RJD का आरोप,चुनाव आयोग दो नेताओं के इशारे पर काम कर रहा है!
तीसरा पक्ष ब्यूरो पटना, 2 अगस्त :भारतीय राजनीति एक बार फिर गरमा गया है.बिहार के प्रमुख विपक्षी पार्टी राष्ट्रीय जनता दल (RJD) ने चुनाव आयोग पर बड़ा हमला बोलते हुये उसे तानाशाही रवैया अपनाने वाला करार दिया है. पार्टी का आरोप है कि आयोग ने विशेष गहन मतदाता सूची पुनरीक्षण अभियान में पारदर्शिता और निष्पक्षता के तमाम वादों को ताक पर रख दिया है.
क्या है मामला?
चुनाव आयोग ने बिहार में मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण की प्रक्रिया शुरू किया था. जिसमें यह कहा गया था कि किसी भी मतदाता का नाम यदि सूची से हटाया जाएगा तो उसका कारण सार्वजनिक किया जाएगा.इसके पीछे उद्देश्य था कि मतदाता अधिकारों की रक्षा करना और राजनीतिक पक्षपात से बचाव करना.
लेकिन अब RJD का दावा है कि आयोग ने इस आश्वासन से मुंह मोड़ लिया है.पार्टी का आरोप है कि बड़ी संख्या में मतदाताओं के नाम हटायाजा रहा है. लेकिन उन्हें हटाए जाने का कोई कारण न तो संबंधित मतदाता को बताया जा रहा है और न ही सार्वजनिक रूप से घोषित किया गया है.
RJD के आधिकारिक X (पूर्व में ट्विटर) हैंडल से किए गए पोस्ट में कहा गया है कि आयोग ने पहले आश्वासन दिया था कि जिन मतदाताओं का नाम मतदाता सूची से हटाया जाएगा.उनके हटाए जाने का स्पष्ट कारण सार्वजनिक किया जाएगा. लेकिन अब तक यह प्रक्रिया अपारदर्शी रही है और आयोग ने अपने ही वादों से किनारा कर लिया है.
पोस्ट में यह भी उल्लेख किया गया कि जब महागठबंधन के प्रतिनिधिमंडल ने चुनाव आयोग से मुलाकात किया तो आयोग का रुख बेहद निरंकुश था. RJD ने आरोप लगाया कि आयोग के इस व्यवहार से स्पष्ट संकेत मिला कि वह ऊपर से आए आदेशों पर काम कर रहा है. जिनका संबंध दो ‘गुजरातियों’ से बताया गया है.संभवतः यह संकेत प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृह मंत्री अमित शाह की ओर है.
महागठबंधन प्रतिनिधिमंडल की बैठक और आरोप
राष्ट्रीय जनता दल के अनुसार महागठबंधन के एक प्रतिनिधिमंडल ने इस मुद्दे पर चुनाव आयोग से औपचारिक मुलाक़ात किया था. लेकिन उस मुलाक़ात के दौरान आयोग के रवैये को लेकर आरजेडी ने गंभीर टिप्पणी किया है.पार्टी का कहना है कि,
“चुनाव आयोग के तानाशाही आचरण का परोक्ष तात्पर्य यही था कि,जो करना हो कर लो, हमें तो ऊपर से दो गुजरातियों का आदेश मिला है, हम उसी पर चलेंगे.”
इस बयान से स्पष्ट है कि RJD सीधे तौर पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृहमंत्री अमित शाह की ओर संकेत कर रहा है.जो दोनों गुजरात से आते हैं और केंद्र में भारतीय जनता पार्टी (BJP) की नीति निर्धारण में केंद्रीय भूमिका निभाते हैं.
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लोकतांत्रिक प्रक्रिया पर सवाल
RJD के इन आरोपों ने देश की लोकतांत्रिक संस्थाओं की निष्पक्षता पर एक बार फिर बहस छेड़ दिया है. चुनाव आयोग जो संवैधानिक रूप से स्वतंत्र और निष्पक्ष संस्था माना जाता है.अब विपक्षी दलों के निशाने पर आ गया है.
राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि यदि इन आरोपों में तथ्य पाए जाते हैं तो यह भारत के लोकतांत्रिक मूल्यों के लिए एक गंभीर चुनौती होगा.वहीं यह भी देखा जाना बाकी है कि चुनाव आयोग इन आरोपों का किस प्रकार जवाब देता है.
RJD की रणनीति क्या है?
आरजेडी इस मुद्दे को केवल तकनीकी गलती नहीं बल्कि राजनीतिक साजिश के तौर पर देख रहा है. पार्टी का मानना है कि बिहार में विपक्षी मतदाताओं को योजनाबद्ध तरीके से सूची से हटाया जा रहा है ताकि सत्तारूढ़ दल को फायदा हो सके. इसके ज़रिए पार्टी न सिर्फ मतदाता जागरूकता बढ़ाना चाहता है.बल्कि आने वाले चुनावों में इसे बड़ा चुनावी मुद्दा भी बना सकता है.
चुनाव आयोग की प्रतिक्रिया का इंतजार
इस पूरे विवाद पर अभी तक चुनाव आयोग की ओर से कोई आधिकारिक बयान सामने नहीं आया है. लेकिन अगर विपक्ष की ओर से दबाव बढ़ता है. तो आयोग को सफाई देनी पड़ सकता है.खासतौर पर तब, जब देश के कई हिस्सों में चुनावी प्रक्रिया तेज़ी से आगे बढ़ रहा है.
निष्कर्ष:
राजनीति में आरोप-प्रत्यारोप आम बात है.लेकिन जब आरोप एक संवैधानिक संस्था पर लगता हैं. तो मामला गंभीर हो जाता है. RJD का यह सीधा हमला भारतीय चुनाव प्रणाली की विश्वसनीयता को केंद्र में ला खड़ा करता है.क्या यह सिर्फ राजनीतिक बयानबाज़ी है या इसके पीछे वाकई कोई ठोस साक्ष्य हैं.यह आने वाला समय हि बतायेगा.

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