एजाज अहमद का आरोप, कहा—SIR रिपोर्ट में छिपाया गया सच
तीसरा पक्ष ब्यूरो पटना,5 अक्टूबर 2025— बिहार की राजनीति में एक बार फिर से चुनाव आयोग और राष्ट्रीय जनता दल (RJD) आमने-सामने दिखाई दे रहे हैं. बिहार प्रदेश RJD के प्रवक्ता एजाज अहमद ने चुनाव आयोग द्वारा जारी की गई SIR (Special Intensive Revision) रिपोर्ट को लेकर गंभीर आरोप लगाए हैं.उनका कहना है कि आयोग द्वारा दी जा रही जानकारी सच पर आधारित नहीं है, बल्कि उसमें कई महत्वपूर्ण तथ्यों को छिपाया गया है.
एजाज अहमद ने कहा कि चुनाव आयोग की रिपोर्ट में जिन दावों का ज़िक्र किया गया है, वे ज़मीनी सच्चाई से मेल नहीं खाता है. उन्होंने बताया कि पहले चरण में 65 लाख वोटरों के नाम डिलीट किया गया, और उसके बाद तीन लाख 66 हजार वोटरों के नाम और हटाया गया . लेकिन इन डिलीशन के पीछे का कारण, प्रक्रिया और सत्यापन की कोई पारदर्शिता नहीं दिखाई दिया है .
जिंदा को मृतक, और मृतक को जिंदा दिखाया गया
राजद प्रवक्ता ने आयोग की कार्यशैली पर गंभीर टिप्पणी करते हुए कहा कि “जो जिंदा व्यक्ति हैं उनके नाम मृतकों की सूची में डाल दिया गया , और जो मृतक हैं उन्हें जिंदा लिस्ट में दिखाया गया. उन्होंने इसे एक प्रशासनिक लापरवाही और गंभीर चूक बताया, जिससे लाखों मतदाताओं के मतदान अधिकार प्रभावित हो सकता हैं.
एजाज अहमद ने कहा कि इस तरह की त्रुटियाँ केवल तकनीकी गलती नहीं, बल्कि सिस्टम की निष्पक्षता पर सवाल उठाता हैं.चुनाव आयोग को पहले यह सुनिश्चित करना चाहिए था कि मतदाता सूची में इस तरह की विसंगतियाँ दूर की जाएँ, न कि बीएलओ की बिना कारण प्रशंसा किया जाये .
BLO की तारीफ से पहले जांच जरूरी: RJD का तर्क
RJD नेता ने कहा कि आयोग को पहले यह देखना चाहिये कि ड्राफ्ट लिस्ट में जो गलतियाँ थीं, वे फाइनल लिस्ट में भी बरकरार हैं. कई जगहों पर एक ही घर के पते पर 200 से अधिक वोटर दर्ज पाए गए हैं. यह दर्शाता है कि SIR रिपोर्ट को तैयार करने में गंभीरता की कमी रही.
उनका कहना था कि इस पूरी प्रक्रिया में चुनाव आयोग ने न तो सत्यापन की सही व्यवस्था की, और न ही मतदाता सूची की शुद्धता पर ध्यान दिया है. इससे यह साफ झलकता है कि आयोग की प्राथमिकता पारदर्शिता नहीं, बल्कि औपचारिकता निभाना मात्र थी.
सर्वोच्च न्यायालय के दिशा-निर्देशों का उल्लंघन?
एजाज अहमद ने आगे कहा कि इस मामले में चुनाव आयोग ने माननीय सर्वोच्च न्यायालय के दिशा-निर्देशों का पालन नहीं किया है.उन्होंने कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने बार-बार यह स्पष्ट किया है कि मतदाता सूची की शुद्धता और पारदर्शिता लोकतांत्रिक प्रक्रिया की नींव है. लेकिन बिहार में जारी SIR रिपोर्ट में इन सिद्धांतों की पूरी तरह अनदेखी किया गया है .
राजद प्रवक्ता ने मांग किया है कि इस पूरे मामले की स्वतंत्र जांच कराया जाये ताकि जनता को यह पता चल सके कि इतनी बड़ी संख्या में मतदाताओं के नाम क्यों और कैसे हटाया गया.
ये भी पढ़े :बिहार में भ्रष्टाचार का भयंकर स्वरूप: जनता के विश्वास की गिरती नींव
ये भी पढ़े :पीएम मोदी की वर्चुअल मीटिंग पर एजाज अहमद का कटाक्ष
वोटर लिस्ट की गड़बड़ी से लोकतंत्र पर असर
विशेषज्ञों का कहना है कि मतदाता सूची में इस तरह की गड़बड़ी केवल प्रशासनिक त्रुटि नहीं, बल्कि यह लोकतांत्रिक अधिकारों पर सीधा प्रहार है. जब किसी जीवित व्यक्ति का नाम सूची से हटा दिया जाता है या मृतक का नाम उसमें बना रहता है, तो यह चुनाव की विश्वसनीयता को प्रभावित करता है.
बिहार जैसे राजनीतिक रूप से सक्रिय राज्य में, जहां हर वोट मायने रखता है, वहां SIR रिपोर्ट की पारदर्शिता पर सवाल उठना स्वाभाविक है.RJD ने यह भी संकेत दिया है कि वे इस मुद्दे को राजनीतिक और कानूनी दोनों स्तरों पर उठाएंगे.
चुनाव आयोग पर जनता की नज़र
अब सभी की निगाहें इस बात पर टिकी हैं कि चुनाव आयोग इन आरोपों पर क्या रुख अपनाता है. क्या आयोग इस मामले में स्पष्टीकरण जारी करेगा, या फिर यह विवाद और गहराएगा?
राजद प्रवक्ता का यह बयान निश्चित रूप से आने वाले बिहार विधानसभा चुनावों से पहले माहौल को और गरमाने वाला है. विपक्ष लगातार यह कहता आया है कि वोटर लिस्ट में हेरफेर लोकतंत्र के लिए सबसे बड़ा खतरा है.
निष्कर्ष
RJD प्रवक्ता एजाज अहमद द्वारा उठाए गए सवाल केवल राजनीतिक नहीं, बल्कि लोकतंत्र की जड़ से जुड़े हैं.
अगर वाकई लाखों मतदाताओं के नाम बिना पारदर्शी प्रक्रिया के हटाए गए हैं, तो यह मामला देश के चुनावी ढांचे पर गंभीर सवाल खड़ा करता है.
चुनाव आयोग को चाहिए कि वह इस पर तथ्यात्मक रिपोर्ट जारी करे, ताकि जनता का भरोसा कायम रह सके.

I am a blogger and social media influencer. I have about 5 years experience in digital media and news blogging.



















