माले विधायकों की कार्य रिपोर्ट का लोकार्पण
तीसरा पक्ष ब्यूरो पटना, 5 अक्टूबर 2025 — भारतीय राजनीति में अक्सर जनता के बीच यह सवाल उठता है कि चुनाव जीतने के बाद उनके प्रतिनिधि आखिर जनता के लिए क्या कर रहे हैं? इसी प्रश्न का जवाब देने के लिए भाकपा (माले) ने एक अनोखी पहल की है.पार्टी के महासचिव का. दीपंकर भट्टाचार्य 6 अक्टूबर से बिहार के जिलों का दौरा शुरू करने जा रहे हैं, जहां वे पार्टी विधायकों की कार्य रिपोर्ट का लोकार्पण करेंगे.
यह रिपोर्ट कार्ड जनता के प्रति जवाबदेही और पारदर्शिता का प्रतीक माना जा रहा है
कार्यक्रम का विवरण: तीन जिलों में रिपोर्ट लोकार्पण
इस जनपहल के तहत 6 अक्टूबर को अरवल, 7 अक्टूबर को सिवान जिले के दरौली, और 9 अक्टूबर को पटना जिले के फुलवारी विधानसभा क्षेत्र में विधायकों की कार्य रिपोर्ट का लोकार्पण किया जायेगा.
हर जिले में आयोजित इस कार्यक्रम में स्थानीय जनता, कार्यकर्ता, पार्टी के विधायक और नेतृत्व बड़ी संख्या में मौजूद रहेंगे.
इन रिपोर्टों में विधायकों द्वारा अपने कार्यकाल के दौरान किए गए विकास कार्यों, जनसंपर्क अभियानों, आंदोलन, और विधानसभा में उठाए गए सवालों का विस्तृत ब्यौरा दिया गया है.
माले का मानना है कि, जनता ही असली मालिक है, और इसलिए जनता को यह जानने का अधिकार है कि उनके चुने गए प्रतिनिधि ने उनके लिए क्या काम किया.
जनता के प्रति जवाबदेही: माले की विशिष्ट पहचान
माले महासचिव दीपंकर भट्टाचार्य ने कहा कि,
“जनता ही हमारे संघर्षों की प्रेरणा और दिशा तय करती है. हम जनता के प्रति जवाबदेह हैं और जनता के बीच जाकर ही अपनी उपलब्धियाँ और कमियाँ साझा करेंगे.
यह वक्तव्य सिर्फ एक औपचारिक घोषणा नहीं बल्कि माले की राजनीतिक विचारधारा का मूल है.
भाकपा (माले) हमेशा से जनआंदोलनों, किसान-मजदूरों के अधिकारों और सामाजिक न्याय की लड़ाई से जुड़ी रही है. ऐसे में जनता के बीच जाकर रिपोर्ट पेश करना पारदर्शिता की दिशा में एक बड़ा कदम माना जा रहा है.
विधायक रिपोर्ट कार्ड: पारदर्शिता की दिशा में प्रयोग
माले विधायकों की रिपोर्ट कार्ड में उन सभी पहलुओं को शामिल किया गया है जो एक विधायक की सक्रियता को परिभाषित करते हैं.
इसमें शामिल हैं:
क्षेत्र में किए गए विकास कार्य और योजनाएँ
जनता से जुड़ने के जनसंपर्क अभियान
विधानसभा में उठाए गए मुद्दे
और जनता के सवालों पर आंदोलन और संघर्ष.
यह रिपोर्ट कार्ड न केवल कार्यों की जानकारी देगा बल्कि जनता को यह भी बताएगा कि किन क्षेत्रों में सुधार की आवश्यकता है.
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पारदर्शी राजनीति की मिसाल
राजनीति में पारदर्शिता अक्सर एक खोखला शब्द बनकर रह जाता है, लेकिन माले की यह पहल इसे जमीन पर उतारने का प्रयास है.
लोकतंत्र तभी मजबूत होता है जब जनप्रतिनिधि जनता के प्रति जवाबदेह हों.
इस पहल से न केवल माले की साख जनता के बीच मजबूत होगी, बल्कि अन्य राजनीतिक दलों के लिए भी यह एक प्रेरणा बन सकती है.
जनता की भागीदारी से बनेगा भरोसे का पुल
इन कार्यक्रमों में स्थानीय नागरिकों की उपस्थिति यह दर्शाएगी कि जनता अब अपने नेताओं से केवल वादे नहीं, बल्कि काम का सबूत चाहती है.
माले का यह कदम जनता और जनप्रतिनिधियों के बीच भरोसे का पुल बनाने का कार्य करेगा.
राजनीति में ऐसी पहलें लोकतांत्रिक मूल्यों को और मजबूत करती हैं.
निष्कर्ष: जवाबदेही की राजनीति की ओर एक बड़ा कदम
भाकपा (माले) की यह पहल केवल एक राजनीतिक कार्यक्रम नहीं, बल्कि लोकतांत्रिक जवाबदेही और पारदर्शिता की दिशा में आंदोलन है.
विधायकों की कार्य रिपोर्ट जनता के हाथ में सौंपकर पार्टी यह संदेश दे रही है कि,
जनता ही सर्वोपरि है, और जनता के प्रति ईमानदारी ही सच्ची राजनीति है.
6 से 9 अक्टूबर तक चलने वाली यह श्रृंखला न केवल बिहार की राजनीति में नई परंपरा स्थापित करेगी, बल्कि जनता और प्रतिनिधियों के बीच विश्वास की नई कहानी भी लिखेगी.

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