12 साल डबल इंजन, 20 साल सत्ता — फिर भी बिहार पीछे क्यों?
तीसरा पक्ष ब्यूरो पटना, 30 अक्टूबर 2025: राजनीतिक हलकों में एक बार फिर सियासत गरमा गया है.बिहार के पूर्व उपमुख्यमंत्री और राजद नेता तेजस्वी यादव ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X (पूर्व ट्विटर) पर एक बयान जारी कर सत्तारूढ़ गठबंधन पर तीखा हमला बोला है.
तेजस्वी यादव ने अपने पोस्ट में लिखा है कि —
बाहरी लोग बिहार को अपना उपनिवेश बनाना चाहते हैं.ये लोग बिहार को कब्ज़ाना चाहते हैं.हम बिहार के लोगों से अपील करते हैं कि इस बार नया बिहार बनाने का सुनहरा मौक़ा है. अगर ये लोग सत्ता में आ गए तो बिहार का पीछे जाना सुनिश्चित है. इन्हें बिहार का भला करना होता तो 12 साल से डबल इंजन सरकार है और 20 वर्षों से यहाँ शासन में है.
तेजस्वी का यह बयान सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो रहा है और बिहार की राजनीतिक बहस का नया केंद्र बन गया है.
बाहरी लोग टिप्पणी से बढ़ी हलचल
तेजस्वी यादव के इस बयान ने राजनीतिक गलियारों में नया विवाद खड़ा कर दिया है.
उनका यह कहना कि बाहरी लोग बिहार को उपनिवेश बनाना चाहते हैं — प्रत्यक्ष रूप से उन ताकतों पर हमला माना जा रहा है जो लंबे समय से सत्ता में हैं.
राजद के नेताओं का कहना है कि बिहार की नीतियाँ अब दिल्ली-केंद्रित सोच से संचालित हो रही हैं, जिससे राज्य की पहचान और स्थानीय स्वायत्तता प्रभावित हो रहा है.
राजनीतिक विश्लेषकों के मुताबिक, यह बयान केवल चुनावी रणनीति नहीं, बल्कि स्थानीय बनाम बाहरी की बहस को फिर से जिंदा करने की कोशिश है — जो बिहार की राजनीति में बार-बार उभरती रही है.
तेजस्वी यादव का नया बिहार विज़न
तेजस्वी यादव ने अपने संदेश में यह भी कहा कि नया बिहार बनाने का मौका अब जनता के हाथ में है.
राजद नेता लंबे समय से रोजगार, शिक्षा, स्वास्थ्य और समान अवसरों के मुद्दों को प्रमुखता से उठाते रहे हैं.
उनकी नया बिहार की अवधारणा में शामिल हैं.
युवाओं को स्थानीय स्तर पर रोजगार और स्वरोजगार के अवसर देना
शिक्षा और स्वास्थ्य पर खर्च बढ़ाना
इन्फ्रास्ट्रक्चर सुधार और
भ्रष्टाचार-मुक्त प्रशासन की दिशा में ठोस कदम उठाना.
राजद के सूत्रों के मुताबिक, महागठबंधन अपने अगले चुनावी घोषणापत्र में इन बिंदुओं को विस्तार से शामिल करने की योजना बना रहा है।
डबल इंजन सरकार पर तीखा वार
तेजस्वी यादव का यह कहना कि 12 साल से डबल इंजन सरकार है और 20 वर्षों से यहाँ शासन में है, फिर भी बिहार पीछे है, मौजूदा सत्तारूढ़ दलों के खिलाफ जनता के बीच नाराज़गी को भुनाने की कोशिश मानी जा रही है.
उन्होंने यह सवाल उठाया कि जब केंद्र और राज्य, दोनों में एक ही दल की सरकारें रही हैं, तब भी बिहार को रोजगार, निवेश और विकास के मोर्चे पर अपेक्षित सफलता क्यों नहीं मिली इस टिप्पणी के बाद भाजपा और जदयू के नेताओं ने पलटवार शुरू कर दिया है.भाजपा प्रवक्ता ने कहा कितेजस्वी यादव विकास के आंकड़ों से डर रहे हैं, इसलिए झूठ फैलाकर जनता को गुमराह करने की कोशिश कर रहे हैं.
वहीं राजद ने पलटकर कहा कि अगर विकास हुआ होता, तो बिहार आज भी देश के सबसे पिछड़े राज्यों की सूची में क्यों होता?
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राजनीतिक रणनीति या जनता की आवाज़?
राजनीतिक विशेषज्ञों का मानना है कि तेजस्वी यादव इस बयान के ज़रिए ‘स्थानीय अस्मिता’ का मुद्दा फिर से उभारना चाहते हैं.
बिहार में बेरोजगारी, पलायन और उद्योगों की कमी जैसे मुद्दे हमेशा से चुनाव का मुख्य विषय रहे हैं.
बाहरी बनाम बिहारी की बहस युवाओं और प्रवासी मजदूरों के बीच भावनात्मक जुड़ाव पैदा कर सकती है, जिससे तेजस्वी की राजनीति को नई ऊर्जा मिल सकती है.
दूसरी ओर, विपक्षी दलों का कहना है कि यह बयान लोगों को बाँटने की राजनीति है.
लेकिन तेजस्वी के समर्थकों का मानना है कि यह बिहारी गर्व और राज्य की स्वायत्तता को पुनः स्थापित करने की कोशिश है.
जनता की प्रतिक्रिया
तेजस्वी यादव का यह पोस्ट X पर हजारों बार रीट्वीट और शेयर किया गया है.
कई उपयोगकर्ताओं ने लिखा है कि,
तेजस्वी की बात में सच्चाई है, बिहार को अब अपना नेतृत्व खुद तय करना होगा.
वहीं कुछ लोगों ने कहा कि तेजस्वी को पहले अपनी योजनाएँ और रोडमैप स्पष्ट करना चाहिए.
इस बीच, पटना और दरभंगा समेत कई जिलों में राजद कार्यकर्ताओं ने इस पोस्ट के समर्थन में नया बिहार, नया सोच”रैली की तैयारी शुरू कर दी है.
विश्लेषण: क्या बनेगा यह चुनावी मुद्दा?
राजनीतिक दृष्टि से देखा जाए तो तेजस्वी यादव का यह बयान चुनावी परिदृश्य में बिहारी अस्मिता की नई लहर पैदा कर सकता है.
यह बयान खासकर युवाओं, छात्रों और पलायन झेल रहे परिवारों में गूंज सकता है यदि राजद इस अपील को ठोस योजनाओं और जन-संपर्क अभियान में बदल सके, तो यह विपक्ष के लिए एक बड़ा नैरेटिव बन सकता है.
निष्कर्ष
तेजस्वी यादव का बाहरी लोग बिहार को उपनिवेश बनाना चाहते हैं वाला बयान केवल एक राजनीतिक हमला नहीं, बल्कि एक विचारधारा का प्रतिनिधित्व करता है.
उन्होंने बिहार की जनता से नया बिहार बनाने का आह्वान किया है — एक ऐसा बिहार जो स्वाभिमान, रोजगार, शिक्षा और आत्मनिर्भरता पर आधारित हो.
अब यह देखना दिलचस्प होगा कि जनता इस अपील को कितना गंभीरता से लेती है और आगामी चुनावों में यह मुद्दा किस रूप में उभरता है.

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