पटना में 13 जुलाई को होगा व्यवसायी महासंघ का राज्य स्तरीय स्थापना सम्मेलन

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Ajit Kumar

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छोटे व्यापारियों की सुरक्षा पर केंद्रित होगा आयोजन दीपंकर भट्टाचार्य करेंगे उद्घाटन

तीसरा पक्ष ब्यूरो पटना, 11 जुलाई: बिहार के छोटे और मंझोले व्यवसायियों की आवाज को एकजुट करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण पहल करते हुये व्यवसायी महासंघ का राज्य स्तरीय स्थापना सम्मेलन 13 जुलाई को पटना स्थित रविन्द्र भवन में आयोजित होने जा रहा है.इस ऐतिहासिक सम्मेलन का उद्घाटन भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (माले) के महासचिव कॉमरेड दीपंकर भट्टाचार्य करेंगे.आयोजन की जानकारी महासंघ के संयोजक एवं आरा से भाकपा-माले के सांसद सुदामा प्रसाद ने दिया है.

व्यवसायियों की सुरक्षा को लेकर उठेगी संगठित आवाज

यह सम्मेलन उस समय हो रहा है जब बिहार सहित पूरे देश में छोटे-छोटे व्यापारियों पर संकट के बादल मंडरा रहा हैं. नोटबंदी, कोविड लॉकडाउन, आसमान छूती महंगाई, बेरोजगारी और ऑनलाइन कारोबार के बढ़ते वर्चस्व ने पारंपरिक खुदरा व्यापार को गहरे संकट में डाल कर रख दिया है. इसके साथ ही प्रदेश में व्यवसायियों को लूट, फिरौती और प्रशासनिक उत्पीड़न का भी लगातार सामना करना पड़ रहा है.

व्यवसायी महासंघ का यह सम्मेलन व्यवसायी सुरक्षा आयोग की स्थापना की मांग को मजबूती से उठाएगा. महासंघ का मानना है कि आज के दौर में यह एक अत्यंत जरूरी कदम है जो व्यापारियों के अधिकार और अस्तित्व की रक्षा में अहम भूमिका निभा सकता है.

राज्यव्यापी तैयारी और सहभागिता

सम्मेलन को सफल बनाने के लिए अब तक पटना में चार प्रमुख बैठकें आयोजित किया जा चका है.इसके अलावा राज्य के विभिन्न जिलों में संवाद और तैयारी जारी है.हालांकि नवादा, शेखपुरा, दरभंगा, मधुबनी, समस्तीपुर, सहरसा और सुपौल जैसे जिलों में और अधिक संगठित प्रयास की आवश्यकता महसूस किया जा रहा है.

भाकपा-माले की भूमिका और दृष्टिकोण

भाकपा (माले) इस सम्मेलन को न सिर्फ व्यापारियों के सवालों पर हस्तक्षेप का माध्यम मानती है बल्कि इसे जनाधार के विस्तार और वर्गीय एकजुटता की दिशा में एक नई शुरुआत के रूप में भी देखती है. पार्टी का मानना है कि राज्य भर में छोटे और मंझोले व्यवसायियों के साथ संगठित संवाद और कार्रवाई, जन संघर्ष की दिशा में एक निर्णायक मोड़ ला सकता है.

निष्कर्ष:

13 जुलाई को पटना में होने वाला यह सम्मेलन केवल एक औपचारिक आयोजन नहीं है बल्कि बिहार के व्यवसायियों की आवाज को संगठित करने और उन्हें एकजुट मंच देने का एक गंभीर प्रयास है. यह देखना महत्वपूर्ण होगा कि यह सम्मेलन आने वाले समय में व्यवसायी हितों की राजनीति में किस तरह की दिशा तय करता है.

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