बिहार में चुनावी अराजकता और मतदाता सूची पर उठे सवाल: माले महासचिव ने चुनाव आयोग को घेरा

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Ajit Kumar

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बिहार में चुनावी अराजकता और मतदाता सूची पर उठे सवाल: माले महासचिव ने चुनाव आयोग को घेरा

मताधिकार पर संकट: गरीबों और प्रवासियों को सिस्टम से बाहर करने की साजिश?

तीसरा पक्ष ब्यूरो पटना, 15 जुलाई 2025 – भाकपा (माले) के महासचिव का. दीपंकर भट्टाचार्य ने आज पटना में एक संवाददाता सम्मेलन में बिहार के वर्तमान चुनावी प्रक्रिया और मतदाता सत्यापन अभियान को लेकर गहरी चिंता जताया है.उन्होंने चुनाव आयोग पर गंभीर आरोप लगाते हुए कहा कि राज्य में मतदाता सूची के पुनरीक्षण की आड़ में व्यापक पैमाने पर गड़बड़ियां किया जा रहा है. जिससे गरीब, वंचित और प्रवासी तबकों के मताधिकार पर सीधा खतरा मंडरा रहा है.

बीएलओ नहीं पहुंच रहे, फॉर्म नहीं मिल रहे – क्या यह मतदाता सूची सत्यापन है?

दीपंकर भट्टाचार्य ने आरोप लगाया कि आयोग द्वारा किए गए वादों के बावजूद ज़मीनी सच्चाई कुछ और है. उन्होंने कहा कि हमारी दो मांगें थीं. हर घर पर बीएलओ तीन बार जाएं और हर मतदाता को दो-दो फॉर्म दिए जाये.लेकिन न बीएलओ पहुंचे, न ही फॉर्म दिए गए. यह एक आंकड़ों का खेल और अराजकता है.उन्होंने यह भी बताया कि भारी दबाव के चलते एक बीएलओ की मृत्यु हो चुकी है. कई बीएलओ खुद दस्तावेजों के बिना भ्रम की स्थिति में हैं और कुछ ने उत्पीड़न का आरोप लगाकर इस्तीफा तक दे दिया है.

विदेशी मतदाता का झूठा हल्ला, असली उद्देश्य सिर्फ वोटों को काटना

भट्टाचार्य ने चुनाव आयोग और सरकार पर फर्जी विदेशी मतदाता का नैरेटिव गढ़ने का आरोप लगाते हुए कहा कि 2019 में खुद चुनाव आयोग ने संसद को बताया था कि 2016-2019 में विदेशी मतदाता की कोई पुष्टि नहीं हुई. केवल 2018 में तीन मामूली शिकायतें आया था. फिर आज अचानक बिहार में बांग्लादेशी, म्यांमार और नेपालियों की भरमार कैसे हो गया ?

उन्होंने सवाल किया कि क्या बिहार के मुसहर और प्रवासी मजदूरों को अब विदेशी घोषित किया जाएगा? “बंगाल के मजदूरों को बांग्लादेशी कहने के बाद अब हिंदी भाषी मजदूर भी संदिग्ध हो गये हैं.यह देशवासियों के आंखों में धूल झोंकने की कोशिश है.

दस्तावेज मांगो, मगर दो मत – आयोग की दोहरी नीति

उन्होंने यह भी कहा कि आयोग जिन दस्तावेजों का मांग कर रहा है.वे लोगों के पास नहीं हैं. और जो सामान्य दस्तावेज जैसे आधार, राशन कार्ड या वोटर आईडी उपलब्ध हैं.उन्हें स्वीकार नहीं किया जा रहा. “यह तय है कि बिहार के लाखों नाम इस बार मतदाता सूची से कटेंगे,” उन्होंने चेतावनी दिया है.

ईआरओ (Electoral Registration Officer) को दिये गये स्थानीय जांच की शक्ति पर सवाल उठाते हुए उन्होंने कहा कि इससे प्रक्रिया अपारदर्शी हो गई है और यह सीधे तौर पर “चुनाव चुराने की कोशिश” है.

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चुनाव चोर गद्दी छोड़ – जनता का नारा बन रहा है

भट्टाचार्य ने कहा कि बिहार की जनता में इस पूरी प्रक्रिया को लेकर आक्रोश है और “चुनाव चोर गद्दी छोड़” जैसे नारे लग रहे हैं. उन्होंने जनता से अपील किया कि वे अपने मताधिकार की रक्षा करें और इस साजिश को नाकाम करें.

महिलाओं पर कर्ज का बोझ, आत्महत्याओं की बढ़ती घटनाएं – ऐपवा महासचिव मीना तिवारी

महिलाओं पर कर्ज का बोझ, आत्महत्याओं की बढ़ती घटनाएं – ऐपवा महासचिव मीना तिवारी
संवाददाता सम्मेलन में ऐपवा की महासचिव मीना तिवारी ने महिलाओं की स्थिति पर चिंता जताते हुए कहा कि गरीबी के कारण महिलाएं कर्ज के जाल में फंसी हैं.माइक्रोफाइनेंस कंपनियों की बाढ़ आई है. एक गांव में 18-18 कंपनियां काम कर रही हैं.और किश्तों के दबाव में महिलाएं आत्महत्या कर रही हैं. या पलायन कर रही हैं.

उन्होंने 31 जुलाई को पटना में ‘कर्ज मुक्ति सम्मेलन’ आयोजित करने की घोषणा किया

वोटर वेरिफिकेशन में महिलाएं परेशान, स्कीम वर्कर्स उपेक्षित – एमएलसी शशि यादव

एमएलसी शशि यादव ने कहा कि खासकर 2003 के बाद जिन महिलाओं की शादी नहीं हुई है उन्हें वोटर सूची में शामिल होने में भारी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है. उन्होंने कहा कि सरकार स्कीम वर्कर्स – रसोइया, जीविका, आशा, आंगनबाड़ी – की समस्याओं को नजरअंदाज कर रही है.

1650 रुपये में रसोइया काम कर रही हैं. जीविका समूह से जबरन वसूली जारी है.सरकार ने कंट्रीब्यूटरी सिस्टम को अब तक खत्म नहीं किया, उन्होंने कहा कि 30 जून को विधान परिषद में ‘आश्रय अभियान’ के तहत गरीबों को उजाड़ने के खिलाफ आवाज उठाई जाएगी.

गांधी के वंशज को भी विदेशी कहा जाएगा?

भट्टाचार्य ने गांधीजी के परपोते तुषार गांधी के चंपारण दौरे के दौरान हुए अपमान की निंदा करते हुए कहा कि अगर तुषार गांधी को ही बाहरी कह सकते हैं. तो बाकी जनता की क्या स्थिति होगी? क्या अब उन्हें भी बांग्लादेशी कह देंगे?

एसआईआर वापस लो, 2024 की मतदाता सूची को मान्यता दो

माले महासचिव ने चुनाव आयोग को साफ संदेश देते हुए कहा कि मतदाता सत्यापन प्रक्रिया (एसआईआर) को तुरंत वापस लिया जाये और 2024 की मतदाता सूची के आधार पर ही 2025 का चुनाव शांतिपूर्वक और निष्पक्ष ढंग से कराया जाये.

उन्होंने भाजपा पर बिहार में जानबूझकर अस्थिरता और अविश्वास का माहौल बनाने का आरोप लगाते हुए कहा कि यह चुनाव सरकार बदलने वाला चुनाव है.इसलिए यह माहौल पैदा किया गया है.

निष्कर्ष:

भाकपा (माले) और इससे जुड़ी संगठनों की चेतावनी स्पष्ट है कि अगर मतदाता सत्यापन की प्रक्रिया पारदर्शी नहीं रही और दस्तावेजों को लेकर भ्रम बना रहा तो इससे लोकतंत्र की बुनियाद पर ही सवाल खड़े हो जाएंगे. आगामी दिनों में बिहार की सियासत और तेज़ होती नज़र आ रही है. सड़क से लेकर सदन तक.

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