पूर्णिया कांड: एक ही परिवार के 5 लोगों को जिंदा जलाया गया

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Ajit Kumar

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बिहार में कानून-व्यवस्था पर सवाल नरसंहारों से दहशत का माहौल

तीसरा पक्ष ब्यूरो पूर्णिया, 8 जुलाई :बिहार एक बार फिर से क्रूरता और प्रशासनिक विफलता की तस्वीर बना हुआ है.पूर्णिया जिले में एक ही परिवार के पाँच लोगों को जिंदा जलाकर मार देने की घटना ने पूरे राज्य को झकझोर कर रख दिया है. अपराध की यह वीभत्सता तब सामने आई है जब बीते कुछ दिनों में बिहार के विभिन्न जिलों से नरसंहार की घटनाएँ लगातार सामने आ रही हैं.

तेजस्वी यादव ने अपने पोस्ट में लिखा की पिछले दिनों सिवान, बक्सर और भोजपुर में भी तीन-तीन लोगों की निर्मम हत्या कर दी गई थी.इन घटनाओं ने साफ कर दिया है कि राज्य में अपराधियों के हौसले बुलंद हैं और प्रशासन पूरी तरह पस्त.

DK टैक्स का प्रभाव:वसूली तंत्र के नीचे दबा सिस्टम ?

सामाजिक और राजनीतिक हलकों में इन घटनाओं को DK टैक्स के बढ़ते प्रभाव से जोड़ा जा रहा है यह एक ऐसा अनौपचारिक शब्द जो भ्रष्टाचार, अवैध वसूली और राजनीतिक संरक्षण के जाल को दर्शाता है. इस टैक्स के जरिए सरकारी मशीनरी को मनमाने ढंग से चलाने का आरोप लग रहा है, जिसके कारण बिहार में अराजकता की स्थिति उत्पन्न हो गई है.पुलिस प्रशासन, खासकर DGP और मुख्य सचिव (CS), इस स्थिति में बेबस दिखाई दे रहे हैं.

मुख्यमंत्री पर विपक्ष के हमले:अपराधी सतर्क, मुख्यमंत्री अचेत

राज्य में बिगड़ती कानून व्यवस्था को लेकर विपक्ष ने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार पर तीखा हमला बोला है. राष्ट्रीय जनता दल (राजद) के वरिष्ठ नेता और पूर्व उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव ने अपने आधिकारिक सोशल मीडिया एक्स हैंडल पर लिखा है कि ,

पूर्णिया में एक ही परिवार को ज़िंदा जलाकर मार देना, सिवान-बक्सर-भोजपुर में नरसंहार — क्या यही सुशासन है? अपराधी सतर्क हैं और मुख्यमंत्री अचेत.
DK टैक्स के साये में बिहार की जनता त्रस्त है.

तेजस्वी यादव ने अपने पोस्ट में सीधे तौर पर सरकार को ‘भ्रष्ट भूंजा पार्टी’ कहकर निशाना बनाया और आरोप लगाया कि DK ही राज्य का असल बॉस बन बैठा है.

पुलिस तंत्र मूकदर्शक जनता भयभीत

स्थानीय रिपोर्ट्स के अनुसार, पूर्णिया की घटना के बाद भी पुलिस ने तुरंत कोई कार्रवाई नहीं की, जिससे जनाक्रोश और भी भड़क गया. वहीं पीड़ित परिवारों के परिजनों और ग्रामीणों ने प्रशासन पर गंभीर लापरवाही के आरोप लगाए हैं.

न्याय की उम्मीद या राजनीतिक रोटियाँ?

बिहार की जनता इस समय भय, आक्रोश और असहायता के त्रिकोण में फँसी हुई दिख रही है. सवाल यह है कि क्या इन घटनाओं पर केवल राजनीतिक बयानबाज़ी होगी, या फिर प्रशासन कुछ ठोस कदम भी उठाएगा?

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