भोजपुर में गंगा कटाव त्रासदी: भाकपा (माले) महासचिव दीपंकर भट्टाचार्य का दौरा

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Kumar Ranjit

बिहार
भोजपुर में गंगा कटाव त्रासदी: भाकपा (माले) महासचिव दीपंकर भट्टाचार्य का दौरा

दीपंकर भट्टाचार्य का सरकार पर हमला – राहत-पुनर्वास की स्थिति शर्मनाक

तीसरा पक्ष ब्यूरो भोजपुर, 27 सितंबर 2025—बिहार के भोजपुर जिले का जवइनिया और आसपास का इलाका इन दिनों गंगा नदी के कटाव और बाढ़ की मार झेल रहा है. उपजाऊ जमीन, घर, मवेशी और लोगों की पूरी जीवनभर की पूंजी नदी में समा चुकी है. इस त्रासदी की गंभीरता को देखते हुए भाकपा (माले) महासचिव का. दीपंकर भट्टाचार्य, राज्य सचिव कुणाल और आरा के सांसद सुदामा प्रसाद समेत पार्टी की उच्चस्तरीय टीम ने आज प्रभावित क्षेत्रों का दौरा किया है.इस दौरे ने न सिर्फ पीड़ितों की पीड़ा को सामने रखा बल्कि सरकार की लापरवाही और राहत-पुनर्वास की बदतर स्थिति को भी उजागर किया.

दीपंकर भट्टाचार्य का सरकार पर हमला – राहत-पुनर्वास की स्थिति शर्मनाक

कटाव और बाढ़ से तबाही

गंगा का कटाव भोजपुर क्षेत्र के लिए कोई नई समस्या नहीं है. हर साल दर्जनों गांव प्रभावित होते हैं, लेकिन इस बार स्थिति और भयावह है. जवइनिया और नौरंगा जैसे गांवों का बड़ा हिस्सा नदी में बह चुका है. किसानों की मेहनत की जमीन, गरीबों के घर और पशुधन सबकुछ बर्बाद हो गया है. विस्थापित लोग बांधों और खुले आसमान के नीचे जीवन गुजारने को मजबूर हैं.

भाकपा (माले) का दौरा

भाकपा (माले) का दौरा

27 सितंबर 2025 को भाकपा (माले) के शीर्ष नेताओं की टीम भोजपुर पहुंची. इसमें महासचिव का. दीपंकर भट्टाचार्य, राज्य सचिव कुणाल, आरा सांसद सुदामा प्रसाद, काराकाट विधायक अरुण सिंह, डुमरांव विधायक अजीत कुमार सिंह और अगिआंव विधायक शिवप्रकाश रंजन शामिल रहे.
नेताओं ने घंटों तक कटाव प्रभावित क्षेत्रों का निरीक्षण किया और विस्थापित परिवारों से बातचीत की। ग्रामीणों ने बताया कि सरकारी राहत नाममात्र की है और मुआवजा सूची से असली पीड़ितों के नाम गायब कर दिया गया है .

सरकार की लापरवाही पर भड़के दीपंकर भट्टाचार्य

सरकार की लापरवाही पर भड़के दीपंकर भट्टाचार्य

का. दीपंकर भट्टाचार्य ने साफ कहा कि यह हादसा पूरी तरह से सरकार की लापरवाही का नतीजा है.गंगा कटाव कोई नया मुद्दा नहीं है, लेकिन राज्य और केंद्र सरकार ने अब तक कोई ठोस कदम नहीं उठाया है.
उन्होंने कहा:

ढाई महीने बीत गए, लेकिन न तो पीड़ितों की सूची पूरी हुई है और न ही मुआवजा दिया गया है.

पहली सूची से सैकड़ों असली पीड़ितों के नाम काट दिया गया .

आचार संहिता का बहाना बनाकर राहत शिविर और लंगर बंद करने की साजिश हो रही है.

भट्टाचार्य ने मांग किया कि हर विस्थापित को जमीन के बदले जमीन और घर के बदले घर मिले.पुनर्वास कोई दया नहीं, बल्कि पीड़ितों का अधिकार है.

ट्रिपल इंजन सरकार की नाकामी

भाकपा (माले) नेताओं ने कहा कि राज्य सरकार, केंद्र सरकार और जिला प्रशासन—तीनों स्तर पर विफलता साफ दिख रही है. आरके सिंह जैसे बड़े नेता वर्षों से यहां के सांसद रहे, लेकिन कटाव और राहत की ओर कभी गंभीरता से ध्यान नहीं दिया है.यह स्थिति ट्रिपल इंजन सरकार की जनविरोधी नीति को उजागर करती है.

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सांसद और विधायकों की मांगें

सांसद सुदामा प्रसाद ने कहा कि नीतीश सरकार ने पहले जमीन का पर्चा दिया और बाद में उसे वापस ले लिया, जो गरीबों के साथ सीधा अपमान है. उन्होंने कोइलवर से बक्सर तक पक्का बांध बनाने की मांग रखा है.
अन्य विधायकों ने भी कहा कि पीड़ितों को तत्काल जमीन, मकान, स्वास्थ्य, शिक्षा और पीने के पानी की व्यवस्था करनी होगी.

ग्रामीणों की आवाज

पीड़ित ग्रामीणों ने खुलकर अपनी समस्याएं बताईं.

सियाराम गोंड: राहत के नाम पर लूट, असली पीड़ितों को कुछ नहीं.

मिथिला देवी: सबको जमीन और घर सरकार दे.

नारद चौधरी: पिछले साल जमीन का पर्चा मिला लेकिन कब्जा अब तक नहीं.

लीलावती देवी: इलाज के दौरान घर ढह गया, लेकिन नाम सूची में नहीं.

रामबरन चौधरी: नीतीश कुमार ने वादा किया था, लेकिन अब तक कुछ नहीं हुआ.

मुखिया सुभाष चौधरी: प्रारंभिक सूची में 226 नाम थे, लेकिन केवल 111 को पैसा और 70 को ही जमीन का पर्चा मिला.

इन गवाहियों ने यह साबित कर दिया कि प्रशासन राहत कार्यों में पारदर्शिता और न्याय देने में पूरी तरह असफल रहा है.

निष्कर्ष

भोजपुर का गंगा कटाव केवल प्राकृतिक आपदा नहीं, बल्कि सरकारी उपेक्षा का परिणाम है.विस्थापित परिवार अब आंदोलन की राह पर हैं और भाकपा (माले) उनके साथ खड़ी है.पार्टी ने स्पष्ट कर दिया है कि पुनर्वास और मुआवजा दिलाने के लिए हर स्तर पर संघर्ष किया जाएगा.
इस संकट ने न सिर्फ सरकार की संवेदनहीनता को उजागर किया है, बल्कि यह भी साबित कर दिया है कि जब तक जनता संगठित होकर अपनी मांगों को नहीं उठाएगी, तब तक न्याय मिलना मुश्किल है.

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