बहुजन नायक मान्यवर कांशीराम साहेब जी को श्रद्धांजलि

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kmSudha

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बहुजन नायक मान्यवर कांशीराम साहेब जी को श्रद्धांजलि

बहुजन चेतना के जनक कांशीराम: मायावती से लेकर हर कार्यकर्ता तक की प्रेरणा

तीसरा पक्ष ब्यूरो पटना,9 अक्टूबर 2025 — आज का दिन बहुजन समाज के इतिहास में अत्यंत महत्वपूर्ण है. आज बहुजन नायक, समाज सुधारक, और भारतीय राजनीति के महान परिवर्तनकारी नेता मान्यवर कांशीराम साहेब जी की 19वीं पुण्यतिथि है.
वे सिर्फ एक व्यक्ति नहीं, बल्कि एक विचार थे एक ऐसा विचार जिसने सदियों से वंचित, शोषित और उपेक्षित समाज को जगाने का कार्य किया.

बहुजन चेतना के जनक कांशीराम: मायावती से लेकर हर कार्यकर्ता तक की प्रेरणा

संघर्ष से नेतृत्व तक का सफर

कांशीराम जी का जन्म 15 मार्च 1934 को पंजाब के रोपड़ जिले में एक साधारण परिवार में हुआ था. बचपन से ही उनमें सामाजिक असमानता और अन्याय के प्रति गहरा आक्रोश था. उन्होंने अपनी शिक्षा पूरी करने के बाद सरकारी नौकरी की, लेकिन वहां उन्हें जातिगत भेदभाव का सामना करना पड़ा.
यही घटना उनके जीवन का टर्निंग पॉइंट बनी.उन्होंने तय किया कि अब वे व्यक्तिगत सफलता नहीं, बल्कि सामूहिक मुक्ति के लिए जीवन समर्पित करेंगे.

BAMCEF से DS-4 तक: जागरण की मशाल

1971 में कांशीराम जी ने BAMCEF (Backward And Minority Communities Employees Federation) की स्थापना किये .इसका उद्देश्य सरकारी सेवा में कार्यरत बहुजन कर्मचारियों को सामाजिक चेतना से जोड़ना था ताकि वे अपने समाज के लिए कार्य कर सकें.
फिर 1981 में उन्होंने DS-4 (Dalit Shoshit Samaj Sangharsh Samiti) का गठन किया, जिसने गांव-गांव में जागरण यात्राएँ निकालीं और जिसकी जितनी संख्या भारी, उसकी उतनी हिस्सेदारी” का नारा दिया.

बहुजन समाज पार्टी की स्थापना: राजनीति में क्रांति

1984 में कांशीराम जी ने बहुजन समाज पार्टी (BSP) की स्थापना किये .यह सिर्फ एक राजनीतिक दल नहीं था, बल्कि एक सामाजिक क्रांति का माध्यम था.
कांशीराम जी का स्पष्ट उद्देश्य था — सत्ता की चाबी बहुजन समाज के हाथ में.
उन्होंने दलितों, पिछड़ों, आदिवासियों और अल्पसंख्यकों को एक मंच पर लाकर, बहुजन की ताकत को संगठित किया.

मायावती और बहुजन मिशन

कांशीराम जी ने अपने जीवन में एक दूरदर्शी नेतृत्व तैयार किया — बहन मायावती. उन्होंने मायावती जी को न केवल राजनीति की राह दिखाई बल्कि उन्हें बहुजन आंदोलन का चेहरा बनाया.
कांशीराम जी के मार्गदर्शन में मायावती उत्तर प्रदेश की मुख्यमंत्री बनीं और दलित वर्ग के सम्मान को नई ऊँचाइयों तक पहुंचाया.

कांशीराम जी का विचार: समाज को एकजुट करने की प्रेरणा

कांशीराम जी ने हमेशा कहा —

हमारी लड़ाई किसी व्यक्ति या जाति से नहीं, व्यवस्था से है.
उनका यह संदेश आज भी हर बहुजन, हर वंचित वर्ग के लिए मार्गदर्शक है.
उन्होंने बहुजन समाज को आत्मगौरव, संगठन और शिक्षा के तीन स्तंभों पर खड़ा करने की नींव रखी.

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परिनिर्वाण और विरासत

9 अक्टूबर 2006 को मान्यवर कांशीराम जी का परिनिर्वाण हुआ.लेकिन उनके विचार आज भी करोड़ों लोगों के हृदय में जीवित हैं.
हर साल 9 अक्टूबर को लखनऊ में और पूरे भारत में लोग उन्हें श्रद्धांजलि देते हैं.
BSP के कार्यकर्ता इस दिन को सिर्फ, पुण्यतिथि नहीं बल्कि बहुजन चेतना दिवस के रूप में मनाते हैं.

कांशीराम जी के संदेश आज भी प्रासंगिक क्यों हैं?

आज जब समाज में फिर से असमानता और भेदभाव की चुनौतियाँ बढ़ रही हैं, तब कांशीराम जी की विचारधारा पहले से कहीं अधिक प्रासंगिक हो गई है.
उनकी सोच हमें सिखाती है कि सामाजिक परिवर्तन शिक्षा, एकता और राजनीतिक भागीदारी से ही संभव .

निष्कर्ष

कांशीराम जी ने दिखाया कि अगर समाज संगठित हो जाए तो सत्ता उसकी मुट्ठी में आ सकती है.
उनका जीवन संघर्ष, समर्पण और सेवा का प्रतीक है.
आज उनकी 19वीं पुण्यतिथि पर हम सभी उन्हें नमन करते हैं और यह संकल्प लेते हैं कि उनके अधूरे मिशन — सर्वजन हिताय, सर्वजन सुखाय — को पूरा करेंगे.

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