चुनाव आयोग ने सुप्रीम कोर्ट की अवहेलना की: माले

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Ajit Kumar

बिहार
चुनाव आयोग ने सुप्रीम कोर्ट की अवहेलना की: माले

दीपंकर भट्टाचार्य ने कहा— लोकतंत्र पर सीधा हमला

तीसरा पक्ष ब्यूरो पटना,6 अक्टूबर 2025—भाकपा (माले) महासचिव का. दीपंकर भट्टाचार्य ने एक गंभीर बयान में कहा कि आज शाम चुनाव आयोग ने सुप्रीम कोर्ट की अवहेलना करते हुए चुनाव की तिथियों की घोषणा कर दी, जबकि कल ही इस मामले पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई होनी है.
उन्होंने कहा कि यह कदम न केवल संविधान की मर्यादा का उल्लंघन है, बल्कि यह लोकतंत्र की आत्मा पर सीधा प्रहार भी है. उन्होंने सवाल उठाया कि जब देश की सर्वोच्च अदालत किसी संवैधानिक मुद्दे पर सुनवाई कर रही है, तब चुनाव आयोग को इतनी जल्दबाज़ी क्यों थी?

एसआईआर के नाम पर वोटबंदी और वोटचोरी का कुचक्र

दीपंकर भट्टाचार्य ने कहा कि बिहार में एसआईआर के नाम पर वोटबंदी और वोटचोरी का एक खतरनाक कुचक्र रचा गया था.
उन्होंने बताया कि,

मतदाता सूची में दस में से नौ लोगों के नाम अब बचे हुए हैं, जबकि साजिश तो दस में से पाँच लोगों के नाम काट देने का था.

उन्होंने कहा कि भाकपा (माले) ने इस साजिश के खिलाफ सड़क से लेकर संसद और सुप्रीम कोर्ट तक लड़ाई लड़ी है.जनता के दबाव और आंदोलन के कारण ही आयोग को पीछे हटना पड़ा है.
दीपंकर ने साफ कहा है कि,

हमारा संघर्ष यहीं खत्म नहीं होगा। यह लड़ाई लोकतंत्र को बचाने की है और इसे अंतिम मंज़िल तक पहुँचाया जाएगा.

डबल इंजन सरकार के राज में ‘नोट चोरी से लेकर जमीन चोरी’ तक का खेल

भट्टाचार्य ने बिहार की मौजूदा एनडीए सरकार पर तीखा हमला बोलते हुए कहा कि पिछले बीस वर्षों से चल रही डबल इंजन सरकार में नोट चोरी, वोट चोरी, आरक्षण चोरी और जमीन चोरी का खेल बेधड़क चलता रहा है.
उन्होंने कहा कि,

बिहार की सरकार ने जनता के अधिकारों के लूट को ही अपना शासन मॉडल बना लिया है.अब जब चुनाव नज़दीक हैं, तो वही सरकार घूस और प्रलोभन देकर सत्ता में बने रहने की साजिश रच रही है.

उन्होंने जनता से अपील करते हुए कहा है कि अब समय आ गया है कि जनता इन भ्रष्ट ताकतों को सबक सिखाए और लोकतंत्र को बचाने के लिए आगे आये.

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जनता का जागरूक होना ही सबसे बड़ा जवाब

दीपंकर भट्टाचार्य ने कहा कि आज देश का लोकतंत्र एक नाज़ुक मोड़ पर खड़ा है.
उन्होंने आगे कहा कि,

जब संस्थाएं अपनी विश्वसनीयता खो देती हैं, तब जनता का संघर्ष ही लोकतंत्र को बचा सकता है. बिहार की जनता जागरूक है, और वह किसी भी कीमत पर वोट चोरों को सत्ता में नहीं आने देगी.

उन्होंने विश्वास जताया कि बिहार की जनता इस बार भी मोदी-नीतीश की डबल इंजन सरकार को करारा जवाब देगी और भ्रष्ट शासन से मुक्ति दिलाएगी.

भाकपा (माले) का संदेश: संघर्ष जारी रहेगा

माले महासचिव ने अपने संबोधन के अंत में कहा कि यह लड़ाई केवल चुनावी नहीं है.
यह संविधान की रक्षा, जनाधिकारों की सुरक्षा, और लोकतंत्र की गरिमा बनाए रखने की लड़ाई है.
उन्होंने कहा कि ,

हमने हमेशा सड़कों पर संघर्ष किया है, और आगे भी करेंगे.चाहे वोट चोरी हो, आरक्षण पर हमला हो या जमीन हड़पने की साजिश — भाकपा (माले) हर अन्याय के खिलाफ डटेगी.

बिहार की जनता के नाम अपील

दीपंकर भट्टाचार्य ने कहा कि अब बिहार के लोगों को तय करना होगा कि वे भ्रष्टाचार, चोरी और अन्याय के खिलाफ खड़े होंगे या फिर चुप रहकर इस व्यवस्था का हिस्सा बन जाएंगे.
उन्होंने कहा कि,

हम चाहते हैं कि बिहार एक ऐसा राज्य बने जहाँ संविधान सर्वोपरि हो, जहाँ हर नागरिक का वोट और अधिकार सुरक्षित हो.

निष्कर्ष: लोकतंत्र की रक्षा के लिए जनता की भूमिका जरूरी

का. दीपंकर भट्टाचार्य का यह बयान स्पष्ट करता है कि आज की सबसे बड़ी जरूरत लोकतांत्रिक संस्थाओं की जवाबदेही और पारदर्शिता है.
जब चुनाव आयोग जैसी संवैधानिक संस्था ही विवादों में घिर जाए, तो जनता का भरोसा टूटने लगता है.
ऐसे समय में जनता का जागरूक और संगठित रहना ही लोकतंत्र की सबसे बड़ी ताकत है.

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