बोलने लगी हैं लड़कियाँ: SIR प्रक्रिया पर पटना में युवतियों ने की खुली चर्चा

| BY

Ajit Kumar

बिहार
बोलने लगी हैं लड़कियाँ: SIR प्रक्रिया पर पटना में युवतियों ने की खुली चर्चा

लोकतंत्र, सपने और संघर्ष: पटना में ऐपवा की वर्कशॉप में युवतियों की बुलंद आवाज़

तीसरा पक्ष ब्यूरो पटना ,11 जुलाई :आज पटना में ऐपवा (अखिल भारतीय प्रगतिशील महिला संघ) की ओर से कॉलेज की छात्राओं के लिए एक खास जागरूकता कार्यशाला का आयोजन किया गया. इस कार्यशाला का मकसद था लड़कियों को मतदाता सूची पुनरीक्षण प्रक्रिया यानी SIR के बारे में सही जानकारी देना ताकि वे समझदारी से अपने हक का इस्तेमाल कर सकें.साथ ही, इस मौके पर समाज और संस्कृति से जुड़े मुद्दों, संघर्षों और उनके सपनों पर भी खुलकर बात हुई.युवतियों को न सिर्फ सवाल पूछने का मौका मिला बल्कि उन्होंने अपने विचार भी बेझिझक होकर सामने रखी .

बोलने लगी हैं लड़कियाँ: SIR प्रक्रिया पर पटना में युवतियों ने की खुली चर्चा

“बोलने लगी हैंलड़कियाँ: एक नई शुरुआत

पटना में एक खास SIR, पर जागरूकता कार्यशाला का आयोजन किया गया जिसमें बिहार की कई लड़कियाँ और छात्राएं जुटीं.इस कार्यक्रम का मकसद सिर्फ वोटिंग के बारे में बताना नहीं था बल्कि लड़कियों की बात सुनना और उन्हें खुलकर बोलने का मौका भी देना था.यह कार्यशाला “बोलने लगी हैं लड़कियाँ बिहार की युवतियों की आकांक्षाएं एवं संघर्ष नामक संवाद श्रृंखला की यह पहली कड़ी थी.

कार्यशाला में बताया गया कि बिहार में SIR प्रक्रिया चल रही है. अगर कोई लड़की 18 साल की हो चुकी है या जनवरी 2025 तक हो जाएगी .तो वो वोटर लिस्ट में अपना नाम जुड़वा सकती है .यानी अब वो भी लोकतंत्र में हिस्सा ले सकती है जो कि बहुत ज़रूरी है.

मानसिक स्वास्थ्य की भी उठी आवाज

मानसिक स्वास्थ्य की भी उठी आवाज

लेकिन बात सिर्फ यहीं तक नहीं रुका लड़कियों ने खुलकर अपने दिल की बातें भी शेयर किया जैसे घर का दबाव, पढ़ाई में आने वाली दिक्कतें, और अपने सपनों को लेकर समाज की उम्मीदों से टकराव.कई लड़कियों ने यह भी बताया कि वो मानसिक तनाव या अकेलेपन से जूझ रही हैं, और कॉलेजों में काउंसलिंग या सपोर्ट ग्रुप्स होने चाहिए.

इस जागरूकता कार्यशाला की खास मेहमान थीं ऐपवा (AIPWA) की महासचिव कॉमरेड मीना तिवारी और उनके साथ मंच पर थीं सामाजिक कार्यकर्ता वंदना प्रभा, आइसा की राज्य अध्यक्ष प्रीति कुमारी, और बिहार के अलग-अलग जिलों से आईं छात्राएं.सबने मिलकर एक ऐसा माहौल बनाया जहां लड़कियां न सिर्फ सुनाई दीं, बल्कि समझी भी गईं.

यह कार्यक्रम एक संवाद श्रृंखला की शुरुआत था. जिसका नाम है: “बोलने लगी हैं लड़कियाँ: बिहार की युवतियों की आकांक्षाएं और संघर्ष”. आने वाले समय में ऐपवा और भी ऐसे प्रोग्राम करेगी, ताकि लड़कियां समाज में बदलाव की असली ताकत बन सकें.

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