कहा, महिला सम्मान नहीं, पहले सुरक्षा जरूरी
तीसरा पक्ष ब्यूरो, लखनऊ 12 अक्टूबर 2025 — उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ से एक बार फिर हिला सुरक्षा को लेकर सवाल उठ खड़ा हुआ है.बंथरा क्षेत्र में एक किशोरी के साथ सामूहिक बलात्कार की दर्दनाक घटना ने पूरे प्रदेश को झकझोर कर रख दिया है.इस घटना पर बहुजन समाज पार्टी (BSP) प्रमुख मायावती ने तीखी प्रतिक्रिया दिया है और प्रदेश सरकार को कठघरे में खड़ा किया है.
मायावती ने अपने X (पूर्व में ट्विटर) अकाउंट से लिखा है कि,
राजधानी लखनऊ के बंथरा क्षेत्र में किशोरी के साथ सामूहिक बलात्कार की घटना अति-दुखद व शर्मनाक है.यूपी सहित देश के विभिन्न राज्यों में महिला उत्पीड़न, दुष्कर्म व हत्या जैसी घटनाएँ थमने का नाम नहीं ले रही हैं.सरकार को इसकी रोकथाम के लिए प्रभावी कदम उठाने की सख़्त ज़रूरत है.महिला सम्मान तो दूर, महिलाओं की सुरक्षा पहले और अत्यन्त ज़रूरी है.
महिला सुरक्षा पर लगातार सवाल
उत्तर प्रदेश में महिलाओं के खिलाफ अपराधों का सिलसिला रुकने का नाम नहीं ले रहा है .नेशनल क्राइम रिकॉर्ड्स ब्यूरो (NCRB) की रिपोर्टों के मुताबिक, राज्य में हर साल हजारों मामलों में महिला उत्पीड़न, छेड़छाड़ और बलात्कार के केस दर्ज होता हैं.बावजूद इसके, जमीनी स्तर पर हालात बहुत नहीं बदलपाया है.
मायावती जैसी वरिष्ठ नेता जब महिला सुरक्षा पर लगातार आवाज़ उठा रही हैं, तो यह स्पष्ट संदेश है कि यह मुद्दा सिर्फ कानून-व्यवस्था नहीं, बल्कि राजनीतिक और सामाजिक संवेदनशीलता का भी प्रश्न है.
मायावती की सख्त टिप्पणी — बयान नहीं, कार्रवाई हो
मायावती ने इस घटना को लेकर न सिर्फ नाराज़गी जताई बल्कि यह भी कहा कि सरकारों को, महिलाओं के सम्मान की बातें करने से पहले, उनकी सुरक्षा सुनिश्चित करनी चाहिये.
उनके मुताबिक, जब तक दुष्कर्म और उत्पीड़न के मामलों में तत्काल कार्रवाई, त्वरित न्याय और कठोर सज़ा नहीं होगी, तब तक समाज में भय और जिम्मेदारी की भावना नहीं आएगी.
उन्होंने यह भी कहा कि यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि सरकारें महिला सशक्तिकरण की बातें करती हैं, लेकिन सड़क पर महिलाओं की सुरक्षा अब भी सबसे बड़ा सवाल बनी हुई है.
राजनीतिक दलों की चुप्पी पर भी उठे सवाल
मायावती के बयान के बाद यह सवाल भी उठ रहा है कि क्यों अधिकांश राजनीतिक दल इन घटनाओं पर चुप रहते हैं.
कई राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि महिला उत्पीड़न जैसे मुद्दों पर दलों की प्रतिक्रिया अक्सर, राजनीतिक लाभ-हानि के तराजू पर तौली जाती है.जबकि मायावती ने इसे एक सामाजिक और मानवीय संकट के रूप में उठाया है.
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महिला सुरक्षा के लिए क्या हैं ज़रूरी कदम?
विशेषज्ञों के मुताबिक, केवल सख्त कानून बना देना काफी नहीं है.जरूरत है जवाबदेही और संवेदनशीलता की संस्कृति विकसित करने का.
पुलिस थानों में महिला हेल्प डेस्क को और सशक्त किया जाये.
स्कूलों और कॉलेजों में जागरूकता अभियान चलाये जाये.
फास्ट-ट्रैक कोर्ट में ऐसे मामलों की सुनवाई तय समय सीमा में पूरा होना चाहिये.
दोषियों को जल्द सज़ा देकर उदाहरण पेश किया जाये.
इन्हीं बिंदुओं को लेकर मायावती ने अपने राजनीतिक करियर में बार-बार कहा है कि, दलित, गरीब और महिला वर्ग की सुरक्षा ही लोकतंत्र की असली मजबूती है.
समाज के लिए चेतावनी और जिम्मेदारी
लखनऊ की यह घटना सिर्फ एक अपराध नहीं, बल्कि हमारे समाज के नैतिक पतन का दर्पण है.
जब तक आम नागरिक, अभिभावक, स्कूल संस्थान और प्रशासन एक साथ मिलकर महिलाओं की सुरक्षा को सर्वोच्च प्राथमिकता नहीं देंगे, तब तक मायावती जैसी आवाज़ें उठती रहेंगी — और घटनाएं भी होती रहेंगी.
निष्कर्ष
मायावती का यह बयान किसी राजनीतिक विरोध का हिस्सा नहीं, बल्कि एक सामाजिक सच्चाई की गूंज है.
उन्होंने जो कहा,
महिला सम्मान नहीं, पहले सुरक्षा ज़रूरी
वह आज के भारत की सबसे कड़वी लेकिन जरूरी सच्चाई है
जब तक हर महिला बिना डर के जीने का अधिकार नहीं पा लेती, तब तक विकास, प्रगति और सभ्यता के सारे दावे अधूरे रहेंगे.
मेरा नाम रंजीत कुमार है और मैं समाजशास्त्र में स्नातकोत्तर (एम.ए.) हूँ. मैं महत्वपूर्ण सामाजिक, सांस्कृतिक एवं राजनीतिक मुद्दों पर गहन एवं विचारोत्तेजक लेखन में रुचि रखता हूँ। समाज में व्याप्त जटिल विषयों को सरल, शोध-आधारित तथा पठनीय शैली में प्रस्तुत करना मेरा मुख्य उद्देश्य है.
लेखन के अलावा, मूझे अकादमिक शोध पढ़ने, सामुदायिक संवाद में भाग लेने तथा समसामयिक सामाजिक-राजनीतिक घटनाक्रमों पर चर्चा करने में गहरी दिलचस्पी है.



















