सांप्रदायिक हिंसा या विभाजन से आतंकवाद खत्म नहीं होगा, समाज में अस्थिरता बढ़ेगी
एकजुट इंडिया गठबंधन बिहार में बढ़ रहा आगे, एनडीए की विदाई तय
तीसरा पक्ष ब्यूरो : पटना 29 अप्रैल 2025 को माले महासचिव का. दीपंकर भट्टाचार्य ने पटना में आयोजित संवाददाता सम्मेलन में प्रधानमंत्री मोदी पर हमला बोलते हुए कहा कि कहा कि प्रधानमंत्री को देश और नागरिकों की सुरक्षा से अधिक चुनाव की चिंता है. इस सम्मेलन में उनके साथ पार्टी के राज्य सचिव कुणाल, धीरेन्द्र झा, केडी यादव, अमर, शशि यादव और संदीप सौरभ भी मौजूद थे.
उन्होंने कहा कि मोदी जी से पूछा जाता था कि देश में आतंकवादी कैसे घुस जाता हैं? वे कहते थे कि जब केंद्र सरकार के नियंत्रण में देश की सीमाएं हैं, तो सुरक्षा में चूक कैसे हो जाता है? यह सवाल आज भी उतना ही प्रासंगिक बना हुआ है.
उनका दूसरा सवाल था कि आतंकवादियों को धन कहां से मिलता है?हाल ही में एनआईए की जांच रिपोर्ट से पता चला है कि गुजरात में 22,000 करोड़ रुपये मूल्य की ड्रग्स जब्त की गई, जिसके तार लश्कर-ए-तैयबा जैसे आतंकी संगठनों से जुड़े हैं.मोदी जी के सवाल का जवाब अब एनआईए के रिपोर्ट ने स्वयं दे दिया है.
मोदी जी दावा करते थे कि देश में सुरक्षा के कमी है. लेकिन आज कश्मीर जैसे संवेदनशील क्षेत्र में, जहां सबसे अधिक सैन्य तैनाती है और कानून-व्यवस्था पूरी तरह केंद्र सरकार के नियंत्रण में है, वहां पहलगाम जैसी बड़ी घटना हो जाता है.7-8 अप्रैल को केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने वहां सुरक्षा स्थिति की समीक्षा की, लेकिन मुख्यमंत्री को इस बैठक से अलग रखा गया. इसके बाद 19 अप्रैल को प्रधानमंत्री का कश्मीर दौरा प्रस्तावित था, जो रद्द कर दिया गया.क्या कोई खास खुफिया जानकारी थी? यदि ऐसी आशंका थी, तो आम नागरिकों के सुरक्षा की जिम्मेदारी और भी गंभीर हो जाती थी. फिर भी, इस पर कोई स्पष्ट जवाब नहीं दिया गया.
सर्वदलीय बैठक बुलाई गई, लेकिन हमें उसमें शामिल नहीं किया गया. यह दर्शाता है कि सरकार राष्ट्रीय सुरक्षा जैसे गंभीर मुद्दे पर व्यापक राजनीतिक चर्चा से बच रही है. यह एक गैर-जिम्मेदाराना रवैया है.
सोशल मीडिया और मुख्यधारा मीडिया में सरकार द्वारा इस मुद्दे का राजनीतिक दुरुपयोग आपत्तिजनक है. पुलवामा हमले के दौरान प्रधानमंत्री शूटिंग में व्यस्त थे.आज भी वे पहले कश्मीर जाने के बजाय सीधे चुनाव प्रचार में व्यस्त हो गये है. सरकार के प्राथमिकता चुनाव है, शासन और सुरक्षा नहीं है.यह रवैया पूरे देश को उचित नहीं लग रहा है.और जब जनता सवाल पूछती है, तो उन्हें जवाब देने के बजाय, सवाल पूछने वालों – जैसे कलाकार नेहा सिंह राठौर – पर मुकदमा दर्ज किया जा रहा है.यह लोकतंत्र के भावना के खिलाफ है.
देशभर में पहलगाम के आड़ में कश्मीरी छात्रों, व्यापारियों और आम नागरिकों पर हो रहे हमलों को हम कड़ी निंदा करते हैं.यह पूरी तरह से गलत है और संविधान के मूल्यों के खिलाफ है. देश के एकता, भाईचारा और सामाजिक समरसता को नुकसान पहुँचाने वाले ऐसी घटनाएं अत्यंत दुर्भाग्यपूर्ण हैं. और भी चिंताजनक बात यह है कि केंद्र सरकार के वरिष्ठ मंत्री पीयूष गोयल खुद देश के जनता के देशभक्ति पर सवाल उठा रहे हैं.
आज देश के भीतर प्रवासी मजदूरों, मुस्लिम समुदाय और अन्य कमजोर वर्गों पर जिस तरह के हमला हो रहा है वह न केवल अन्यायपूर्ण हैं, बल्कि देश के भीतर से कमजोर करते हैं. किसी भी तरह की सांप्रदायिक हिंसा या विभाजन आतंकवाद को समाप्त नहीं करता, बल्कि समाज में अस्थिरता को और बढ़ाता है.
हम पूछना चाहते हैं – अगर आतंकवाद के खिलाफ सख्त कार्रवाई करना है, तो सरकार निर्दोष नागरिकों को क्यों निशाना बना रहा है जो खुद पीड़ित हैं? उन्होंने कहा की भारत और पाकिस्तान के बीच सीमित कानूनी या मानवीय संवाद का सवाल है तो उसपर रोक लगाने से आतंकवाद पर क्या असर पड़ेगा? क्या इससे दोनों देशों के आम नागरिकों के बीच विश्वास और बातचीत के रास्ते और अधिक अवरुद्ध नहीं हो जाएंगे ?हमें आतंकवाद के खिलाफ कठोरता से लड़ना चाहिए, परंतु यह लड़ाई संविधान, न्याय और लोकतंत्र के दायरे में होनी चाहिए, न कि समाज में नफरत और भय फैलाकर.
जेएनयू छात्र संघ परिणाम देश और बिहार के लिए आश्वस्त करने वाला
मोदी सरकार के सत्ता में आने के बाद से जेएनयू को लगातार निशाना बनाया गया है. इस बार का छात्रसंघ चुनाव पहलगाम घटना के बहाने भाजपा द्वारा उन्माद फैलाने की कोशिशों के माहौल में हुआ. साथ ही, इस बार वामपंथी संगठनों के बीच व्यापक एकता भी नहीं बन पाई थी . इसके बावजूद, आइसा-डीएसएफ उम्मीदवारों ने अध्यक्ष, उपाध्यक्ष और महासचिव पद पर जीत हासिल किया है अध्यक्ष पद पर अररिया के नीतीश कुमार और महासचिव पद पर पटना के एक मुस्लिम छात्रा निर्वाचित हुआ. यह जनादेश बिहार और पूरे देश के लिए आश्वस्त करने वाला है।
लोकसभा चुनाव 2024 के बाद हुए विधानसभा चुनावों में बीजेपी ने हरियाणा, महाराष्ट्र और दिल्ली में शानदार प्रदर्शन किया, विशेष रूप से महाराष्ट्र में पार्टी को उल्लेखनीय सफलता मिली.लेकिन झारखंड में लाख कोसिस करने पर भी भाजपा को हर का मुँह देखना था. बिहार, जो भौगोलिक रूप से झारखंड के बिल्कुल नजदीक है और राजनीतिक परिदृश्य भी झारखंड जैसा है, बिहार का चुनाव झारखंड जैसा होगा.इंडिया गठबंधन एकताबद्ध होकर आगे बढ़ रहा है. समन्वय समिति बन गई है. कई और सब कमिटियां बन रही हैं. इंडिया गठबंधन ने 20 मई को ट्रेड यूनियनों और किसान संगठनों के सवालों को लेकर सड़क पर उतरेगा.

I am a blogger and social media influencer. I am engaging to write unbiased real content across topics like politics, technology, and culture. My main motto is to provide thought-provoking news, current affairs, science, technology, and political events from around the world.