समाजवादियों ने फिर दोहराया संविधान बचाने का संकल्प
तीसरा पक्ष ब्यूरो सैफई — संविधान ही संजीवनी है, वही हमारी ढाल है.यह संदेश सिर्फ शब्द नहीं बल्कि देश की लोकतांत्रिक आत्मा को जगाने वाला एक विचार है.समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष श्री अखिलेश यादव ने सैफई में कार्यकर्ताओं को संबोधित करते हुए कहा है कि,संविधान को बचाने के लिए हमेशा समाजवादी लोग आगे रहे हैं, और आज भी हमारा संकल्प यही है कि संविधान का संदेश हर घर तक पहुँचे.
संविधान: लोकतंत्र की आत्मा और समाजवाद की रीढ़
भारत का संविधान सिर्फ एक दस्तावेज़ नहीं, बल्कि सामाजिक न्याय, समानता और भाईचारे की नींव है.
डॉ. भीमराव अंबेडकर ने जब संविधान का निर्माण किया, तब उन्होंने यह सुनिश्चित किया कि समाज के अंतिम व्यक्ति तक न्याय पहुँचे.
समाजवादी विचारधारा उसी मिशन को आगे बढ़ाने का कार्य कर रही है — सबको साथ लेकर चलने की भावना के साथ.
अखिलेश यादव ने कहा है कि, आज जब संविधान के मूल्यों पर खतरा मंडरा रहे हैं, तब हमें बाबा साहेब के बताए रास्ते पर चलना होगा. लोकतंत्र को जिंदा रखने की लड़ाई संविधान की रक्षा से ही संभव है.
सैफई से उठी संविधान बचाओ की पुकार
सैफई में आयोजित कार्यक्रम में कार्यकर्ताओं ने हाथ उठाकर संविधान की शपथ लिया .
मंच से अखिलेश यादव ने कहा है की,
संविधान हमारी सबसे बड़ी ताकत है.जब भी लोकतंत्र पर संकट आया, समाजवादियों ने सड़क से लेकर संसद तक संघर्ष किया है. आज भी वही जज्बा ज़िंदा है.
यह संदेश केवल सैफई तक सीमित नहीं रहा, बल्कि सोशल मीडिया पर हजारों लोगों ने इसे साझा किया.
समाजवादी पार्टी के X (Twitter) हैंडल से पोस्ट किए गए इस वक्तव्य ने एक बार फिर चर्चा छेड़ दिया है कि क्या देश में संवैधानिक मूल्यों को बनाए रखने की जिम्मेदारी सिर्फ संविधान प्रेमियों और समाजवादियों पर ही रह गई है?
अखिलेश यादव का फोकस: युवा और संविधान शिक्षा
समाजवादी पार्टी ने युवाओं को संविधान की जानकारी देने के लिए संविधान संवाद और युवा चेतना अभियान जैसे कार्यक्रम शुरू किया है .
अखिलेश यादव ने कहा कि,
हर युवा को संविधान की प्रस्तावना याद होनी चाहिये. यही देश के भविष्य की गारंटी है.
युवा वर्ग को राजनीति से जोड़ने के साथ-साथ समाजवादी पार्टी यह भी चाहती है कि नई पीढ़ी लोकतंत्र के असली अर्थ को समझे — अधिकारों के साथ कर्तव्यों की भी जानकारी रखे.
संविधान पर खतरा क्यों?
पार्टी के वरिष्ठ नेताओं ने कार्यक्रम में कहा कि आज संविधान के मूल तत्वों — धर्मनिरपेक्षता, समानता, अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता — पर लगातार प्रहार हो रहा है.
अखिलेश यादव ने कहा कि यह समय सिर्फ विरोध करने का नहीं बल्कि विकल्प तैयार करने का है.
जब सत्ता संविधान को कमजोर करता है, तब जनता को आवाज़ उठाना हि पड़ता है.
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समाजवादी पार्टी का संदेश: संविधान की रक्षा ही देशभक्ति
इस कार्यक्रम के माध्यम से समाजवादी पार्टी ने एक नया नैरेटिव देने की कोशिश किया है .
देशभक्ति का असली अर्थ संविधान के प्रति निष्ठा है.
जो संविधान को बचाता है, वही सच्चा देशभक्त है.
अखिलेश यादव का यह बयान केवल राजनीतिक नहीं, बल्कि वैचारिक रूप से भी गहरा है.
उन्होंने यह स्पष्ट किया कि पार्टी सत्ता की राजनीति नहीं, बल्कि संवैधानिक मूल्यों की राजनीति करना चाहती है.
जनता में बढ़ती संवैधानिक चेतना
सोशल मीडिया पर समाजवादी पार्टी के इस बयान को हजारो व्यूज़ मिले.
लोगों ने लिखा कि, यह सिर्फ समाजवादी पार्टी की लड़ाई नहीं, बल्कि पूरे देश के लोकतंत्र की लड़ाई है.
यह साबित करता है कि देश की जनता संविधान को बचाने की मुहिम में खुद को शामिल महसूस कर रही है.
निष्कर्ष: संविधान बचेगा तो लोकतंत्र बचेगा
अखिलेश यादव का सन्देश केवल राजनीतिक बयान नहीं बल्कि एक चेतावनी है.
अगर संविधान कमजोर होगा, तो लोकतंत्र भी टिक नहीं पाएगा.
समाजवादी पार्टी का यह अभियान संविधान ही संजीवनी आने वाले चुनावों में भी एक प्रमुख मुद्दा बन सकता है.
संविधान को बचाने की यह पुकार देश के हर नागरिक के दिल में गूंजनी चाहिए, क्योंकि संविधान ही वह आधार है जो हमें जोड़ता है, संभालता है और समानता का भरोसा देता है.

मेरा नाम रंजीत कुमार है और मैं समाजशास्त्र में स्नातकोत्तर (एम.ए.) हूँ. मैं महत्वपूर्ण सामाजिक, सांस्कृतिक एवं राजनीतिक मुद्दों पर गहन एवं विचारोत्तेजक लेखन में रुचि रखता हूँ। समाज में व्याप्त जटिल विषयों को सरल, शोध-आधारित तथा पठनीय शैली में प्रस्तुत करना मेरा मुख्य उद्देश्य है.
लेखन के अलावा, मूझे अकादमिक शोध पढ़ने, सामुदायिक संवाद में भाग लेने तथा समसामयिक सामाजिक-राजनीतिक घटनाक्रमों पर चर्चा करने में गहरी दिलचस्पी है.



















