बिहार में घोषणाओं की बारात, लेकिन जनता अब चाल समझ चुकी है!

| BY

Ajit Kumar

बिहार
बिहार में घोषणाओं की बारात, लेकिन जनता अब चाल समझ चुकी है!

बिहार में बदलाव की दस्तक: जुमलों से नहीं, हकीकत से बात करेगी जनता!

तीसरा पक्ष ब्यूरो पटना, 17 जुलाई :बिहार की राजनीति एक बार फिर चुनावी वादों की गर्मी में तप रही है.लेकिन इस बार का माहौल कुछ अलग है. जनता पहले की तरह खामोश नहीं है. बल्कि सवालों के साथ सामने खड़ी है.भाकपा(माले) के राज्य सचिव कॉ. कुणाल ने आज ही दिए अपने बयान में साफ शब्दों में कहा है कि अब बिहार की जनता खोखले नारों और जुमलों के पीछे नहीं भागेगा.

कॉ. कुणाल ने भाजपा-जदयू गठबंधन पर तीखा हमला बोलते हुए कहा कि चुनाव नजदीक आते ही सत्ता पक्ष को जनता की याद आ जाता है. हर परिवार को 125 यूनिट मुफ्त बिजली और 2030 तक एक करोड़ रोजगार जैसी घोषणाएं इसी हड़बड़ी का हिस्सा हैं.लेकिन जनता यह सवाल पूछ रही है कि जब 2014 में हर साल दो करोड़ रोजगार देने का वादा किया गया था. तो अब तक 20 करोड़ रोजगार कहां हैं?

स्मार्ट मीटर: जनता की जेब पर सीधा वार

बिहार में बिजली दरें पहले से ही देश में सबसे ऊंची हैं. ऊपर से स्मार्ट मीटरों ने आम आदमी की मुश्किलें को और बढ़ा दिया है.जगह-जगह से फर्जी बिल, मनमानी वसूली और सुनवाई न होने की शिकायतें आ रहा है. यही कारण है कि लोग इन मीटरों को तंज में “खूनचूसवा मीटर” कहने लगा है.

कॉ. कुणाल ने बताया कि राज्यभर में हजारों लोग बिजली विभाग के दफ्तरों के चक्कर काट रहे हैं. लेकिन उनकी कहीं कोई सुनवाई नहीं हो रहा है.

घोषणाएं बनाम ज़मीनी सच्चाई

भाजपा-जदयू गठबंधन पर निशाना साधते हुए कुणाल ने कहा कि 5 साल में 4.8 साल जनता को लूटो और चुनाव से ठीक पहले घोषणाओं की बौछार कर दो यही इनका मॉडल है. उन्होंने यह भी कहा कि यह सब केवल सत्ता बचाने का खेल है.ना कि जनता के हक और बेहतरी की कोई ईमानदार कोशिश.

माले और INDIA गठबंधन की भूमिका

भाकपा(माले) नेता ने जोर देकर कहा कि उनकी पार्टी ने विधानसभा से लेकर सड़क तक लगातार जनता की आवाज़ उठाई है:

  • स्मार्ट मीटर हटाने की मांग
  • जरूरतमंद परिवारों को कम से कम 200 यूनिट मुफ्त बिजली देने का संकल्प
  • बिजली क्षेत्र को निजी कंपनियों से मुक्त कराने की लड़ाई
  • उन्होंने कहा कि INDIA गठबंधन सिर्फ वादे नहीं करता, बल्कि ज़मीन पर बदलाव की दिशा में ठोस काम कर रहा है.

अपराध की राजधानी बनता पटना

कुणाल ने हाल ही में पटना के पारस अस्पताल में हुई दिनदहाड़े हत्या पर भी उन्होंने कड़ी प्रतिक्रिया देते हुये उन्होंने कहा कि राजधानी अब कानून-व्यवस्था की दृष्टि से सबसे असुरक्षित होती जा रही है. अपराधी बेखौफ घूम रहे हैं. जबकि सरकार और प्रशासन मूक दर्शक बने हुए हैं.

बदलाव की बयार

बयान के अंत में कुणाल ने कहा कि अब बिहार की जनता बदलाव के मूड में है. वह जुमलों और झूठे नारों से तंग आ चूका है.भाकपा(माले) और INDIA गठबंधन इस बदलाव की लड़ाई में जनता के साथ कंधे से कंधा मिलाकर खड़ी हैं.

निष्कर्ष:

बिहार की राजनीति एक निर्णायक मोड़ पर खड़ी है. जनता अब आंख मूंदकर किसी के झांसे में आने वाली नहीं है. असली मुद्दे, ज़मीनी हकीकत और जवाबदेही की मांग अब मुख्यधारा में है.और यही लोकतंत्र की असली ताकत है.

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