चुप क्यों हैं मुख्यमंत्री? मंत्रियों पर गंभीर भ्रष्टाचार के आरोप
तीसरा पक्ष ब्यूरो पटना, 22 सितम्बर 2025— बिहार की राजनीति में एक बार फिर भ्रष्टाचार का मुद्दा सुर्खियों में है. माले (भाकपा–माले) के राज्य सचिव कुणाल ने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार पर सीधा निशाना साधते हुए पूछा है कि जब उनके मंत्रिमंडल के कई मंत्री भ्रष्टाचार के गंभीर आरोपों से घिरे हैं, तब भी वे चुप क्यों बैठे हैं?
कुणाल का कहना है कि अशोक चौधरी, सम्राट चौधरी और मंगल पांडे जैसे बड़े नेताओं पर भ्रष्टाचार के पुख्ता आरोप सामने आए हैं. कुछ मामलों में तो प्रमाण भी मौजूद हैं, फिर भी मुख्यमंत्री की चुप्पी सवाल खड़े करती है. उन्होंने आरोप लगाया कि नीतीश कुमार की यह खामोशी इस बात की पुष्टि करती है कि बिहार में संस्थागत भ्रष्टाचार अपनी चरम सीमा पर है.
बड़े नेताओं पर गंभीर आरोप
कुणाल ने कहा कि सिर्फ तीन-चार नाम ही नहीं बल्कि कई अन्य मंत्री भी भ्रष्टाचार की आंच में घिरे हुए हैं.उन्होंने उदाहरण देते हुए कहा कि भाजपा नेता जीवेश मिश्रा पर नकली दवा बनाने का दोष सिद्ध हो चुका है, लेकिन वे आज भी मंत्री पद पर बने हुए हैं. इसी तरह दिलीप जयसवाल भी कटघरे में खड़े हैं। यह स्थिति सरकार की कथित नैतिकता पर बड़ा सवाल उठाती है.
ट्रांसफर–पोस्टिंग का धंधा
माले सचिव ने आगे कहा कि पूरे राज्य में ट्रांसफर और पोस्टिंग एक ‘खुली दुकान’ की तरह चल रही है. इसका फायदा उठाकर कुछ मंत्री और अधिकारी करोड़ों रुपये की बंदरबांट कर रहे हैं. कुणाल ने विशेष रूप से ग्रामीण कार्य विभाग (RWD) के महाघोटाले का जिक्र करते हुए कहा कि इसमें शामिल मुख्य अभियंता विनोद कुमार राय की संलिप्तता मंत्री स्तर तक जाती है.इसके बावजूद जांच को सीमित दायरे में रखकर लीपापोती की जा रही है.
टेंडर घोटाले पर सवाल
उन्होंने समस्तीपुर का उदाहरण देते हुए कहा कि वहां एक खास कंपनी को करोड़ों का टेंडर दिया गया है.यह कोई साधारण संयोग नहीं बल्कि सुनियोजित ‘सिंडिकेट’ का हिस्सा है, जिसमें कई बड़े नेताओं और अधिकारियों का नेटवर्क शामिल है. कुणाल ने मांग की कि इसकी निष्पक्ष जांच होनी चाहिए और असली दोषियों को सामने लाया जाना चाहिए.
भवन निर्माण विभाग पर भी सवाल
भवन निर्माण विभाग के मुख्य अभियंता तारिणी दास के यहां छापेमारी में अकूत संपत्ति बरामद हुई थी. लेकिन अब तक इस पर कोई ठोस और मुकम्मल जांच आगे नहीं बढ़ी है.कुणाल ने कहा कि यह साफ दर्शाता है कि सरकार जानबूझकर भ्रष्टाचार की जांच को कमजोर बना रही है.
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जनता की गाढ़ी कमाई पर डाका
माले नेता ने आरोप लगाया कि जनता के टैक्स और गाढ़ी कमाई का पैसा विकास या जनकल्याण के कामों में खर्च होने के बजाय मंत्रियों और नेताओं के निजी नेटवर्क, दलाली और भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ रहा है. उन्होंने सवाल उठाया—“क्या यही है नीतीश सरकार की नैतिकता, जहां आरोपियों को संरक्षण दिया जाता है और भ्रष्टाचारियों को कैबिनेट में जगह मिलती है?
जनता से अपील
अंत में कुणाल ने जनता से सीधी अपील किया कि वह ऐसी सरकार को इस बार के चुनाव में पूरी तरह उखाड़ फेंके. उनका कहना था कि जब तक भ्रष्टाचार में डूबे नेताओं को सत्ता से बाहर नहीं किया जाएगा, तब तक राज्य की गाढ़ी कमाई का सही इस्तेमाल संभव नहीं है.
निष्कर्ष
माले का यह प्रेस बयान केवल आरोप नहीं, बल्कि बिहार की मौजूदा राजनीति पर गहरा प्रश्नचिह्न है. नीतीश सरकार के लिए यह आरोप गंभीर चुनौती साबित हो सकते हैं, खासकर तब जब आम जनता पहले से ही भ्रष्टाचार और बदहाली से परेशान है.अब देखना यह होगा कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार इस पर अपनी चुप्पी तोड़ते हैं या इसे भी राजनीति की सामान्य बयानबाजी मानकर अनदेखा कर देते हैं.

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