Bihar Voter list 2025: ज्ञानेश कुमार की नदारद और पारदर्शिता पर सवाल

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Ajit Kumar

बिहार
Bihar Voter list 2025: ज्ञानेश कुमार की नदारद और पारदर्शिता पर सवाल

ज्ञानेश कुमार की नदारद ने जनता और विपक्ष के सवालों को और बढ़ा दिया

तीसरा पक्ष ब्यूरो पटना,1 अक्टुबर 2025 – बिहार की आखिरी वोटर लिस्ट जारी होने के साथ ही राज्य में चुनावी प्रक्रिया और प्रशासनिक पारदर्शिता पर नये सवाल उठ खड़ा हुआ है.डॉ. रागिनी नायक (@NayakRagini) ने अपने X (पूर्व Twitter) पोस्ट में इसे लेकर कड़ी प्रतिक्रिया दी, जिसमें मतदाता सूची में विसंगतियों और ज्ञानेश कुमार की नदारद को लेकर कई गंभीर सवाल उठाया गया है.

राजनीतिक और प्रशासनिक हलकों में इस ट्वीट ने काफी हलचल मचा दिया है .आइए जानते हैं पूरी स्थिति और इसके निहितार्थ.

वोटर लिस्ट में विसंगतियाँ

बिहार में जारी वोटर लिस्ट 2025 में कई ऐसे मुद्दे सामने आये हैं, जो जनता और विपक्ष के लिए चिंता का विषय बना हुआ है .

First Time Voter (फॉर्म 6 के माध्यम से) लाखों नए मतदाता जोड़े गये हैं, लेकिन उनकी सटीक उम्र का विवरण उपलब्ध नहीं कराया गया है .

कई नाम मृतक बताकर काटे गए, पर मृत्यु प्रमाण पत्र सार्वजनिक नहीं किया गया.

घुसपैठियों के नाम को लेकर भी अस्पष्टता बनी हुई है; कई लोग यह सवाल कर रहे हैं कि आखिर कौन-कौन इस सूची में शामिल या बाहर किया गया है.

डॉ. रागिनी नायक ने अपने ट्वीट में लिखा है कि,
“घुसपैठिया-घुसपैठिया चिल्लाएँगे पर लिस्ट में नाम नहीं बताएँगे.

इससे स्पष्ट होता है कि वोटर लिस्ट में पारदर्शिता की कमी ने जनता और विपक्ष के बीच भरोसे की समस्या पैदा कर दिया है .

ज्ञानेश कुमार की प्रेसवार्ता में नदारदगी

डॉ. रागिनी ने अपने ट्वीट में यह भी सवाल उठाया कि ज्ञानेश कुमार, जो आमतौर पर प्रेसवार्ता में शायरी और ज्ञान की गंगा बहाने के लिए जाने जाते हैं, इस समय कहां हैं और क्यों नदारद हैं.

जब वोटर लिस्ट में भ्रामक स्थिति स्पष्ट होने का समय था, तब ज्ञानेश कुमार की प्रेसवार्ता में गैरमौजूदगी ने राजनीतिक हलकों में अटकलों को जन्म दिया.

डॉ. रागिनी के अनुसार, जैसे मोदी जी प्रेसवार्ता के नाम से कांपते हैं, उसी तरह उनका प्रभाव अब ज्ञानेश कुमार पर भी दिखाई दे रहा है.

ट्वीट में व्यंग्यात्मक अंदाज में लिखा गया:
“जितनी चाबी भरेंगे मोदी, ज्ञानेश उतनी कलम चलाएँगे, इसलिए गंगाधर शक्तिमान कहलाएँंगे”

इस तरह की टिप्पणियों ने मीडिया और जनता का ध्यान इस मुद्दे की गंभीरता की ओर आकर्षित किया.

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मतदाता अधिकार और पारदर्शिता का महत्व

मतदाता अधिकार और वोटर लिस्ट की पारदर्शिता लोकतंत्र के मूल स्तंभ हैं.

पहली बार वोट देने वाले युवाओं की संख्या और विवरण स्पष्ट होना चाहिये .

मृतक दिखा कर नाम हटाने की प्रक्रिया में सत्यापन और प्रमाण का होना अनिवार्य है.

चुनाव आयोग और प्रशासन को सभी तथ्य और दस्तावेज जनता के सामने प्रस्तुत करने चाहिये.

डॉ. रागिनी के अनुसार, यह समय है जब अगर-परंतु, किन्तु-लेकिन की बातें छोड़कर साफ़गोई और जवाबदेही का माहौल बनाना चाहिये.

राजनीतिक और प्रशासनिक प्रतिक्रिया

बिहार की राजनीतिक परिदृश्य में इस मुद्दे पर प्रतिक्रिया तेजी से आ रही है.

विपक्ष ने मतदाता सूची में अनियमितताओं को लेकर सवाल उठाया हैं.

जनता और प्रेस ने पारदर्शिता और जवाबदेही की मांग की है.

प्रशासनिक स्तर पर सत्यापन और प्रमाण के बिना कोई कार्रवाई विवादास्पद मानी जा सकती है.

इस स्थिति में साफ़गोई और सभी तथ्यों को सार्वजनिक करना ही लोकतंत्र और मतदाता अधिकारों की रक्षा सुनिश्चित कर सकता है.

निष्कर्ष

बिहार वोटर लिस्ट 2025 ने कई महत्वपूर्ण सवाल खड़ा कर दिया हैं.

लाखों First Time Voter के डेटा में पारदर्शिता की कमी.

मृतक नाम हटाने की प्रक्रिया में प्रमाणों का अभाव.

ज्ञानेश कुमार की नदारद ने जनता और विपक्ष के सवालों को और बढ़ा दिया.

यह समय है कि चुनाव आयोग, राज्य प्रशासन, और केंद्र सरकार मिलकर सभी तथ्य और दस्तावेज सार्वजनिक करें. इससे न केवल मतदाता अधिकारों की रक्षा होगी बल्कि जनता का भरोसा भी मजबूत होगा.

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