AAP ने उठाई आवाज, BJP से कानून की मांग
तीसरा पक्ष ब्यूरो नई दिल्ली,12 जुलाई: दिल्ली की सड़कों से 10 साल पुरानी डीजल और 15 साल पुरानी पेट्रोल गाड़ियों को हटाने का फैसला पर अब सियासत गरमा गया है.आम आदमी पार्टी (AAP) ने इस फैसले को सीधे तौर पर जनता के खिलाफ बताया है.आम आदमी पार्टी के आतिशी ने इस मुद्दे पर बीजेपी सरकार को घेरा और विधानसभा का विशेष सत्र बुलाने की मांग किया है.
यह कोई नीति नहीं सजा है – आतिशी का बड़ा बयान
अपने आधिकारिक सोशल मीडिआ प्लेटफॉर्म एक्स पर बयान जारी करते हुए आतिशी ने कहा कि “60 लाख गाड़ियों का एक साथ हटाना कोई फैसला नहीं सज़ा है.करोड़ों दिल्लीवासियों की ज़िंदगी इससे प्रभावित होगी.मिडिल क्लास, महिलाएं, बुज़ुर्ग सभी परेशान होंगे.”
उन्होंने बीजेपी सरकार से अपील किया है की वो दिल्ली विधानसभा का विशेष सत्र बुलाकर इस फैसले को बदलने या इसमें राहत देने के लिए एक कानून लाए और लोगों को राहत दे आम आदमी पार्टी (AAP) ने सदन में सरकार को सहयोग करने का भरोसा भी दिया है.
किसे होगा सबसे ज़्यादा असर?
इस फैसले का सीधा असर आम जनता पर होगा विशेषज्ञों के अनुसार इस फैसले का सबसे अधिक असर मध्यम वर्ग, कामकाजी महिलाएं, बुजुर्ग और टैक्सी चालकों पर पड़ेगा, जिनके पास पुरानी गाड़ियां हैं और नई खरीदना आर्थिक रूप से बहुत मुश्किल भी होता है.
- मिडिल क्लास परिवारों पर, जिनके पास पुरानी गाड़ियां हैं
- महिलाएं जो खुद ड्राइव करती हैं
- बुज़ुर्ग जिनके लिए सार्वजनिक परिवहन मुश्किल है
- टैक्सी और कैब ड्राइवर जिनका रोज़गार गाड़ियों पर निर्भर है
पर्यावरण बनाम ज़िंदगी की सुविधा
दिल्ली में प्रदूषण एक बहुत बड़ा मुद्दा रहा है और NGT (नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल) के सिफारिशों के बाद यह फैसला लिया गया है मगर सवाल यह है कि क्या अचानक लाखों गाड़ियां हटाना, बिना किसी विकल्प या राहत के क्या यह एक व्यवहारिक फैसला है?
आतिशी का तर्क है कि सरकार को जनता के सहूलियत को भी ध्यान में रखना चाहिए और एक संतुलित नीति सरकार को बनानी चाहिए.
निष्कर्ष:
दिल्ली की सड़कों पर लाखों गाड़ियों का अचानक हटाया जाना सिर्फ एक पर्यावरणीय फैसला नहीं है बल्कि करोड़ों लोगों के रोज़मर्रा की ज़िंदगी से जुड़ा हुआ मसला है.आम आदमी पार्टी की मांग ने इस विषय को सियासी बहस का हिस्सा बना दिया है.अब देखना यह होगा कि क्या बीजेपी सरकार विधानसभा का विशेष सत्र बुलाकर इसपर कोई राहत देने वाला कानून लाती है? या नहीं.

मेरा नाम रंजीत कुमार है और मैं समाजशास्त्र में स्नातकोत्तर (एम.ए.) हूँ. मैं महत्वपूर्ण सामाजिक, सांस्कृतिक एवं राजनीतिक मुद्दों पर गहन एवं विचारोत्तेजक लेखन में रुचि रखता हूँ। समाज में व्याप्त जटिल विषयों को सरल, शोध-आधारित तथा पठनीय शैली में प्रस्तुत करना मेरा मुख्य उद्देश्य है.
लेखन के अलावा, मूझे अकादमिक शोध पढ़ने, सामुदायिक संवाद में भाग लेने तथा समसामयिक सामाजिक-राजनीतिक घटनाक्रमों पर चर्चा करने में गहरी दिलचस्पी है.