सीपीआई(एमएल) माले की चुनाव आयोग से मुलाकात: चुनाव प्रक्रिया पर उठाए अहम सवाल

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Ajit Kumar

बिहार
सीपीआई(एमएल) माले की चुनाव आयोग से मुलाकात: चुनाव प्रक्रिया पर उठाए अहम सवाल

एसआईआर सूची में पारदर्शिता और कमजोर वर्गों के अधिकार की गारंटी हो

तीसरा पक्ष ब्यूरो पटना,4 अक्टूबर 2025 — पटना में आज चुनाव आयोग के तीनों आयुक्तों—मुख्य चुनाव आयुक्त ज्ञानेश कुमार सहित—ने मान्यता प्राप्त राजनीतिक दलों से मुलाक़ात और वार्ता का आयोजन किया है. इसी क्रम में सीपीआई(एमएल) माले का तीन सदस्यीय प्रतिनिधिमंडल—कामरेड संतोष सहर, कामरेड कुमार परवेज और कामरेड रणविजय कुमार—ने आयोग के समक्ष कई गंभीर मुद्दे रखे.

एसआईआर (SIR) सूची पर सवाल

सीपीआई(एमएल) ने सबसे पहले एसआईआर की फाइनल सूची को लेकर कई आपत्तियाँ दर्ज कराईं.

ड्राफ्ट सूची से 65 लाख नाम हटाए गए थे, जिनमें से बाद में 3.66 लाख नाम स्थायी रूप से काट दिया गया था .लेकिन यह साफ़ नहीं किया गया कि किस आधार पर इन्हें हटाया गया.

पार्टी ने मांग किया कि हटाए गए सभी मतदाताओं की पूरी सूची बूथवार कारण सहित सार्वजनिक की जाए, जैसा कि सुप्रीम कोर्ट के हस्तक्षेप पर पहले किया गया था.

इसके अलावा लगभग 21 लाख नए मतदाताओं को जोड़े जाने पर भी सवाल उठाया गया. पार्टी ने कहा कि पुराने मतदाताओं के नाम, जो दावा-आपत्ति के बाद वापस शामिल हुआ हैं, उनका भी स्पष्ट और बूथवार सूची उपलब्ध कराई जाए.

महिला मतदाताओं की संख्या में गिरावट

पार्टी ने यह भी मुद्दा उठाया कि बिहार की जनगणना में पुरुष-महिला अनुपात 914 है, जबकि एसआईआर में यह घटकर 892 रह गया है. यानी महिला मतदाताओं की संख्या में भारी गिरावट आई है.पार्टी ने आयोग से पूछा कि आखिर ऐसा क्यों हुआ और इस पर पारदर्शी स्पष्टीकरण कब तक मिलेगा.

नागरिकता संदिग्ध मतदाता

कुछ अखबारों में छपी रिपोर्ट के अनुसार 6,000 लोगों की नागरिकता संदिग्ध बताई जा रही है.सीपीआई(एमएल) ने मांग किया कि इन सभी लोगों की सूची और नागरिकता संदिग्ध घोषित करने का आधार सार्वजनिक किया जाए.

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चुनाव प्रक्रिया को लेकर सीपीआई(एमएल) की मांगें

चुनाव दो चरणों में हों

    पार्टी ने कहा कि कई चरणों में चुनाव होने से यह प्रक्रिया बोझिल, खर्चीली और थकाऊ हो जाती है, खासकर छोटे दलों के लिए. इसलिए बिहार विधानसभा चुनाव केवल दो चरणों में कराए जाएं.

    अधिकारियों की निष्पक्ष नियुक्ति

      कई जिलों से शिकायतें मिल रही हैं कि दलित, मुस्लिम और कमजोर वर्गों से आने वाले वरिष्ठ अधिकारियों को नजरअंदाज करके, प्रभावशाली समुदायों से आने वाले अधिकारियों को पर्याडिंग ऑफिसर बनाया जा रहा है. सीपीआई(एमएल) ने आयोग से ऐसी प्रवृत्ति पर तुरंत रोक लगाने और निष्पक्ष नियुक्ति सुनिश्चित करने की मांग की है .

      फॉर्म 17C की गारंटी

        पोलिंग एजेंट्स को फॉर्म 17C देना चुनावी प्रक्रिया का हिस्सा है, लेकिन वास्तविकता यह है कि अधिकांश बूथों पर यह फॉर्म एजेंट को नहीं दिया जाता है. इससे चुनाव की पारदर्शिता पर गंभीर सवाल उठता हैं. पार्टी ने मांग किया कि चुनाव आयोग इस पर सख्ती बरते और हर बूथ पर 17C फॉर्म की गारंटी करे.

        दलित-मुस्लिम इलाकों में बूथ और चलंत बूथ की व्यवस्था

          सीपीआई(एमएल) ने कहा कि कमजोर वर्गों और अल्पसंख्यक समुदायों के वोटरों के लिए बूथ उनके मोहल्लों में ही बनाए जाएं ताकि मतदान में किसी तरह की बाधा न हो.यदि सरकारी भवन उपलब्ध न हों तो मोबाइल (चलंत) बूथ की व्यवस्था की जाए.

          निष्कर्ष

          सीपीआई(एमएल) माले ने चुनाव आयोग से स्पष्ट कहा कि चुनावी प्रक्रिया में पारदर्शिता और निष्पक्षता तभी संभव है जब एसआईआर सूची पूरी तरह सार्वजनिक हो, महिला मतदाताओं की संख्या में कमी का जवाब दिया जाए, और कमजोर समुदायों के अधिकारों की रक्षा की जाए.

          पार्टी का कहना है कि यदि इन बिंदुओं पर कार्रवाई नहीं होती तो आम जनता का चुनाव प्रक्रिया से विश्वास उठ सकता है. इसलिए आयोग को चाहिए कि इन सभी मुद्दों पर तुरंत कदम उठाए और लोकतांत्रिक प्रक्रिया को मजबूत बनाए.

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