BJP के साथ जाना यानी मनुवाद को मजबूत करना!
तीसरा पक्ष ब्यूरो पटना,25 सितंबर 2025 —बिहार की राजनीति एक बार फिर चर्चा में है. कांग्रेस प्रवक्ता सुप्रिया श्रीनेत ने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार पर बड़ा राजनीतिक हमला बोला है. उन्होंने अपने X (Twitter) पोस्ट में लिखा कि “नीतीश कुमार BJP के पास गए हैं, तो इसका साफ मतलब है- वो मनुवाद को चलाना चाहते हैं. इस बयान ने ना सिर्फ बिहार बल्कि पूरे देश में राजनीतिक बहस को तेज कर दिया है.
सुप्रिया श्रीनेत का कहना है कि BJP की सरकार गरीबों, पिछड़ों और दलितों के अधिकारों पर चोट करती है, और अगर जनता को अपने अधिकार बचाने हैं तो उन्हें पूरी ताकत से लड़ना होगा.
नीतीश कुमार और BJP की राजनीति
नीतीश कुमार का BJP के साथ संबंध हमेशा उतार-चढ़ाव भरा रहा है. कभी NDA के मजबूत सहयोगी रहे नीतीश, कभी विपक्षी खेमे में भी शामिल हो गया . लेकिन हाल ही में फिर से BJP की तरफ झुकाव उनकी राजनीतिक रणनीति का हिस्सा माना जा रहा है.
सुप्रिया श्रीनेत का आरोप है कि यह कदम सामाजिक न्याय की राजनीति को कमजोर करने वाला है.
सुप्रिया श्रीनेत का हमला
अपने ट्वीट में सुप्रिया श्रीनेत ने साफ कहा:
BJP के साथ जाना यानी मनुवाद को मजबूत करना.
BJP सरकार का मतलब गरीबों, पिछड़ों और दलितों के जीवन पर खतरा.
जनता को अपने अधिकारों के लिए संघर्ष करना होगा.
यह बयान कांग्रेस की उस सोच को भी दर्शाता है जिसमें पार्टी खुद को हमेशा से सामाजिक न्याय और वंचित वर्ग की आवाज़ बताती आई है.
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गरीब, पिछड़े और दलितों का मुद्दा
भारत की राजनीति में गरीबों, पिछड़ों और दलितों का वोट बैंक हमेशा निर्णायक रहा है.
कांग्रेस हो, समाजवादी दल हो या RJD—सभी ने इन्हीं वर्गों की राजनीति पर फोकस किया है.
BJP पर विपक्ष अक्सर आरोप लगाता है कि वह “सवर्ण वर्चस्व और मनुवाद” की राजनीति को बढ़ावा देती है.
सुप्रिया श्रीनेत का बयान इसी पृष्ठभूमि को और मजबूत करता है.
बिहार की राजनीति पर असर
बिहार जैसे राज्य में जहां OBC और दलित वोटर सबसे ज्यादा हैं, वहां इस बयान का खास असर पड़ सकता है.
नीतीश कुमार की छवि “पिछड़ों के नेता” के रूप में रही है.
लेकिन BJP के साथ बार-बार गठजोड़ करने से उनकी विश्वसनीयता पर सवाल उठते रहे हैं.
कांग्रेस और महागठबंधन के अन्य दल इस मुद्दे को जनता के बीच भुनाने की कोशिश करेंगे.
कांग्रेस की रणनीति
कांग्रेस इस समय खुद को एक मजबूत विपक्ष के तौर पर पेश करना चाहती है.
सुप्रिया श्रीनेत जैसे नेता सोशल मीडिया और जमीनी स्तर पर सक्रिय रहते हैं.
उनका यह बयान दिखाता है कि कांग्रेस भाजपा और नीतीश कुमार दोनों को घेरने की रणनीति अपना रही है.
आने वाले चुनावों में यह बयानबाजी जनता के मूड को प्रभावित कर सकती है.
जनता की चुनौती और संघर्ष
सुप्रिया श्रीनेत का संदेश केवल राजनीतिक हमला नहीं बल्कि एक आह्वान भी है.
उन्होंने कहा कि अगर गरीब, दलित और पिछड़े अपने हक के लिए लड़ेंगे तो ही उन्हें न्याय मिलेगा.
यह बात भारतीय लोकतंत्र में जनता की सक्रिय भागीदारी और आंदोलन की ताकत को भी रेखांकित करती है.
निष्कर्ष
सुप्रिया श्रीनेत का यह बयान बिहार की राजनीति में नई हलचल पैदा कर रहा है. नीतीश कुमार का BJP की ओर झुकाव जहां उनके पुराने वोटरों को असमंजस में डाल रहा है, वहीं कांग्रेस इसे “सामाजिक न्याय बनाम मनुवाद” के नैरेटिव में बदलने की कोशिश कर रही है.
आने वाले चुनावों में यह मुद्दा कितना असर डालेगा, यह देखने वाली बात होगी.लेकिन इतना तय है कि गरीबों, पिछड़ों और दलितों के अधिकारों को लेकर राजनीतिक जंग और तेज होने वाली है.
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