चुनाव आयोग सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों पर करे तत्काल अमल: भाकपा-माले ने उठाई पारदर्शिता की मांग

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Kumar Ranjit

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तीसरा पक्ष ब्यूरो पटना, 7 अगस्त :राज्य की राजनीति में पारदर्शिता और लोकतांत्रिक प्रक्रिया की रक्षा को लेकर आज भाकपा-माले ने एक बार फिर बड़ा सवाल उठाया है.पार्टी के राज्य सचिव कुणाल ने एक प्रेस बयान जारी कर चुनाव आयोग से मांग किया है कि मतदाता सूची से हटाये गये नागरिकों की पूरी जानकारी – नाम, विवरण और हटाने के कारणों सहित – 24 घंटे के भीतर पार्टी को उपलब्ध कराया जाये.

कुणाल ने बताया कि भले ही आयोग ने हटाये गये मतदाताओं की सूची जारी कर दिया है.लेकिन उसमें यह नहीं बताया गया है कि किन कारणों से इन लोगों के नाम सूची से हटाया गया है.ऐसे में जमीनी स्तर पर सत्यापन कार्य में भारी कठिनाई हो रहा है.

उन्होंने कहा कि,सुप्रीम कोर्ट का स्पष्ट निर्देश है कि प्रत्येक हटाए गए मतदाता के नाम के साथ उसका हटाने का कारण भी सार्वजनिक किया जायें.ऐसे में अब किसी भी तरह की देरी लोकतांत्रिक अधिकारों का हनन माना जायेगा.

भाकपा-माले ने यह भी मांग रखा है कि राज्य व जिला स्तर पर पार्टी को पूरी सूची जल्द से जल्द सौंपा जायें.ताकि चल रहे बूथ चलो अभियान के तहत सत्यापन कार्य को गति मिल सके. इस सिलसिले में मुख्य निर्वाचन पदाधिकारी पटना को पत्र भी भेजा गया है.

गड़बड़ियों की भरमार, आयोग पर सवाल

कुणाल ने बताया कि बूथ चलो अभियान के तहत पार्टी के नेता, विधायक व कार्यकर्ता घर-घर जाकर मतदाता सूची की जांच कर रहे हैं. इस अभियान के दौरान कई विसंगतियाँ सामने निकल कर आया है.जिन्हें लेकर आयोग को कई बार अवगत कराया गया है.

कुणाल ने कहा है कि,हमने शिकायतें दर्ज किया है,लेकिन चुनाव आयोग उन्हें सिर्फ इसलिए अस्वीकार कर रहा है क्योंकि वे बीएलए (बूथ लेवल एजेंट) के माध्यम से नहीं किया गया है. यह तर्क न केवल अलोकतांत्रिक है.बल्कि इससे आयोग की निष्पक्षता पर भी प्रश्नचिह्न लगता है.

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नए फॉर्म भरने वालों में भी अस्पष्टता

कुणाल ने यह भी जानकारी दिये कि अब तक करीब 15,000 नए फॉर्म भरे जा चुके हैं.लेकिन यह स्पष्ट नहीं है कि इनमें कितने पुराने मतदाता हैं जिन्होंने दोबारा पंजीकरण के लिए फॉर्म-6 भरा है और कितने बिल्कुल नए मतदाता हैं.

उन्होंने कहा कि इस अस्पष्टता से चुनावी प्रक्रिया पर नकारात्मक असर पड़ सकता है. और यह संदेह की स्थिति पैदा करता है.चुनाव आयोग को चाहिये कि वह इस मामले में भी पारदर्शिता बनाए रखते हुए विस्तृत और सार्वजनिक जानकारी जारी करे.

निष्कर्ष

भाकपा-माले की यह मांग देश के लोकतांत्रिक ढांचे को मज़बूत करने की दिशा में एक जरूरी हस्तक्षेप है. सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों का पालन करते हुए यदि चुनाव आयोग पारदर्शिता बरतता है.तो मतदाता अधिकारों की रक्षा सुनिश्चित की जा सकता है.पार्टी ने स्पष्ट किया है कि यदि जानकारी जल्द नहीं दिया गया तो वह इस मामले को और व्यापक स्तर पर उठाएगी.

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