कांग्रेस ने अमित शाह के बयान पर साधा निशाना: वोट चोरी’ का लगाया आरोप

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Kumar Ranjit

भारत
कांग्रेस ने अमित शाह के बयान पर साधा निशाना: वोट चोरी' का लगाया आरोप

क्या लोकतंत्र खतरे में? कांग्रेस ने लगाया ‘वोट चोरी’ का आरोप

तीसरा पक्ष ब्यूरो नई दिल्ली, 21 सितंबर 2025 – भारतीय राजनीति में आरोप-प्रत्यारोप का दौर थमने का नाम नहीं ले रहा है. ताजा विवाद तब खड़ा हुआ जब भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस ने केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के एक पुराने बयान को लेकर उन पर सीधा हमला बोला.कांग्रेस का आरोप है कि शाह द्वारा बार-बार किए जाने वाले इस दावे—कि भारतीय जनता पार्टी की सरकार अगले 40-50 साल तक सत्ता में रहेगी—के पीछे चुनावी प्रक्रिया में “अनुचित साधनों” और कथित ‘वोट चोरी’ की रणनीति छुपी हुई है.

क्या लोकतंत्र खतरे में? कांग्रेस ने लगाया ‘वोट चोरी’ का आरोप

यह विवाद तब और गरमाया जब कांग्रेस ने अपने आधिकारिक सोशल मीडिया हैंडल @INCIndia पर एक वीडियो जारी किया है. इस वीडियो में पार्टी के वरिष्ठ नेता राहुल गांधी, अमित शाह के वर्षों पुराने भाषण का हवाला देते हुए सवाल उठाते दिख रहे हैं.राहुल का कहना है कि किसी भी लोकतांत्रिक व्यवस्था में बिना जनता के असली समर्थन के इतने लंबे समय तक सत्ता में बने रहने का दावा असंभव है.

कांग्रेस का हमला और वायरल वीडियो

कांग्रेस द्वारा साझा किए गए इस वीडियो में राहुल गांधी की एक सभा का क्लिप शामिल है.इसमें वे कहते हैं, “यह कैसे संभव है कि कोई पार्टी पहले से ही जानती हो कि उसकी सरकार 40-50 साल तक चलेगी? इसका सीधा मतलब है कि चुनावी प्रक्रिया में हेरफेर किया जा रहा है. वीडियो में अमित शाह और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की तस्वीरें भी जोड़ी गई हैं, जिनके ऊपर “बीजेपी की सरकार 40-50 साल चलेगी” जैसे कैप्शन चलते रहते हैं.

वीडियो का अंत एक तीखे संदेश के साथ होता है: बीजेपी वोट चोरी करती है.
यह कैप्शन न केवल कांग्रेस के रुख को स्पष्ट करता है, बल्कि सोशल मीडिया पर इसने तुरंत राजनीतिक बहस छेड़ दी.कुछ ही घंटों में इस वीडियो को लाखों लोगों ने देखा और शेयर किया.

चुनावी सुधार की बहस के बीच आया विवाद

यह हमला उस समय हुआ है जब देश में चुनाव सुधारों और चुनाव आयोग की निष्पक्षता को लेकर बहस तेज़ है. विपक्षी दल लगातार आरोप लगाते रहे हैं कि चुनाव आयोग सरकार के दबाव में काम करता है और निष्पक्षता पर प्रश्नचिह्न खड़े हो रहे हैं.कांग्रेस ने इस विवाद को उसी बहस से जोड़ते हुए कहा कि अगर सत्ता पक्ष को पहले से भरोसा है कि वह 40-50 साल तक शासन करेगा, तो इसका अर्थ है कि लोकतांत्रिक प्रक्रिया को कहीं न कहीं कमजोर किया जा रहा है.

पार्टी सूत्रों के अनुसार, कांग्रेस इस अभियान को एक बड़े चुनावी नैरेटिव का हिस्सा बनाना चाहती है. उनका कहना है कि बीजेपी का यह आत्मविश्वास लोकतंत्र के लिए खतरनाक है और जनता को सावधान करने की ज़रूरत है.

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बीजेपी की ओर से चुप्पी

दिलचस्प बात यह है कि अब तक बीजेपी की ओर से इस वीडियो या आरोपों पर कोई आधिकारिक प्रतिक्रिया सामने नहीं आई है.हालांकि, बीजेपी के अंदरूनी सूत्रों का मानना है कि विपक्ष जानबूझकर चुनाव से पहले इस तरह के मुद्दे उठा रहा है ताकि चुनावी माहौल को अपने पक्ष में किया जा सके.

कुछ राजनीतिक विश्लेषकों का कहना है कि शाह के बयान को संदर्भ से काटकर पेश किया जा रहा है. उनके अनुसार, शाह ने पार्टी कार्यकर्ताओं को यह संदेश देने के लिए कहा था कि संगठन को मज़बूत बनाना है ताकि लंबे समय तक पार्टी सत्ता में बनी रहे.लेकिन विपक्ष इसे चुनावी धांधली से जोड़कर जनता के बीच अविश्वास फैलाने की कोशिश कर रहा है.

सोशल मीडिया का बढ़ता महत्व

इस पूरे विवाद ने एक बार फिर यह दिखा दिया है कि भारतीय राजनीति में सोशल मीडिया की भूमिका कितनी अहम हो चुकी है.अब पार्टियां न केवल रैलियों और प्रेस कॉन्फ्रेंस पर निर्भर हैं, बल्कि डिजिटल प्लेटफॉर्म्स पर चलने वाली कैंपेन भी चुनावी माहौल तय कर रही हैं.
कांग्रेस ने जिस तरीके से यह वीडियो एक मोंटाज की शैली में बनाया है, उसमें साफ झलकता है कि अब चुनावी रणनीतियां सिर्फ नीतियों और वादों तक सीमित नहीं रहीं, बल्कि डिजिटल इमेज-बिल्डिंग और नैरेटिव सेटिंग का खेल भी उतना ही बड़ा हो चुका है.

लोकतंत्र बनाम सत्ता की जंग

कांग्रेस का यह हमला केवल अमित शाह के बयान पर नहीं, बल्कि पूरे राजनीतिक परिदृश्य पर सवाल है. पार्टी का कहना है कि अगर सत्ता पक्ष को इतना यकीन है कि वह दशकों तक शासन करेगा, तो यह जनता की पसंद पर नहीं बल्कि चुनावी तंत्र में गड़बड़ियों पर आधारित है. दूसरी ओर बीजेपी इसे विपक्ष की हताशा बता सकती है, जो लगातार चुनाव दर चुनाव हार का सामना कर रहा है.

फिलहाल, यह विवाद भारतीय लोकतंत्र में गहराते अविश्वास की ओर इशारा करता है.आने वाले चुनावों में यह देखना दिलचस्प होगा कि क्या “वोट चोरी” का यह नैरेटिव कांग्रेस को जनता के बीच सहानुभूति दिला पाएगा, या बीजेपी इसे सिर्फ विपक्षी शोर-शराबा बताकर खारिज कर देगी.

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