बिहार में बदलाव की दस्तक:तेजस्वी यादव की बढ़ती लोकप्रियता से बदलते समीकरण
तीसरा पक्ष ब्यूरो पटना, 19 जुलाई 2025 – जैसे-जैसे बिहार विधानसभा चुनाव 2025 की घड़ी नजदीक आ रही है.राज्य की राजनीति में सरगर्मी बढ़ काफी गई है. इस उथल-पुथल के केंद्र में राष्ट्रीय जनता दल (आरजेडी) के नेता तेजस्वी यादव हैं. जो न केवल एक प्रमुख विपक्षी चेहरा बनकर उभरे हैं. बल्कि अब उन्हें मुख्यमंत्री पद के सबसे मजबूत दावेदारों में भी गिना जा रहा है.
राज्य में बदलते राजनीतिक समीकरणों के बीच आरजेडी की राष्ट्रीय प्रवक्ता प्रियंका भारती (@priyanka2bharti) की सोशल मीडिया पोस्ट ने सियासी हलकों में नई बहस छेड़ दिया है.उनका कहना है कि “तेजस्वी यादव का मुख्यमंत्री बनना 13 करोड़ बिहारवासियों की सामूहिक आकांक्षा है.
प्रियंका भारती का तीखा प्रहार: चुनाव आयोग से लेकर नीतीश-प्रशांत तक
18 जुलाई 2025 को अपने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म (@priyanka2bharti) X (पूर्व में ट्विटर) पर किए गए एक पोस्ट में प्रियंका ने जहां तेजस्वी यादव के नेतृत्व पर भरोसा जताया.वहीं उन्होंने चुनाव आयोग को “गोदी आयोग” कहकर उसकी निष्पक्षता पर सवाल उठाया है यही नहीं उन्होंने प्रशांत किशोर के जन सुराज पार्टी को “बीजेपी कोटा पार्टी” बताया और मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की जदयू को भाजपा का “प्रकोष्ठ” करार दिया है
इन टिप्पणियों ने राजनीतिक चर्चा को और भी उग्र बना दिया है. आरजेडी के विरोधी इन बयानों को राजनीतिक निराशा का संकेत बता रहे हैं. जबकि समर्थक इसे जनभावनाओं का प्रतिबिंब बता रहा है.
तेजस्वी की नई बिहार की परिकल्पना: क्या जनता तैयार है बदलाव के लिए?
तेजस्वी यादव ने अपने अब तक के राजनीतिक जीवन में युवा नेतृत्व, सामाजिक न्याय, और रोजगार को केंद्र में रखा है. अपने 17 महीनों के उपमुख्यमंत्री कार्यकाल के दौरान, उन्होंने 5 लाख सरकारी नौकरियां प्रदान करने और जातिगत सर्वेक्षण कराने जैसे कदम उठाये. जिनका वे बार-बार उल्लेख करते हैं.
वे लगातार कहते आए हैं कि बिहार को नई सोच, नई ऊर्जा और नया नेतृत्व चाहिए.और वह खुद को उस बदलाव का वाहक मानते हैं.युवाओं और आर्थिक रूप से कमजोर तबकों के बीच उनकी लोकप्रियता उल्लेखनीय रूप से बढ़ा है.
आरजेडी बनाम एनडीए: चुनावी रणभूमि तैयार
आरजेडी का चुनावी अभियान एनडीए के खिलाफ अब तक के सबसे तीखे तेवर में नजर आ रहा है.तेजस्वी ने एक हालिया रैली में नीतीश सरकार को खटारा करार देते हुए कहा था कि यह सरकार सिर्फ जुगाड़ से चल रहा है. काम करने की न इच्छाशक्ति है और न ही दिशा.
उनके प्रमुख आरोप हैं:
- बेरोजगारी में वृद्धि और युवाओं का पलायन
- बिहार को विशेष राज्य का दर्जा दिलाने में नाकामी
- भ्रष्टाचार और भाई-भतीजावाद
- केंद्र और राज्य सरकार की डबल इंजन विफलता
वहीं, एनडीए नीतीश कुमार के अनुभव शासन मॉडल और विकास योजनाओं को अपना हथियार बनाकर जवाब दे रहा है. भाजपा की चुनावी मशीनरी पूरी ताकत से मैदान में है.और केंद्रीय नेतृत्व के सहयोग से वे तेजस्वी की लहर को रोकने की रणनीति में लगा हुआ है.
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युवा बनाम अनुभव: ओपिनियन पोल क्या कहते हैं?
इंकइंसाइट के हालिया ओपिनियन पोल के मुताबिक,जहां नीतीश कुमार अब भी महिलाओं और वरिष्ठ नागरिकों के बीच लोकप्रिय हैं. वहीं तेजस्वी यादव युवा मतदाताओं में सबसे ऊपर हैं.
विश्लेषक मानते हैं कि इस बार चुनाव की तस्वीर साफ तौर पर पीढ़ीगत संघर्ष की ओर इशारा कर रहा है. एक ओर अनुभव और प्रशासनिक स्थिरता तो दूसरी ओर ऊर्जा, बदलाव और आकांक्षा.
जनता की अदालत में अगला फैसला
तेजस्वी यादव की राजनीति अब जनभावनाओं और रणनीतिक हमलों के इर्द-गिर्द घूम रहा है. उनकी अगुवाई में आरजेडी का अभियान रोजगार, मुफ्त शिक्षा संसाधन, और समावेशी विकास जैसे मुद्दों पर केंद्रित है.वहीं, एनडीए विकास और स्थिरता को अपना संदेश बना रहा है.
बिहार की जनता को यह तय करना है कि वे तेजस्वी यादव के परिवर्तन के वादे को चुनते हैं या फिर नीतीश कुमार के अनुभवी प्रशासन को.
निष्कर्ष:
राजनीतिक बयानबाजी तेज हो चुका है.सोशल मीडिया से लेकर गाँव की चौपालों तक, चर्चा बस एक ही है.बदलाव बनाम भरोसा. बिहार 2025 का चुनाव केवल सत्ता परिवर्तन नहीं. बल्कि राजनीतिक दिशा बदलने वाला साबित हो सकता है.
नोट :यह लेख सोशल मीडिया प्रवृत्तियों और जनता की प्रतिक्रियाओं पर आधारित है.यह किसी दल या नेता के पक्ष में या विरोध में राय नहीं दर्शाता.
स्रोत: @priyanka2bharti (राष्ट्रीय प्रवक्ता, आरजेडी)

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