बोले – संविधान और आस्था के साथ खिलवाड़ ना करें
तीसरा पक्ष ब्यूरो लखनऊ, 1 सितंबर 2025 — उत्तर प्रदेश की पूर्व मुख्यमंत्री और बहुजन समाज पार्टी (बीएसपी) की प्रमुख मायावती ने कानपुर के प्रतिष्ठित बुद्ध पार्क को लेकर सरकार के एक फैसले पर सख्त ऐतराज जताया है. रिपोर्ट्स के मुताबिक, इस पार्क में एक अन्य धर्म का पूजा स्थल विकसित करने की योजना पर विचार किया जा रहा है.जिसे लेकर मायावती ने तीव्र विरोध प्रकट करते हुए इसे धर्मनिरपेक्षता और सामाजिक सौहार्द के विरुद्ध बताया है.
क्या है मामला?
कानपुर का बुद्ध पार्क न सिर्फ एक सार्वजनिक स्थल है. बल्कि यह दलित और बौद्ध समाज के लिए सांस्कृतिक और आध्यात्मिक प्रतीक माना जाता है. यह पार्क 1997 में मायावती के मुख्यमंत्री काल में स्थापित किया गया था.और तब से ही यह डॉ. भीमराव अंबेडकर की विचारधारा के प्रचार-प्रसार और बौद्ध अनुयायियों के लिए एक आस्था केंद्र बना हुआ है.
हाल ही में मीडिया रिपोर्ट्स में सामने आया कि इस पार्क की जमीन पर एक शिव मंदिर या शिवालय पार्क जैसी संरचना के निर्माण की योजना बनाई जा रही है. बताया जा रहा है कि इस परियोजना के लिए सरकार की ओर से 15 करोड़ रुपये भी स्वीकृत किए गए हैं.
मायावती की तीखी प्रतिक्रिया
मायावती ने इस प्रस्ताव पर आपत्ति जताते हुए अपने एक्स (पूर्व ट्विटर) अकाउंट @Mayawati से पोस्ट किया:
भारत एक धर्मनिरपेक्ष देश है और संविधान के अनुसार सभी धर्मों को बराबर सम्मान दिया जाना चाहिए. बुद्ध पार्क बौद्ध समाज और अंबेडकरवादियों के लिए आस्था का केंद्र है. ऐसे स्थान पर किसी अन्य धर्म का पूजा स्थल बनाना न केवल अनुचित है. बल्कि यह सामाजिक तनाव और धार्मिक असंतुलन को भी जन्म दे सकता है.
उन्होंने साफ शब्दों में कहा कि सरकार अगर इस योजना को रोकती नहीं है तो इसके गंभीर सामाजिक परिणाम हो सकते हैं. मायावती ने यह भी कहा कि यह कदम न सिर्फ बौद्ध समुदाय की आस्था को ठेस पहुंचाता है.बल्कि संविधान की मूल भावना का उल्लंघन करता है.
ये भी पढ़े :बिहार चुनाव 2025: अकेले चुनाव मैदान में उतरेगी बीएसपी
ये भी पढ़े :UP मेडिकल कॉलेज में SC आरक्षण खत्म: चंद्रशेखर आजाद बोले – ये संविधान पर हमला है
सामाजिक और राजनीतिक असर
बीएसपी समर्थकों और सोशल मीडिया पर सक्रिय दलित-बौद्ध संगठनों ने इस मामले को लेकर #SaveBuddhaPark नामक अभियान शुरू कर दिया है.हजारों यूजर्स मायावती के बयान को साझा करते हुए सरकार से मांग कर रहे हैं कि पार्क की मूल संरचना और बौद्ध पहचान को बरकरार रखा जाए.
राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि यह विवाद उत्तर प्रदेश की सियासत में नया मोड़ ला सकता है. खासकर जब राज्य में आगामी विधानसभा चुनावों की तैयारी जोरों पर है. मायावती की यह सक्रियता एक ओर उनके कोर वोट बैंक को फिर से एकजुट कर सकती है. वहीं दूसरी ओर भाजपा सरकार को धर्म और विकास के बीच संतुलन साधने की चुनौती दे सकती है.
सरकार की चुप्पी, विरोध की तेज़ी
अब तक राज्य सरकार की ओर से इस विवाद पर कोई आधिकारिक प्रतिक्रिया नहीं आई है.हालांकि, यदि विरोध और बयानबाजी तेज़ होती है.तो सरकार को अपना रुख स्पष्ट करना पड़ सकता है.
बुद्ध पार्क की जमीन पर अन्य धर्म के पूजा स्थल निर्माण का मुद्दा अब सिर्फ एक स्थानीय विवाद नहीं रहा. यह देश के धर्मनिरपेक्ष ढांचे, सामाजिक समरसता और राजनीतिक रणनीति से जुड़ा बड़ा विषय बनता जा रहा है.
निष्कर्ष
बुद्ध पार्क को लेकर खड़ा हुआ यह विवाद आने वाले दिनों में उत्तर प्रदेश की राजनीति में एक अहम मोड़ ला सकता है. मायावती ने जिस तरीके से इसे संविधान और आस्था से जोड़कर सरकार को ललकारा है. उससे यह स्पष्ट है कि यह मुद्दा केवल भावनात्मक नहीं बल्कि चुनावी रणनीति का भी हिस्सा बन सकता है.अब निगाहें सरकार की प्रतिक्रिया पर टिकी हैं.
I am a blogger and social media influencer. I am engaging to write unbiased real content across topics like politics, technology, and culture. My main motto is to provide thought-provoking news, current affairs, science, technology, and political events from around the world.



















