धर्मनिरपेक्षता और सामाजिक न्याय के लिए तेजस्वी की मुहिम तेज
तीसरा पक्ष ब्यूरो पटना, 25 जून :राजनीतिक सरगर्मियों के बीच राष्ट्रीय जनता दल (राजद) ने बुधवार को एक और बड़ा राजनीतिक संदेश देते हुए अपने पटना स्थित राज्य कार्यालय के कर्पूरी सभागार में भव्य मिलन समारोह का आयोजन किया. इस मौके पर सामाजिक न्याय और धर्मनिरपेक्षता की सोच को आगे बढ़ाने वाले दर्जनों नेता और सैकड़ों कार्यकर्ता राजद में शामिल हुए.समारोह की अध्यक्षता प्रदेश अध्यक्ष श्री मंगनी लाल मंडल ने की, जबकि संचालन प्रदेश प्रधान महासचिव श्री रणविजय साहू ने किया.

प्रमुख चेहरे हुए राजद में शामिल
इस अवसर पर नेता प्रतिपक्ष श्री तेजस्वी प्रसाद यादव की उपस्थिति में कई बड़े नामों ने राजद की सदस्यता ग्रहण की.इनमें पूर्व सांसद सह पूर्व मंत्री श्रीमती रेणु कुशवाहा, पूर्व सांसद प्रत्याशी श्री विजय सिंह कुशवाहा, समाजवादी नेता व जाप के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष श्री राघवेन्द्र सिंह कुशवाहा, राजीव रंजन कोईरी, मो. एहतेशामुल हक, सुरेन्द्र सिंह यादव, चितरंजन कुमार, कामेश्वर सिंह कुशवाहा, वाल्मीकि जी समेत सैकड़ों लोग शामिल रहे.

तेजस्वी यादव का संबोधन
नेता प्रतिपक्ष श्री तेजस्वी प्रसाद यादव ने इस अवसर पर कहा कि यह बेहद सुखद है कि आज अनेक लोग राष्ट्रीय जनता दल की सदस्यता लेकर सामाजिक न्याय और धर्मनिरपेक्षता की मजबूत बुनियाद को और सशक्त बनाने के लिए हमारे साथ आए हैं. इससे पार्टी को नई ऊर्जा और मजबूती मिलेगी.राष्ट्रीय जनता दल का उद्देश्य हमेशा से अंतिम पंक्ति में खड़े व्यक्ति को समाज की मुख्यधारा में लाना रहा है. इसी सोच से प्रेरित होकर लोग पार्टी से जुड़ रहे हैं. हमारा प्रयास रहेगा कि सभी बिखरे हुए लोगों को एकजुट कर हम ऐसा बिहार बनाएं, जहां किसी के साथ अपमान या भेदभाव न हो.

तेजस्वी ने उत्तर प्रदेश के इटावा में हुए घटना पर बोले
मैं एक महत्वपूर्ण प्रश्न पूछना चाहता हूँ — क्या दलित, पिछड़े, अतिपिछड़े और आदिवासी समाज के लोगों को केवल कथा “सुनने” का अधिकार है, लेकिन “सुनाने” का नहीं? क्या आध्यात्मिक ज्ञान, धर्म और पुराणों की व्याख्या पर सिर्फ कुछ वर्गों का एकाधिकार है? अगर नहीं, तो फिर ऐसा क्यों होता है कि जब उत्तर प्रदेश के इटावा में एक दलित कथावाचक धार्मिक कथा करता है, तो उसका सिर मुंडवा दिया जाता है, उसे ज़मीन पर नाक रगड़ने को मजबूर किया जाता है, और उसके आत्मसम्मान को कुचलने की कोशिश की जाती है?
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यह केवल एक व्यक्ति का अपमान नहीं है, यह समूचे समाज के उस वर्ग का अपमान है जो सदियों से न्याय और सम्मान के लिए संघर्ष कर रहा है. ऐसे अमानवीय कृत्य न केवल संविधान के मूल्यों के खिलाफ हैं, बल्कि हमारी साझा मानवीय संवेदनाओं को भी ठेस पहुंचाते हैं. आखिर कब तक समाज के कुछ वर्गों को धार्मिक और सांस्कृतिक अभिव्यक्ति से वंचित रखा जाएगा?

क्या धार्मिक कथाओं को केवल सुनने का ही अधिकार है, सुनाने का नहीं?
यह एक गंभीर और चिंतन योग्य प्रश्न है कि आज भी दलित, पिछड़ा, अति-पिछड़ा और आदिवासी समाज के लोगों को धार्मिक कथाएँ सुनने का तो अधिकार है, लेकिन कथावाचक बनने का अधिकार क्यों नहीं मिल रहा? क्या ये समाज केवल श्रोताओं की भूमिका में ही सीमित रहेंगे?
हाल ही में उत्तर प्रदेश के इटावा में जो घटना सामने आई, वह न केवल सामाजिक असमानता की गहरी जड़ें उजागर करती है, बल्कि मानवता को भी झकझोर कर रख देती है. एक दलित कथावाचक को सिर्फ इसलिए अपमानित किया गया, उसका बाल मुंडवा दिया गया, उसे नाक रगड़ने पर मजबूर किया गया क्योंकि उसने धार्मिक कथा वाचन का साहस किया.

यह घटना सवाल उठाती है कि क्या धर्म के क्षेत्र में भी जातिवाद इस कदर हावी है कि एक व्यक्ति की आस्था, ज्ञान और भक्ति को उसकी जाति के आधार पर खारिज कर दिया जाता है? अगर धर्म सबका है, तो फिर धर्म का प्रवचन भी सबका अधिकार क्यों नहीं हो सकता?अब समय आ गया है कि हम ऐसी अमानवीय और असमान सोच का प्रतिकार करें और हर व्यक्ति को, चाहे उसका सामाजिक दर्जा कुछ भी हो, धर्म और ज्ञान के क्षेत्र में समान अवसर दें.
बिहार से दिल्ली तक सामंतवाद को खत्म करने का ऐलान
नेता प्रतिपक्ष श्री तेजस्वी यादव ने अपने संबोधन में स्पष्ट शब्दों में कहा कि बिहार में सामंतवाद की जड़ें हम पहले ही कमजोर कर चुके हैं, अब समय आ गया है कि दिल्ली के सामंतवादी ढांचे को भी जड़ से उखाड़ फेंका जाए. उन्होंने भाजपा और मुख्यमंत्री नीतीश कुमार पर निशाना साधते हुए आरोप लगाया कि दोनों ने मिलकर 65% आरक्षण को संविधान की 9वीं अनुसूची में शामिल नहीं किया, जिससे यह मामला कानूनी पेचीदगियों में फंस गया और इसका नुकसान सीधे तौर पर वंचित, शोषित, पिछड़े, अति पिछड़े, दलित और आदिवासी समुदायों को हुआ. 16% आरक्षण की कटौती इन वर्गों के साथ सीधा अन्याय है.

तेजस्वी यादव ने भ्रष्टाचार पर भी करारा प्रहार करते हुए कहा कि आज की स्थिति यह है कि थाना से लेकर ब्लॉक तक कोई भी काम बिना रिश्वत के नहीं होता.
यह ‘घुसखोरी’ अब बिहार की एक कड़वी परंपरा बन चुकी है, जिसे जड़ से समाप्त करना होगा.
इस मौके पर पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष श्री मंगनी लाल मंडल ने कहा कि आज विभिन्न वर्गों के नेताओं और कार्यकर्ताओं के पार्टी में शामिल होने से राष्ट्रीय जनता दल के संस्थापक श्री लालू प्रसाद यादव की विचारधारा को मजबूती मिलेगी.उन्होंने विश्वास जताया कि आने वाले समय में श्री तेजस्वी यादव के नेतृत्व में बिहार में एक विकासोन्मुख और जनकल्याणकारी सरकार का गठन होगा.

कुशवाहा समाज एक कदम चले, तो मैं चार कदम साथ चलूंगा
कुशवाहा समाज के बड़े नेताओं के दल में शामिल होने पर तेजस्वी ने कहा की अगर कुशवाहा समाज एक कदम आगे बढ़ेगा, तो तेजस्वी चार कदम साथ चलेगा.उन्होंने सबको मिलकर ‘नया बिहार’ बनाने का आह्वान किया.समारोह में राजद के तमाम वरिष्ठ नेता भी मौजूद रहे — पूर्व मंत्री आलोक मेहता, लोकसभा संसदीय दल के नेता अभय कुशवाहा, राज्यसभा सांसद संजय यादव, विधायक बागी कुमार वर्मा, मुख्य प्रवक्ता शक्ति सिंह यादव, प्रवक्ता एजाज अहमद, मधु मंजरी, इकबाल मोहम्मद शमी, प्रमोद सिन्हा, अरविंद कुमार सहनी, प्रदीप मेहता और उपेंद्र चंद्रवंशी सहित कई नेता उपस्थित रहे.
प्रदेश प्रवक्ता एजाज अहमद ने जानकारी दी कि सभी नए सदस्यों को पार्टी की सदस्यता रसीद, फूलों की माला, प्रतीक चिन्ह गमछा, टोपी और ‘गोपालगंज टू रायसीना’ पुस्तक भेंट कर सम्मानित किया गया.
आगे क्या?
राष्ट्रीय जनता दल एक बार फिर सामाजिक न्याय की राजनीति को केंद्र में रखकर आगे बढ़ रही है. तेजस्वी यादव के नेतृत्व में पार्टी नए गठजोड़ और नए चेहरे जोड़कर बिहार की राजनीतिक दिशा को प्रभावित करने की तैयारी में है.

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