राजद ने चुनाव आयोग को भी घेरा चुप्पी पर उठाए सवाल
तीसरा पक्ष ब्यूरो पटना,10 अगस्त: बिहार की राजनीति में मतदाता सूची को लेकर उठे विवाद ने नया मोड़ ले लिया है.उपमुख्यमंत्री विजय कुमार सिन्हा पर लगे आरोपों के बाद उनकी दी गई सफाई को राजद ने पूरी तरह खारिज करते हुए उसे हास्यास्पद और भ्रामक बताया है.राजद प्रवक्ता चित्तरंजन गगन ने सवाल उठाया है कि जब तेजस्वी यादव के मामूली तकनीकी मामले में चुनाव आयोग ने तत्परता दिखाया था तो अब इतने गंभीर आरोपों के बावजूद आयोग चुप क्यों है?
गगन ने याद दिलाया कि तेजस्वी यादव का मामला पूरी तरह पारदर्शी था – उनके नाम पर दो EPIC नंबर थे. जिसकी जानकारी उन्होंने खुद दिया था. न उनका क्षेत्र बदला, न पता – इसके बावजूद उन्हें निशाना बनाया गया.अब जब उपमुख्यमंत्री के नाम, पते, उम्र और क्षेत्र में स्पष्ट अंतर सामने आ रहा हैं.तब चुनाव आयोग की निष्क्रियता संदेह पैदा करता है.
विधानसभा क्षेत्र, पता और उम्र – तीन स्तरों पर भेद: क्या है मामला?
राजद प्रवक्ता ने खुलासा किया कि विजय सिन्हा का नाम मतदाता सूची में दो अलग-अलग क्षेत्रों – पटना और लखीसराय – में पाया गया है. हैरानी की बात यह है कि दोनों क्षेत्रों में न केवल उनका नाम दर्ज है.बल्कि उनका पता और उम्र तक अलग-अलग दर्ज किया गया है. जन प्रतिनिधित्व अधिनियम, 1951 के तहत यह सीधा अपराध की श्रेणी में आता है.
चित्तरंजन गगन ने कहा कि यह मामला केवल प्रशासनिक चूक नहीं बल्कि सुनियोजित साजिश का हिस्सा लगता है.जिसमें सत्ता और संस्थान की मिलीभगत उजागर होता है.
फॉर्म पर दस्तखत, SIR में भागीदारी – फिर कैसे ‘गलती से नहीं कटा नाम’?
विजय सिन्हा द्वारा दी गई सफाई में कहा गया कि उन्होंने अप्रैल 2024 में पटना से नाम हटवाने के लिए आवेदन किया था.लेकिन किसी कारणवश नाम नहीं हट पाया. इस दावे पर चित्तरंजन गगन ने सवाल उठाते हुए कहा कि,अगर आपने नाम हटाने का फॉर्म भर दिया था. तो फिर विशेष गहन पुनरीक्षण (SIR) के लिए दोनों जगहों से फॉर्म क्यों भरे? दस्तखत क्यों किए?
उन्होंने यह भी बताया कि पटना में विजय सिन्हा ने प्रमाणपत्र जमा किया है जो सत्यापित हो चुका है. जबकि लखीसराय में अब तक सत्यापन की प्रक्रिया जारी है.इसका मतलब साफ है कि पटना से नाम हटाने की मंशा महज एक दिखावा था.
फर्जी नाम जोड़े, गरीबों को हटाया: क्या यही हैडबल इंजन सरकार का असली चेहरा?
राजद ने आरोप लगाया कि भाजपा और चुनाव आयोग की मिलीभगत से मतदाता सूची में फर्जी नाम जोड़ा जा रहा हैं. वहीं दूसरी ओर दलित, पिछड़े, अति पिछड़े और अल्पसंख्यक वर्ग के वास्तविक वोटरों के नाम सूची से हटाए जा रहा हैं. चित्तरंजन गगन का कहना है कि यह लोकतंत्र पर सीधा हमला है. और भाजपा सत्ता की भूख में किसी भी हद तक जा सकता है.
उन्होंने कहा कि,ये वही लोग हैं जो तेजस्वी यादव को गाली देकर ध्यान भटकाना चाहते हैं. जबकि असल खेल खुद खेल रहे हैं.अब जनता इनकी असलियत पहचान चुका है.
पाप का घड़ा भर चुका है: राजद का सीधा हमला, कार्रवाई की मांग
चित्तरंजन गगन ने प्रेस को संबोधित करते हुए दो टूक कहा कि अब यह कोई सामान्य मामला नहीं रहा – यह एक संस्थागत साज़िश का हिस्सा है.उन्होंने चुनाव आयोग से तत्काल कार्रवाई की मांग करते हुए कहा कि अगर आयोग अपनी निष्पक्षता सिद्ध नहीं करता है. तो लोकतंत्र की नींव कमजोर होगा.
उन्होंने चेतावनी दिया कि यदि दोषियों पर कार्रवाई नहीं हुआ तो राजद सड़कों पर उतरकर जनआंदोलन भी छेड़ सकता है.
निष्कर्ष: घोटाले की आंच बढ़ती जा रही है…
बिहार की सियासत एक बार फिर उस मोड़ पर आ चुका है जहां सवाल केवल किसी एक नेता के दायित्व का नहीं बल्कि पूरे लोकतांत्रिक ढांचे की साख का बन चुका है. मतदाता सूची में गड़बड़ी केवल तकनीकी त्रुटि नहीं – यह लोकतंत्र से विश्वास उठने का कारण बन सकता है.अब देखना होगा कि चुनाव आयोग इस पर कैसी कार्रवाई करता है.और भाजपा इस घोटाले से कैसे खुद को अलग करता है.

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