बढ़ा हुआ मानदेय, बढ़ा आत्मविश्वास: गांव-गांव तक पहुंचेगा बदलाव का संदेश
तीसरा पक्ष ब्यूरो पटना, 30 जुलाई:बिहार सरकार ने स्वास्थ्य सेवा में जमीनी स्तर पर काम करने वाली आशा और ममता कार्यकर्ताओं को लेकर एक ऐतिहासिक निर्णय लिया है. मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने मंगलवार को एक अहम घोषणा करते हुए कहा कि राज्य की इन कार्यकर्ताओं को अब पहले से दोगुना से भी अधिक प्रोत्साहन राशि मिलेगी.
स्वास्थ्य सेवाओं के क्षेत्र में अहम भूमिका निभाने वाली इन महिलाओं की आर्थिक स्थिति को सुदृढ़ करने के उद्देश्य से राज्य सरकार ने उनके मानदेय में बढ़ोतरी किया है. जिससे न केवल उनकी आर्थिक सुरक्षा सुनिश्चित होगी बल्कि उन्हें और अधिक प्रेरणा भी मिलेगी.
आशा कार्यकर्ताओं को अब मिलेंगे ₹3,000 प्रति माह
अब तक आशा कार्यकर्ताओं को प्रतिमाह ₹1,000 की प्रोत्साहन राशि दिया जाता था. लेकिन अब इसमें भारी इज़ाफा करते हुए इसे ₹3,000 प्रतिमाह कर दिया गया है.यह निर्णय राज्यभर की हजारों आशा कार्यकर्ताओं के लिए एक बड़ी राहत के रूप में देखा जा रहा है.
मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने कहा कि आशा कार्यकर्ताओं ने स्वास्थ्य सेवाओं को घर-घर तक पहुँचाने में जो महत्वपूर्ण भूमिका निभाया है. उसे सरकार नजरअंदाज नहीं कर सकता.उनकी मेहनत और योगदान को देखते हुए हमने उनके प्रोत्साहन राशि में यह बढ़ोतरी किया है.
ममता कार्यकर्ताओं को अब प्रति प्रसव ₹600 की राशि
वहीं ममता कार्यकर्ताओं को अब प्रत्येक सफल प्रसव पर ₹600 की प्रोत्साहन राशि प्रदान किया जायेगा.जो पहले ₹300 हुआ करता था.ममता कार्यकर्ता मुख्य रूप से सुरक्षित प्रसव और मातृ-शिशु स्वास्थ्य सेवाओं को सुदृढ़ करने में सहयोग करती हैं. यह निर्णय उनके लिए आर्थिक रूप से बेहद लाभकारी साबित होगा.
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क्यों है यह फैसला महत्वपूर्ण?
बिहार जैसे राज्य में जहाँ ग्रामीण स्वास्थ्य सेवाओं का अधिकतर भार आशा और ममता कार्यकर्ताओं पर होता है. यह निर्णय उन्हें सम्मान और स्थायित्व प्रदान करता है. इन कार्यकर्ताओं की भूमिका कोरोना महामारी, टीकाकरण अभियान, संस्थागत प्रसव को बढ़ावा देने और मातृ मृत्यु दर को कम करने जैसे महत्वपूर्ण क्षेत्रों में अहम रहा है.
सरकार का उद्देश्य: ‘स्वस्थ बिहार, सशक्त महिला
इस निर्णय के पीछे सरकार का उद्देश्य न केवल स्वास्थ्य सेवाओं को बेहतर बनाना है.बल्कि महिला सशक्तिकरण को भी मजबूती प्रदान करना है. आशा और ममता कार्यकर्ताओं को अब समाज में न केवल आर्थिक रूप से बल्कि सामाजिक रूप से भी और अधिक सम्मान मिलेगा.
क्या कहते हैं स्वास्थ्य विशेषज्ञ?
स्वास्थ्य नीति विशेषज्ञों का मानना है कि यह फैसला समय की मांग था. लंबे समय से आशा और ममता कार्यकर्ताओं को कम मानदेय को लेकर आवाजें उठता रहा हैं. अब सरकार के इस कदम से कार्यकर्ताओं की कार्यक्षमता में और वृद्धि होगी तथा स्वास्थ्य सेवाओं की गुणवत्ता में सुधार देखने को मिलेगा.
निष्कर्ष
मुख्यमंत्री नीतीश कुमार द्वारा लिया गया यह निर्णय केवल एक आर्थिक राहत नहीं. बल्कि उन हजारों महिलाओं के परिश्रम का सम्मान है जो चुपचाप गांव-गांव, घर-घर जाकर स्वास्थ्य सेवाओं की अलख जगा रहा हैं.यह फैसला नारी शक्ति को सशक्त करने की दिशा में एक ठोस कदम माना जा रहा है.
मेरा नाम रंजीत कुमार है और मैं समाजशास्त्र में स्नातकोत्तर (एम.ए.) हूँ. मैं महत्वपूर्ण सामाजिक, सांस्कृतिक एवं राजनीतिक मुद्दों पर गहन एवं विचारोत्तेजक लेखन में रुचि रखता हूँ। समाज में व्याप्त जटिल विषयों को सरल, शोध-आधारित तथा पठनीय शैली में प्रस्तुत करना मेरा मुख्य उद्देश्य है.
लेखन के अलावा, मूझे अकादमिक शोध पढ़ने, सामुदायिक संवाद में भाग लेने तथा समसामयिक सामाजिक-राजनीतिक घटनाक्रमों पर चर्चा करने में गहरी दिलचस्पी है.



















