आजाद समाज पार्टी ने केंद्र सरकार से की अपील
तीसरा पक्ष ब्यूरो नगीना (बिजनौर), 9 अक्टूबर 2025 —आजाद समाज पार्टी (कांशीराम) के राष्ट्रीय अध्यक्ष और नगीना से सांसद चंद्रशेखर आजाद ने केंद्र सरकार से एक ऐतिहासिक और भावनात्मक अपील की है.उन्होंने कहा कि यदि केंद्र सरकार सच में बहुजन नायक मान्यवर कांशीराम साहब के योगदान को मान्यता देना चाहती है, तो उन्हें भारत रत्न से सम्मानित किया जाना चाहिये.
चंद्रशेखर आजाद ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X (Twitter) पर अपने पोस्ट में लिखा है कि,
अगर सरकार सच में मान्यवर कांशीराम साहब का सम्मान करती है, तो मैं केंद्र सरकार से माँग करता हूँ कि मान्यवर कांशीराम साहब को भारत रत्न देने की घोषणा करें. यह मेरी नहीं, बल्कि देश के करोड़ों शोषितों, वंचितों और पिछड़ों की सामूहिक माँग है — क्योंकि मान्यवर कांशीराम साहब ही वो नायक थे, जिन्होंने हमें लड़ना और बोलना सिखाया है.
कांशीराम साहब: वह नायक जिन्होंने भारत की राजनीति की दिशा बदली
मान्यवर कांशीराम साहब का जीवन भारत के सामाजिक न्याय आंदोलन का वह अध्याय है, जिसने करोड़ों वंचितों और दलितों को आत्म-सम्मान, स्वाभिमान और राजनीतिक पहचान दिलाई है. उन्होंने BAMCEF, DS-4 और बहुजन समाज पार्टी (BSP) की स्थापना कर न सिर्फ संगठन खड़ा किया, बल्कि एक नई राजनीतिक सोच दी — जिसकी जितनी संख्या भारी, उसकी उतनी हिस्सेदारी.
उनका सपना था कि भारत में शासन और नीति निर्धारण में वही लोग भागीदारी करें जो अब तक वंचित रहे हैं. इसी सोच ने बहुजन राजनीति की नींव रखी, जिसे आगे चलकर मायावती जैसी नेताओं ने विस्तार दिया.
मैं सांसद बन पाया क्योंकि कांशीराम साहब ने हिम्मत दी — चंद्रशेखर आजाद
अपने पोस्ट में चंद्रशेखर आजाद ने भावुक शब्दों में कहा,
मेरे जैसे गरीब परिवार के व्यक्ति का सांसद (Member of Parliament) बनना — इसके पीछे सबसे बड़ा योगदान मान्यवर कांशीराम साहब की सोच और उनके संघर्ष का है. उन्होंने हम जैसे नौजवानों में हिम्मत पैदा किये है कि हम उनके रास्ते पर चलकर गरीबों, वंचितों और कमजोरों की आवाज बनें.
यह बयान न केवल एक राजनीतिक अपील है, बल्कि कांशीराम साहब के विचारों के प्रति एक पीढ़ी के आभार का प्रतीक भी है.
बहुजन समाज की सामूहिक माँग — भारत रत्न की मान्यता
आजाद समाज पार्टी का यह बयान केवल राजनीतिक नहीं, बल्कि सामाजिक भावना का भी प्रतीक है.कांशीराम साहब का योगदान सिर्फ एक पार्टी तक सीमित नहीं रहा — उन्होंने देश के करोड़ों दलित, पिछड़े, आदिवासी और अल्पसंख्यक समाज को एकजुट करने का काम किया है.
केंद्र सरकार से भारत रत्न देने की यह माँग इस बात की याद दिलाती है कि देश की सर्वोच्च नागरिक उपाधि केवल आर्थिक या वैज्ञानिक योगदान तक सीमित नहीं रहनी चाहिये , बल्कि समाज के सबसे निचले तबके को आवाज देने वालों को भी दिया जाना चाहिये .
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क्यों मिलना चाहिए कांशीराम साहब को भारत रत्न?
सामाजिक जागरूकता के जनक: उन्होंने शोषित समाज को संगठित कर उसे राजनीतिक रूप से सशक्त बनाया.
दलित नेतृत्व को नई दिशा दी: उन्होंने यह दिखाया कि सत्ता परिवर्तन सामाजिक न्याय का सबसे बड़ा माध्यम है.
राजनीति में समानता की आवाज: उनके प्रयासों से भारतीय राजनीति में पहली बार बहुजन एक ताकत के रूप में उभरे.
गरीबों और युवाओं के प्रेरणास्त्रोत: कांशीराम साहब ने दिखाया कि संघर्ष और संगठन के बल पर असंभव भी संभव है.
बहुजन आंदोलन का नया अध्याय
आजाद समाज पार्टी की यह माँग बहुजन राजनीति के पुनर्जागरण का संकेत भी मानी जा रही है. चंद्रशेखर आजाद जैसे युवा नेता, जो खुद कांशीराम साहब की विचारधारा से प्रेरित हैं, अब उस आंदोलन को नई ऊर्जा और आधुनिक सोच के साथ आगे बढ़ा रहे हैं.
उनका यह संदेश न केवल बहुजन समाज के लिए, बल्कि पूरे भारत के लोकतांत्रिक मूल्य के लिए महत्वपूर्ण है
कि,सम्मान सिर्फ शब्दों से नहीं, बल्कि राष्ट्र की मान्यता से मिलना चाहिये
निष्कर्ष
मान्यवर कांशीराम साहब को भारत रत्न देने की माँग केवल एक सम्मान की अपील नहीं, बल्कि उस व्यक्ति को राष्ट्रीय गौरव देने की माँग है जिसने करोड़ों भारतीयों के भीतर आत्म-सम्मान की चिंगारी जगाई. भारत रत्न — कांशीराम साहब,केवल एक पुरस्कार नहीं, बल्कि एक ऐतिहासिक न्याय होगा.
मेरा नाम रंजीत कुमार है और मैं समाजशास्त्र में स्नातकोत्तर (एम.ए.) हूँ. मैं महत्वपूर्ण सामाजिक, सांस्कृतिक एवं राजनीतिक मुद्दों पर गहन एवं विचारोत्तेजक लेखन में रुचि रखता हूँ। समाज में व्याप्त जटिल विषयों को सरल, शोध-आधारित तथा पठनीय शैली में प्रस्तुत करना मेरा मुख्य उद्देश्य है.
लेखन के अलावा, मूझे अकादमिक शोध पढ़ने, सामुदायिक संवाद में भाग लेने तथा समसामयिक सामाजिक-राजनीतिक घटनाक्रमों पर चर्चा करने में गहरी दिलचस्पी है.



















