार में आयोजित संवाददाता सम्मेलन में राष्ट्रीय मुख्य प्रवक्ता प्रो. मनोज कुमार झा ने पूर्व मंत्री श्री आलोक कुमार मेहता, प्रदेश मुख्य प्रवक्ता श्री शक्ति सिंह यादव, विधान पार्षद कारी मोहम्मद सोहैब, प्रदेश प्रवक्ता एजाज अहमद, अरुण कुमार यादव और प्रमोद कुमार सिन्हा की उपस्थिति में कहा कि माननीय सर्वोच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश की अध्यक्षता वाली तीन सदस्यीय पीठ द्वारा वक्फ संशोधन विधेयक पर उठाया गया कदम एक स्वागतयोग्य और सकारात्मक पहल है.
केंद्र सरकार ने 05 मई, 2025 को होने वाली सुनवाई तक यह आश्वासन दिया है कि वक्फ संशोधन विधेयक में कोई बदलाव नहीं किया जाएगा.माननीय सर्वोच्च न्यायालय ने केंद्र सरकार और अटॉर्नी जनरल को निर्देशित किया है की उठाया गया सभी बिंदुओं पर अपना पक्ष 5 मई, 2025 तक न्यायालय में पेश करें. और कहा की सर्वोच्च न्यायालय का यह पहल एक अस्थायी विराम है.
मैं वक्फ संशोधन विधेयक के मुद्दे पर राष्ट्रीय अध्यक्ष श्री लालू प्रसाद यादव, नेता प्रतिपक्ष श्री तेजस्वी प्रसाद यादव, साथ ही देश और बिहार की जनता का आभार व्यक्त करता हूँ, जिन्होंने साझा विरासत और संवैधानिक व्यवस्था को संरक्षित करने के लिए निरंतर सक्रिय भूमिका निभाई। विशेष रूप से, श्री लालू प्रसाद यादव ने अस्वस्थ होने के बावजूद इस मामले पर अपनी गहरी चिंता को स्पष्ट रूप से प्रदर्शित किया.
यह संघर्ष केवल मुसलमानों का नहीं, बल्कि साझा विरासत को संरक्षित करने और देशवासियों की पहचान को मजबूत करने का है। यही कारण है कि सदन में सभी विपक्षी सदस्यों, जिनमें अधिकांश हिंदू थे, ने इस मुद्दे पर दृढ़ता से अपने विचार रखे. यह लड़ाई देश और इसके संविधान को बचाने के लिए एकजुट होकर लड़ी गई.पहले भी वक्फ संशोधन के मामले सामने आए हैं, लेकिन पहली बार साझा विरासत के खिलाफ वक्फ संशोधन विधेयक प्रस्तुत किया गया, जिसका सभी ने मिलकर कड़ा विरोध किया.
जब केंद्र सरकार ने सदन में वक्फ संशोधन विधेयक पारित कराया, तब नेता प्रतिपक्ष श्री तेजस्वी प्रसाद यादव ने इस मुद्दे पर कानूनी लड़ाई लड़ने की घोषणा की थी. इसके अनुरूप, राष्ट्रीय जनता दल की ओर से चार याचिकाएँ दायर की गईं.माननीय सर्वोच्च न्यायालय ने कुल दस याचिकाओं पर सुनवाई की, जिनमें राष्ट्रीय जनता दल द्वारा दायर एक याचिका भी शामिल थी.
प्रो. मनोज झा ने कहा कि केंद्र सरकार ने सदन में अपने बहुमत के बल पर वक्फ संशोधन विधेयक पारित करा लिया, लेकिन बहुमत का अर्थ यह नहीं कि किसी मुद्दे को जबरदस्ती थोपा जाए. सरकार समन्वय और सहमति के आधार पर चलती है. बहुमत का उपयोग किसी मामले को बुलडोज करने के लिए नहीं, बल्कि समझौते और सहयोग के साथ आगे बढ़ने के लिए होता है. केंद्र सरकार के ऐसे फैसले सामाजिक दूरी को बढ़ाते हैं.वक्फ संशोधन विधेयक को जिस तरह पारित किया गया, वह देश की साझा विरासत और संवैधानिक व्यवस्था को कमजोर करने वाला प्रतीत होता है. केंद्र सरकार को बहुमत के आधार पर देशवासियों को हाशिए पर नहीं धकेलना चाहिए, क्योंकि यह देश और समाज के लिए हानिकारक होगा.
प्रो. मनोज झा ने कहा कि केंद्र सरकार ने अपने उद्योगपति मित्रों को लाभ पहुँचाने के लिए वक्फ संशोधन विधेयक में लिमिटेशन एक्ट को शामिल किया.यह सर्वविदित है कि मुंबई में एक बड़े उद्योगपति, जो यतीमखाना की जमीन पर अपना आवास बनाए हुए हैं, उन्हें फायदा पहुँचाने के लिए यह विधेयक लाया गया, ताकि वक्फ की जमीनें उद्योगपति मित्रों को सौंपकर उन्हें लाभान्वित किया जा सके. बिहार में चल रहे सर्वे में कई लोगों के पास जमीन के दस्तावेज नहीं हैं, फिर भी सरकार इस सर्वे के जरिए उन जमीनों पर कब्जा करने की योजना बना रही है. नीतीश कुमार इस साझा विरासत और असंवैधानिक कार्यों पर चुप्पी साधे हुए हैं, जो चिंताजनक है. ऐसा प्रतीत होता है कि जनता दल (यू) ने सत्ता में बने रहने के लिए भाजपा के विचारों से समझौता कर लिया है.
प्रो. मनोज झा ने कहा कि राष्ट्रीय जनता दल ने वक्फ संशोधन विधेयक के खिलाफ गांधी जी के विचारों के अनुरूप सड़क से लेकर सदन तक अपनी आवाज बुलंद की और बाबा साहब के संविधान के अनुसार कानूनी रूप से चार याचिकाएँ दायर कर न्याय की माँग की.भारत में यदि किसी भी धर्म की आस्था पर आघात होगा, तो राष्ट्रीय जनता दल उसके साथ दृढ़ता से खड़ा रहेगा. भारत की संस्कृति और मिजाज साझा विरासत पर आधारित है.कोई भी हिंदू, मुसलमान, सिख, ईसाई या बौद्ध को एक-दूसरे से अलग नहीं कर सकता, क्योंकि भारत की गंगा-जमुनी तहजीब इसकी पहचान है, और इसे संरक्षित रखने में सभी विश्वास रखते हैं.

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