AAP के गंभीर आरोपों ने खोली मोदी सरकार की पोल
तीसरा पक्ष ब्यूरो, नई दिल्ली 13 अगस्त: आदमी पार्टी (AAP) ने अपने आधिकारिक सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स हैंडल @AamAadmiParty से एक ऐसा बयान जारी किया गया एक पोस्ट ने देश की राजनीति में भूचाल ला दिया है. पार्टी ने मोदी सरकार पर गंभीर आरोप लगाते हुए पूछा कि — रूस से सस्ते तेल का फायदा देश की जनता को क्यों नहीं मिला?
इस एक सवाल ने केंद्र सरकार की आर्थिक नीति, विदेशी संबंधों और लोकतांत्रिक जवाबदेही पर कई बड़े प्रश्नचिह्न लगा दिया है. AAP का दावा है कि रूस से रियायती दरों पर खरीदे गए कच्चे तेल से हुए हज़ारों करोड़ के मुनाफे का लाभ आम जनता तक पहुंचाने की बजाय सरकार ने अपने करीबी पूंजीपति मित्रों को पहुंचाया है — जिनमें अडानी ग्रुप का नाम प्रमुख है.
इसके अलावा अमेरिका में अडानी पर चल रहे केस और भारत की रूस नीति में अचानक आए बदलाव को जोड़ते हुए पार्टी ने केंद्र सरकार की मंशा पर सवाल खड़ा किया हैं.
तो क्या मोदी सरकार अब ‘जनता की नहीं पूंजीपतियों की सरकार बन चुका है? क्या भारत की विदेश नीति अब कॉरपोरेट दबाव में तय होगा ? और सबसे बड़ा सवाल कि – क्या सस्ते तेल का फायदा जनता को देना सरकार की जिम्मेदारी नहीं था ?
X (Twitter) पोस्ट का उल्लेख:
रूस से कच्चा तेल ख़रीदने से लाखों करोड़ का फ़ायदा देश की जनता को होना चाहिए था. अब देश के सामने आ गया है कि आप अपने पूँजीपति दोस्तों के लिए काम करते हैं.
अमेरिका में Adani के ख़िलाफ़ मुक़दमा चल रहा है, अमेरिका कभी भी Adani को गिरफ्तार कर सकता है तो उसकी धमकी देकर मोदी से Ceasefire करवा लिया.
प्रधानमंत्री मोदी अमेरिका के दबाव में आ गए हैं.AAP (@AamAadmiParty
आइए आगे जानते हैं विस्तार से इस पूरे मामले की परतें, जो केवल एक ट्वीट नहीं, बल्कि देश की नीतियों की असल तस्वीर सामने लाने वाला एक गंभीर खुलासा है…
रूस से सस्ते तेल की कमाई पर सवाल: क्या मोदी सरकार ने जनता की जेब काटी और पूंजीपतियों की तिजोरी भरी?
AAP ने मोदी सरकार पर लगाया मुनाफाखोरी का आरोप अडानी-अमेरिका संबंधों को बताया सीज़फायर की असली वजह
सस्ते रूसी तेल से हुआ लाखों करोड़ का फायदा – लेकिन जनता को क्यों नहीं मिला हिस्सा?
कहीं इस ‘डील’ का फायदा सिर्फ चंद अरबपतियों तक तो नहीं सीमित रह गया?
2022 से शुरू हुए रूस-यूक्रेन युद्ध के बाद भारत ने रूस से भारी मात्रा में कच्चा तेल बेहद रियायती दरों पर आयात किया है. इससे भारत को लाखों करोड़ रुपये का अनुमानित आर्थिक लाभ हुआ.लेकिन आम आदमी पार्टी ने बड़ा सवाल खड़ा किया है कि,यह पैसा गया कहां?
जनता को सस्ते पेट्रोल, डीज़ल, रसोई गैस या रोजमर्रा की ज़रूरतों में कोई राहत नहीं मिला है. AAP का कहना है कि यह लाभ आम लोगों की बजाय मोदी सरकार के कारोबारी मित्रों को पहुंचाया गया है जिनमें अडानी ग्रुप का नाम सबसे ऊपरआता है.
अडानी पर अमेरिका में केस – मोदी सरकार का विदेश नीति पर पड़ा असर?
क्या अडानी को बचाने के लिए मोदी सरकार ने भारत की अंतरराष्ट्रीय छवि तक दांव पर लगा दिया है ?
AAP के अनुसार, अमेरिका में अडानी ग्रुप पर गंभीर वित्तीय अनियमितताओं का केस चल रहा है.आशंका जताया जा रहा है कि अडानी की गिरफ्तारी की संभावनाओं के बीच मोदी सरकार ने अमेरिका के दबाव में आकर रूस के खिलाफ अपना रुख बदल दिया है और अचानक सीज़फायर का समर्थन कर दिया है.
क्या भारत की विदेश नीति अब अडानी जैसे उद्योगपतियों के हितों से तय होगा ? अगर हां, तो यह देश के लिए गंभीर चेतावनी है.
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आम आदमी के अधिकारों पर हमला – तेल से मुनाफा, लेकिन महंगाई फिर भी क्यों?
जनता ने मोदी सरकार को माफ किया था. लेकिन अब सवाल जवाब मांग रहा है देश!
जब देश में अंतरराष्ट्रीय बाजार से सस्ता तेल मिल रहा हो तब पेट्रोल और डीजल की कीमतें क्यों नहीं घटा ? एलपीजी की कीमतें क्यों आसमान छूती रहीं? AAP ने पूछा है कि यह सीधा आर्थिक शोषण नहीं तो और क्या है?
हर भारतीय जो रोज ईंधन पर पैसे खर्च कर रहा है. उसे जानने का हक है कि सरकार ने सस्ते तेल से हुए लाभ को कहाँ और किसके लिए इस्तेमाल किया है.
क्या मोदी सरकार बन गया है कॉरपोरेट सेवादार?
AAP का सीधा वार – ये सरकार देश की नहीं, पूंजीपतियों का है!
AAP ने अपने पोस्ट में कहा कि,अब देश के सामने आ गया है कि आप अपने पूंजीपति दोस्तों के लिए काम करते हैं. यह वाक्य केवल एक राजनैतिक आरोप नहीं बल्कि देश की लोकतांत्रिक चेतना पर एक सवाल है.
क्या लोकतंत्र में जनता के वोटों से बनी सरकार अब केवल उद्योगपतियों के फायदे के लिए काम कर रहा है? क्या भारत में आर्थिक नीतियां अब कॉरपोरेट हित के अनुसार बनाया जाता हैं?
अमेरिका के सामने झुक गया भारत? – Ceasefire पर उठे कई सवाल
विदेशी दबाव या पूंजीपति सुरक्षा? मोदी सरकार को देनी होगी जनता को सफाई
AAP ने यह भी दावा किया कि अमेरिका ने अडानी पर चल रहे केस के जरिए भारत पर अप्रत्यक्ष दबाव बनाया और इसी के चलते मोदी सरकार ने रूस-यूक्रेन युद्ध पर अपने रुख में बदलाव किया.
क्या भारत जैसे संप्रभु राष्ट्र की नीतियां अब अमेरिका की सहमति पर निर्भर हैं? यह सवाल केवल राजनीतिक नहीं बल्कि राष्ट्रीय सुरक्षा और सम्मान से भी जुड़ा हुआ है.
निष्कर्ष: देश जाग रहा है – अब जवाबदेही तय होगी
AAP के इस खुलासे ने केंद्र सरकार को कटघरे में खड़ा कर दिया है. अगर आरोप सही हैं. तो यह केवल एक आर्थिक घोटाला नहीं. बल्कि देश की नीतिगत स्वतंत्रता परम भी हमला है.
अब देश पूछ रहा है:
कच्चे तेल का पैसा कहां गया?
जनता को क्या मिला?
अडानी को क्यों बचाया जा रहा है?
अमेरिका का भारत की नीति पर इतना असर क्यों?
सरकार को अब इन सवालों का जवाब देना होगा, क्योंकि जनता अब जाग रहा है – और चुप नहीं बैठेगा.

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