चारु मजूमदार की शहादत दिवस पर भाकपा(माले) का एलान

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Ajit Kumar

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एसआईआर के खिलाफ राष्ट्रव्यापी जनसंघर्ष की तैयारी

तीसरा पक्ष ब्यूरो पटना, 28 जुलाई: भारत के क्रांतिकारी कम्युनिस्ट आंदोलन के शिल्पी और भाकपा (माले) के संस्थापक महासचिव कॉमरेड चारु मजूमदार की 53वीं शहादत दिवस पर आज पूरे बिहार में व्यापक श्रद्धांजलि कार्यक्रमों का आयोजन किया गया. इन कार्यक्रमों के माध्यम से न केवल मजूमदार के विचारों को याद किया गया बल्कि मौजूदा राजनीतिक परिदृश्य पर तीखे सवाल भी उठाया गया. पार्टी ने मताधिकार, नागरिकता और लोकतांत्रिक अधिकारों पर मंडरा रहे खतरों के खिलाफ निर्णायक जनआंदोलन की हुंकार भरा है.

एसआईआर: लोकतंत्र पर एक अदृश्य हमला?

पटना में आयोजित मुख्य कार्यक्रम में भाकपा (माले) के पोलित ब्यूरो सदस्य का. धीरेंद्र झा ने कहा कि बिहार इन दिनों वोटबंदी जैसी एक नई साजिश का केंद्र बन चुका है. एसआईआर प्रक्रिया के तहत लाखों लोगों को मतदाता सूची से बाहर करने की चुपचाप कोशिश चल रहा है. उन्होंने इसे संविधान के उस मूल सिद्धांत पर सीधा हमला बताया जिसमें हर नागरिक को सार्वभौमिक वयस्क मताधिकार प्राप्त है.

यह वही रणनीति है जिसे असम में NRC और संदिग्ध मतदाता जैसी अवधारणाओं के जरिए पहले ही आजमाया जा चुका है: धीरेंद्र झा

उन्होंने याद दिलाया कि असम में इस प्रक्रिया के बाद हजारों लोगों को हिरासत शिविरों में भेजा गया.और अनेक को निर्वासन जैसी अमानवीय स्थिति का सामना करना पड़ा है.

बिहार से देशव्यापी साजिश की शुरुआत?

भाकपा (माले) के नेताओं का आरोप है कि एसआईआर की शुरुआत बिहार से केवल एक प्रयोग के तौर पर किया गया है.ताकि इसे बाद में पूरे देश में लागू किया जा सके.

कार्यक्रम में वक्ताओं ने यह भी कहा कि जैसे महाराष्ट्र में हालिया चुनावों में व्यापक धांधली की खबरें सामने आईं वैसे ही बिहार में भी चुनावी प्रक्रियाओं को पहले से प्रभावित करने की कोशिश किया जा रहा है. और यह सब आम जनता के आंखों के सामने बिना किसी पारदर्शिता के किया जा रहा है.

प्रवासी मजदूरों और अल्पसंख्यकों पर निशाना

इस श्रद्धांजलि सभा में प्रवासी श्रमिकों के साथ हो रहे अत्याचारों का मुद्दा भी प्रमुखता से उठाया गया है.खासकर पश्चिम बंगाल से आने वाले मजदूरों को भाजपा शासित राज्यों में अवैध बांग्लादेशी घोषित कर हिरासत में लिए जाने अपमानित किए जाने और यहां तक कि शारीरिक हिंसा का शिकार बनाए जाने की घटनाओं का कड़ी निंदा किया गया है.

वक्ताओं ने उत्तर प्रदेश असम और दिल्ली में गरीबों और मुस्लिम समुदाय के लोगों के खिलाफ बुलडोज़र अभियान को सुनियोजित फासीवादी हमला करार दिया.

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9 जुलाई की हड़ताल से उभरी एकजुटता को आंदोलन में बदले जाने की अपील

भाकपा (माले) नेताओं ने 9 जुलाई को आयोजित मजदूर-किसान हड़ताल का हवाला देते हुए कहा कि देश के मेहनतकश वर्गों की वह एकजुटता अब एक निर्णायक जनांदोलन का आधार बन सकता है.उन्होंने स्पष्ट किया कि यह संघर्ष किसी एक राज्य या समुदाय का नहीं बल्कि लोकतंत्र, नागरिकता और संविधान की रक्षा की साझा लड़ाई है.

भाकपा (माले) का संकल्प: संविधान और जनतंत्र की रक्षा में पूरी ताकत झोंकेंगे

इस अवसर पर पार्टी ने यह संकल्प दोहराया कि वह मताधिकार और नागरिकता जैसे बुनियादी अधिकारों की रक्षा के लिए अपने पूरे संगठनात्मक बल और जनाधार के साथ मैदान में उतरेगा नेताओं ने कहा कि इस लड़ाई में पीछे हटने का कोई विकल्प नहीं है. और जनता को संगठित कर एक बड़े लोकतांत्रिक आंदोलन की शुरुआत किया जायेगा.

चारु मजूमदार की विरासत आज भी प्रासंगिक

कॉमरेड चारु मजूमदार के विचारों और उनके नेतृत्व में चले नक्सलबाड़ी आंदोलन की चर्चा करते हुए वक्ताओं ने कहा कि वे आज भी प्रेरणा के स्रोत हैं. खासकर ऐसे दौर में जब राज्य सत्ता खुद लोकतंत्र के बुनियादी मूल्यों को चुनौती दे रहा है.

कॉमरेड चारु ने जो संघर्ष छेड़ा था, वो सत्ता के खिलाफ नहीं, शोषण के खिलाफ था. आज वह लड़ाई मताधिकार की रक्षा में बदल गई है: एक वक्ता

निष्कर्ष

कॉमरेड चारु मजूमदार की शहादत दिवस पर आयोजित यह कार्यक्रम केवल श्रद्धांजलि देने का मौका नहीं था.बल्कि यह सत्ता की जनविरोधी नीतियों के खिलाफ मोर्चाबंदी का एलान था.
एसआईआर के जरिए लोकतंत्र पर किए जा रहे इस चुपचाप हमले के खिलाफ भाकपा (माले) अब मैदान में उतर चुका है.
अगले कुछ महीनों में इस आंदोलन की गूंज न सिर्फ बिहार बल्कि पूरे देश में सुनाई दे सकता है.

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