मंत्रियों पर लगे भ्रष्टाचार के गंभीर आरोपों पर भाजपा-जदयू की चुप्पी पर सवाल

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Ajit Kumar

बिहार
मंत्रियों पर लगे भ्रष्टाचार के गंभीर आरोपों पर भाजपा-जदयू की चुप्पी पर सवाल

माले महासचिव दीपंकर भट्टाचार्य ने साधा निशाना – जनता जवाब चाहती है

तीसरा पक्ष ब्यूरो पटना, 30 सितंबर 2025 – बिहार की राजनीति में इन दिनों भ्रष्टाचार और आरोप-प्रत्यारोप का दौर तेज़ होता जा रहा है. माले (भाकपा-माले) महासचिव का. दीपंकर भट्टाचार्य ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में भाजपा-जदयू सरकार की चुप्पी पर गंभीर सवाल खड़ा किया है .उन्होंने कहा कि बिहार में संस्थागत भ्रष्टाचार इस कदर बढ़ गया है कि अब बिना घूस दिए कोई काम नहीं होता है.

दीपंकर भट्टाचार्य ने आरोप लगाया कि हाल ही में कैग (CAG) की रिपोर्ट में सामने आया कि बिहार सरकार लगभग 70 हजार करोड़ रुपये का हिसाब देने में नाकाम रहा है. इतनी बड़ी अनियमितता के बावजूद सरकार की ओर से न तो कोई सफाई आई और न ही कोई कार्रवाई हुई.

प्रशांत किशोर के आरोपों से बढ़ी हलचल

राजनीतिक रणनीतिकार और जन सुराज आंदोलन के संस्थापक प्रशांत किशोर ने हाल ही में सरकार के मंत्रियों और अफसरों पर भ्रष्टाचार के गंभीर आरोप लगाए. हैरानी की बात यह रही कि इन आरोपों पर भाजपा और जदयू दोनों ही दलों ने अब तक कोई ठोस प्रतिक्रिया नहीं दी है.

दीपंकर भट्टाचार्य ने कहा कि –

“एक समय था जब मुख्यमंत्री नीतीश कुमार भ्रष्टाचार पर ज़ीरो टॉलरेंस की बात करते थे और गठबंधन तक तोड़ देते थे.लेकिन आज जब उनके ही मंत्रियों और नेताओं पर आरोप लग रहे हैं, तब मुख्यमंत्री मौन हैं और पार्टी का शीर्ष नेतृत्व भी चुप है.

केवल जदयू के कुछ प्रवक्ता मीडिया में सफाई देते दिख रहे हैं, लेकिन जनता को ठोस जवाब अभी भी नहीं मिला है .

प्रशांत किशोर की कमाई पर उठे सवाल

प्रशांत किशोर की कमाई पर उठे सवाल

प्रशांत किशोर ने स्वयं खुलासा किया कि पिछले तीन सालों में उन्हें 240 करोड़ रुपये की आय हुई, जो उन्होंने राजनीतिक दलों और कंपनियों को सलाह देने के बदले कमाई.

लेकिन यहां कई सवाल खड़े होते हैं –

उनका आखिरी बड़ा चुनावी प्रबंधन 2021 के बंगाल विधानसभा चुनाव में था.

इसके बाद से वे बिहार में जन सुराज की संगठनात्मक गतिविधियों में जुटे हुए हैं.

ऐसे में तीन सालों में 240 करोड़ रुपये की कमाई कहां से और कैसे हुई?

क्या यह पैसा भाजपा को 2024 के लोकसभा चुनाव में 400 से अधिक सीटें दिलवाने की रणनीति का हिस्सा था?

किन कंपनियों को उन्होंने सलाह दी, और वे कंपनियां किस क्षेत्र से जुड़ी हैं?

इन सवालों पर अभी तक प्रशांत किशोर की ओर से कोई स्पष्ट जवाब नहीं मिला है.

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अडाणी समूह को जमीन और सलाह का विवाद

माले महासचिव ने यह भी आरोप लगाया कि अडाणी समूह को पीरपैंती में 1 रुपये सालाना की दर पर 1050 एकड़ जमीन उपलब्ध कराई जा रही है. उन्होंने सवाल उठाया कि क्या यह योजना भी प्रशांत किशोर की सलाह पर आधारित है?

अगर ऐसा है, तो जनता को जानने का हक है कि प्रशांत किशोर किस प्रकार की कंपनियों और प्रोजेक्ट्स को समर्थन दे रहे हैं.

असली मुद्दों से भटक रही है राजनीति

दीपंकर भट्टाचार्य ने कहा कि भ्रष्टाचार और पैसों की सनसनीखेज बहस से बिहार विधानसभा चुनाव के असली मुद्दे कहीं खो रहे हैं.उन्होंने कहा –

बेरोजगारी ,पलायन

कर्ज और किसान संकट

शिक्षा और स्वास्थ्य की बदहाली

अपराध और सुरक्षा की स्थिति

ये ऐसे विषय हैं जो बिहार की जनता के जीवन से सीधे जुड़े हैं.लेकिन भ्रष्टाचार के आरोप और सलाहकारों की कमाई की चर्चाओं में जनता के वास्तविक मुद्दे पीछे छूटते जा रहे हैं.

चुनाव बदलाव के लिए, सनसनी के लिए नहीं

प्रेस वार्ता के अंत में माले महासचिव ने साफ कहा – “चुनाव केवल आरोप-प्रत्यारोप और सनसनी के लिए नहीं होते. इस बार का चुनाव बिहार और सरकार को बदलने के लिए है. जनता को असली मुद्दों पर चर्चा चाहिए, न कि केवल पैसों और आरोपों की राजनीति.

निष्कर्ष

बिहार की राजनीति में भ्रष्टाचार, सत्ता की चुप्पी और रणनीतिकारों की कमाई पर सवालों ने नई बहस को जन्म दिया है.एक ओर भाजपा-जदयू सरकार पर भ्रष्टाचार के गंभीर आरोप हैं, वहीं दूसरी ओर प्रशांत किशोर की 240 करोड़ रुपये की आय ने कई रहस्यों को उजागर कर दिया है.

जनता अब इंतजार कर रही है कि –

सरकार इन आरोपों पर कब और कैसे जवाब देती है?

प्रशांत किशोर अपनी कमाई और सलाहकार गतिविधियों का खुलासा करते हैं या नहीं?

लेकिन सबसे अहम यह है कि आने वाले विधानसभा चुनाव में जनता असली मुद्दों – बेरोजगारी, शिक्षा, पलायन और भ्रष्टाचार – को केंद्र में रखकर अपना फैसला करेगी.

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