तुर्की की बांग्लादेश में बढ़ती गतिविधियां और इस्लामी समूहों को समर्थन भारत के लिए चिंता का विषय बन गया है ?
ढाका, 18 मई 2025: हाल के विभिन्नय समाचार माध्यमों के अनुसार, बांग्लादेश में तुर्की समर्थित एक इस्लामी समूह, जिसे “सल्तनत-ए-बांग्ला” कहा जा रहा है, ने “ग्रेटर बांग्लादेश” का एक विवादास्पद नक्शा जारी किया है. यह नक्शा बांग्लादेश में सक्रिय तुर्की समर्थित इस्लामी समूह ‘सल्तनत-ए-बांग्ला’ द्वारा जारी किया गया है. अब ‘ग्रेटर बांग्लादेश’ का यह नक्सा चर्चा का केंद्र बन गया है। इस नक्शे में भारत के बिहार, झारखंड, पश्चिम बंगाल,ओडिसा और पूर्वोत्तर के कुछ राज्यों को बांग्लादेश का हिस्सा दिखाया गया है, जिससे भारत और बांग्लादेश के बीच तनाव बढ़ गया है. इस घटना ने क्षेत्रीय भू-राजनीति में तुर्की की बढ़ती भूमिका पर भी सवाल उठाए हैं.
क्या है सल्तनत-ए-बांग्ला और इसका उद्देश्य?
दी इकोनॉमिक्स टाइम्स के अनुसार ‘सल्तनत-ए-बांग्ला’ एक कथित इस्लामी संगठन है, जो बांग्लादेश में युवाओं, खासकर कॉलेज छात्रों, को ‘ग्रेटर बांग्लादेश’ का सपना दिखा रहा है. बांग्ला देश में छात्रों और लोगों के बीच संगठन के समर्थक इसे ऐतिहासिक और सांस्कृतिक आधार पर एक विस्तारित बांग्लादेश के रूप में पेश करते हैं. हालांकि, इस नक्शे को भारत ने अपनी संप्रभुता पर हमला माना है और इसे लेकर कड़ा विरोध दर्ज किया है. भारतीय विदेश मंत्रालय ने इसे “अस्वीकार्य और भड़काऊ” करार देते हुए बांग्लादेश सरकार से स्पष्टीकरण मांगा है.
तुर्की की भूमिका: सहयोगी या उकसाने वाला?
सोशल मीडिया और समाचार रिपोर्ट्स के अनुसार, तुर्की का एक गैर-सरकारी संगठन (NGO) इस अभियान को समर्थन दे रहा है. तुर्की की यह गतिविधियां पाकिस्तान के साथ उसके रणनीतिक गठजोड़ की तरह देखी जा रही हैं। हाल के वर्षों में तुर्की ने बांग्लादेश में अपनी उपस्थिति बढ़ाई है, जिसमें मानवीय सहायता, सांस्कृतिक कार्यक्रम और शैक्षिक पहल शामिल हैं. हालांकि, ‘सल्तनत-ए-बांग्ला’ को समर्थन देने की खबरों ने तुर्की की मंशा पर सवाल उठाए हैं.
नई दिल्ली के रक्षा विशेषज्ञों का मानना है कि तुर्की दक्षिण एशिया में अपनी भू-राजनीतिक स्थिति मजबूत करने की कोशिश कर रहा है. तुर्की के राष्ट्रपति रेसेप तईप एर्दोगन पहले भी भारत के खिलाफ बयान दे चुके हैं, खासकर कश्मीर मुद्दे पर. ‘ग्रेटर बांग्लादेश’ का यह नक्शा तुर्की की क्षेत्रीय महत्वाकांक्षाओं का हिस्सा हो सकता है, जिसका उद्देश्य भारत को कमजोर करना और बांग्लादेश में अपनी पैठ बढ़ाना है.
भारत की प्रतिक्रिया और बांग्लादेश का रुख
भारत ने इस मुद्दे को गंभीरता से लिया है और बांग्लादेश के साथ कूटनीतिक बातचीत शुरू की है. बांग्लादेश की अंतरिम सरकार ने इस नक्शे को “अनधिकृत और गैर-जिम्मेदाराना” बताया है, लेकिन तुर्की के प्रभाव को कम करने में उसकी निष्क्रियता पर सवाल उठ रहे हैं. कुछ विश्लेषकों का कहना है कि यह संगठन अल्पसंख्यक समुदायों के खिलाफ तनाव बढ़ाने की कोशिश कर सकता है, जिससे क्षेत्रीय अस्थिरता बढ़ेगी.
क्षेत्रीय प्रभाव और भविष्य
यह विवाद ऐसे समय में सामने आया है, जब भारत और बांग्लादेश के बीच सीमा तनाव और व्यापारिक मुद्दों पर पहले से ही तनातनी चल रही है. तुर्की की कथित भूमिका ने इस मुद्दे को और जटिल बना दिया है. क्षेत्रीय शांति के लिए दोनों देशों को इस मुद्दे पर खुलकर बातचीत करने की जरूरत है. साथ ही, अंतरराष्ट्रीय समुदाय को तुर्की की गतिविधियों पर नजर रखने की आवश्यकता है, ताकि दक्षिण एशिया में अस्थिरता को रोका जा सके.
नोट: इस खबर की सत्यता की पुष्टि के लिए और जानकारी की आवश्यकता हो सकती है, क्योंकि कुछ स्रोतों में यह दावा संदिग्ध बताया गया है.

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