7 सितंबर को पटना में पेंशन संघर्ष महारैली
तीसरा पक्ष ब्यूरो पटना, 10 अगस्त :पुरानी पेंशन बहाली की मांग को लेकर एक बार फिर बिहार के सरकारी कर्मचारियों में आंदोलन की लहर दौड़ गई है.नेशनल मूवमेंट फॉर ओल्ड पेंशन स्कीम (NMOPS) की बिहार इकाई ने 7 सितंबर को पटना में पेंशन संघर्ष महारैल’ आयोजित करने का ऐलान किया है.यह रैली प्रदेशभर से जुटने वाले सरकारी कर्मचारियों की एकता और पेंशन बहाली की मांग को नई ऊर्जा देने के उद्देश्य से किया जा रहा है.

1 सितंबर को ‘ब्लैक डे’ 5 सितंबर को मशाल जुलूस
इस रैली से पहले एनएमओपीएस की रणनीति बेहद सुनियोजित है.
1 सितंबर को जब बिहार में नई पेंशन व्यवस्था लागू की गई थी, उसे ब्लैक डे के रूप में मनाया जाएगा.
वहीं 5 सितंबर, शिक्षक दिवस के मौके पर राज्य के प्रत्येक प्रखंड मुख्यालय पर मशाल जुलूस निकाला जायेगा इसका उद्देश्य समाज और सरकार का ध्यान शिक्षकों और कर्मचारियों की पेंशन संबंधी पीड़ा की ओर आकर्षित करना है.
महत्वपूर्ण बैठक में लिए गए निर्णय
इन कार्यक्रमों की घोषणा रविवार को पटना स्थित पशु चिकित्सा संघ भवन में हुई एक महत्वपूर्ण बैठक में की गई.बैठक में NMOPS बिहार की टीम के साथ-साथ राज्य के कई प्रमुख कर्मचारी संगठनों के वरिष्ठ नेता शामिल हुये.
इस बैठक में जिन प्रमुख पदाधिकारियों की भागीदारी रही उनमें शामिल हैं,
विक्रांत सिंह (प्रदेश प्रभारी)
वरुण पांडेय (अध्यक्ष)
शशि भूषण (महासचिव)
प्रेमचंद कुमार सिन्हा (प्रदेश संरक्षक)
संजीव तिवारी (वरिष्ठ उपाध्यक्ष)
मनोज कुमार यादव, मार्कंडेय पाठक (प्रदेश संयोजक)
रामबली प्रसाद, फकरुद्दीन अली अहमद, गोपाल पासवान, राजीव रंजन, डॉ. रंजीत कुमार, राजेश भगत, मृगांशु शेखर, कौशिक कुमार समेत कई शिक्षक और कर्मचारी नेता.
बैठक में सभी संगठनों ने यह संकल्प लिया कि जब तक पुरानी पेंशन योजना बहाल नहीं होता तब तक यह संघर्ष जारी रहेगा।.
जन-जन तक पहुंचेगी आवाज
एनएमओपीएस बिहार का कहना है कि यह आंदोलन अब केवल पेंशन तक सीमित नहीं बल्कि कर्मचारी सम्मान और भविष्य की सुरक्षा से जुड़ा हुआ है. 7 सितंबर की महारैली को ऐतिहासिक बनाने के लिए सभी जिलों में समर्थन रैलियों का आयोजन किया जाएगा ताकि गांव-गांव और शहर-शहर में इस जनआंदोलन की गूंज सुनाई दे.
निष्कर्ष
पुरानी पेंशन बहाली को लेकर बिहार में जो माहौल बन रहा है. वह एक बार फिर दर्शाता है कि कर्मचारी वर्ग अब अपने अधिकारों के लिए संगठित होकर आवाज़ उठाने को तैयार है.देखना यह होगा कि सरकार इस जनदबाव के आगे क्या रुख अपनाता है.

मेरा नाम रंजीत कुमार है और मैं समाजशास्त्र में स्नातकोत्तर (एम.ए.) हूँ. मैं महत्वपूर्ण सामाजिक, सांस्कृतिक एवं राजनीतिक मुद्दों पर गहन एवं विचारोत्तेजक लेखन में रुचि रखता हूँ। समाज में व्याप्त जटिल विषयों को सरल, शोध-आधारित तथा पठनीय शैली में प्रस्तुत करना मेरा मुख्य उद्देश्य है.
लेखन के अलावा, मूझे अकादमिक शोध पढ़ने, सामुदायिक संवाद में भाग लेने तथा समसामयिक सामाजिक-राजनीतिक घटनाक्रमों पर चर्चा करने में गहरी दिलचस्पी है.