क्या चुनाव आयोग गरीबों के वोट काट रहा है?

| BY

Ajit Kumar

बिहार
क्या चुनाव आयोग गरीबों के वोट काट रहा है?

गरीबों के वोट पर साजिश? तेजस्वी ने उठाए सवाल

तीसरा पक्ष ब्यूरो पटना: बिहार में चुनावी सरगर्मी शुरू होने से पहले ही सियासी पारा चढ़ चुका है. इस बार मुद्दा है – मतदाता सूची में विशेष गहन संशोधन.और इसे लेकर सबसे तीखा हमला बोला है राष्ट्रीय जनता दल (RJD) के नेता और पूर्व उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव ने.

तेजस्वी ने सोशल मीडिया प्लेटफ़ॉर्म एक्स पर एक पोस्ट करते हुए आरोप लगाया है कि चुनाव आयोग की यह क़वायद “संदेहास्पद” है और इसे वे सीधे तौर पर “लोकतंत्र की नींव पर हमला” मानते हैं.

तेजस्वी यादव ने क्या कहा?
उनकी पोस्ट में साफ शब्दों में लिखा था:

बिहार चुनाव से पहले चुनाव आयोग द्वारा मतदाता सूची के विशेष गहन संशोधन की क़वायद ना केवल संदेहास्पद बल्कि लोकतंत्र की नींव पर सीधा हमला है. यह गरीबों के वोट काटने की गहरी साजिश है.

तेजस्वी का इशारा साफ है—वो मानते हैं कि यह पूरा प्रोसेस गरीब, दलित, पिछड़े और हाशिए पर मौजूद वर्गों के मताधिकार को कमजोर करने की कोशिश है.

यह भी पढ़े :-तेजस्वी का दिव्यांग विजन: 15 वादों की नई राह

क्या वाकई वोटर लिस्ट में गड़बड़ी हो रही है?

हर चुनाव से पहले मतदाता सूची का पुनरीक्षण एक सामान्य प्रक्रिया है. लेकिन जब यह “विशेष गहन संशोधन” बन जाए, और चुनाव से कुछ ही महीने पहले किया जाए, तो सवाल उठना लाज़मी है. खासकर तब जब किसी एक वर्ग के वोट कटने की आशंका जताई जाए.

कुछ स्थानीय संगठनों और राजनीतिक दलों ने भी इस मुद्दे पर चिंता जताई है, हालांकि चुनाव आयोग की ओर से अभी तक कोई विस्तृत बयान सामने नहीं आया है.

लोकतंत्र की असली कसौटी

तेजस्वी यादव के इस बयान ने एक बड़ा राजनीतिक और नैतिक सवाल खड़ा कर दिया है—क्या लोकतंत्र में वोट देना अब भी हर नागरिक का अधिकार है, या उसे भी सत्ता की रणनीति में तोला जा रहा है?

चुनाव आयोग की निष्पक्षता और पारदर्शिता को लेकर अगर विपक्षी दलों के ऐसे गंभीर आरोप लग रहे हैं, तो यह सिर्फ एक राजनीतिक बहस नहीं, बल्कि लोकतंत्र के भविष्य का सवाल है.

निष्कर्ष

बिहार जैसे राजनीतिक रूप से सजग राज्य में चुनाव महज़ एक प्रक्रिया नहीं, बल्कि जनादेश की परीक्षा है.और अगर उस जनादेश को ही संदेह के घेरे में डालने की कोशिश हो रही है, तो यह सिर्फ चुनाव नहीं, भरोसे का संकट है.

आगामी हफ्तों में यह देखना दिलचस्प होगा कि चुनाव आयोग इस पर क्या प्रतिक्रिया देता है और क्या तेजस्वी यादव अपने इस आरोप को लेकर कोई ठोस सबूत भी सामने लाते हैं.

Trending news

Leave a Comment