दिवाली-छठ पर सूरत से UP-बिहार लौटती भीड़ पर AAP का BJP पर वार

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Kumar Ranjit

भारतबिहार
दिवाली-छठ पर सूरत से UP-बिहार लौटती भीड़ पर AAP का BJP पर वार

ट्रेनों में भूसे की तरह ठुंसे यात्री — AAP ने BJP पर साधा निशाना

तीसरा पक्ष ब्यूरो पटना,20 अक्टूबर — दिवाली और छठ पूजा जैसे बड़े त्योहारों के मौके पर हर साल देशभर में घर वापसी का सिलसिला शुरू हो जाता है.सूरत, मुंबई, दिल्ली, अहमदाबाद जैसे औद्योगिक शहरों से उत्तर प्रदेश और बिहार के लाखों प्रवासी मजदूर अपने गांवों की ओर लौटते हैं. लेकिन इस बार भी वही तस्वीरें सामने आई हैं, लंबी-लंबी कतारें, ठसाठस भरी ट्रेनें और स्टेशन पर परेशान यात्रियों की भीड़.

इसी भीड़ को लेकर आम आदमी पार्टी (AAP) ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X (पूर्व में ट्विटर) पर एक पोस्ट जारी करते हुए केंद्र सरकार और भारतीय जनता पार्टी (BJP) पर तीखा हमला बोला है.
AAP ने लिखा है कि,

यह लंबी लाइन किसी और के लिए नहीं बल्कि दिवाली और छठ पूजा पर सूरत (गुजरात) से UP-बिहार में अपने घर जाने के लिए लगी है.
देशभर के तमाम स्टेशनों पर लाखों यात्रियों की भीड़ है. लोग ट्रेनों में भूसे की तरह भरकर सफ़र कर रहे हैं लेकिन BJP अभी भी झूठ बोल रही है कि हजारों ट्रेन चल रही हैं और लोग आराम से सफ़र कर रहे हैं.

भीड़ का सच: सूरत, मुंबई, अहमदाबाद से भारी संख्या में लोग रवाना

त्योहारों पर घर जाने की चाह हर प्रवासी के लिए भावनात्मक जुड़ाव का विषय होती है.लेकिन हर बार की तरह इस बार भी रेलवे स्टेशनों पर अफरा-तफरी मच गई है.
सूरत, वडोदरा, और अहमदाबाद जैसे शहरों में यूपी-बिहार जाने वाली ट्रेनों के लिए टिकटें कई दिन पहले ही फुल हो चुकी थीं. जनरल डिब्बों में तो स्थिति और भी भयावह है. कई ट्रेनें ओवरलोड हैं, यात्री दरवाजों और बाथरूमों तक में सफर करने को मजबूर हैं.

रेलवे की ओर से स्पेशल ट्रेन चलाने के दावे किए जा रहे हैं, मगर ज़मीनी हकीकत तस्वीरें बयां कर रही हैं — जिनमें लोग प्लेटफार्मों पर रातभर सोते हुए, छोटे बच्चों के साथ लाइन में खड़े और ट्रेन में चढ़ने के लिए धक्का-मुक्की करते नज़र आ रहे हैं.

AAP का हमला: सरकार सिर्फ़ प्रचार में व्यस्त

AAP का आरोप है कि केंद्र सरकार ज़मीनी मुद्दों को नज़रअंदाज़ कर सिर्फ़ विज्ञापनों और झूठे दावों में उलझी हुई है.
पार्टी ने कहा कि रेलवे और सरकार का असली चेहरा तभी सामने आता है जब आम जनता त्योहारी भीड़ के बीच अपने हक़ का सफर पाने के लिए संघर्ष करती है.

AAP नेताओं ने कहा कि अगर सरकार वास्तव में गरीबों और मजदूरों की परवाह करती, तो पहले से पर्याप्त स्पेशल ट्रेनें चलाई जातीं, स्टेशनों पर व्यवस्था सुधारी जाती और टिकट की कालाबाज़ारी पर सख्ती होती.

BJP की प्रतिक्रिया और रेलवे का दावा

हालांकि भारतीय जनता पार्टी (BJP) और रेलवे अधिकारी यह दावा करते रहे हैं कि इस बार यात्रियों की सुविधा के लिए हजारों फेस्टिवल स्पेशल ट्रेनें चलाई गई हैं.
रेलवे के अनुसार, उत्तर भारत की ओर जाने वाली ट्रेनों में अतिरिक्त कोच जोड़े गए हैं और भीड़ प्रबंधन के लिए विशेष टीम तैनात की गई है.
लेकिन विपक्षी दलों और यात्रियों के वीडियो इन दावों पर सवाल उठा रहे हैं.

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सोशल मीडिया पर छाई तस्वीरें: जनता ने कहा — सिस्टम फेल है

AAP द्वारा साझा की गई तस्वीरें और वीडियो तेजी से वायरल हो गया हैं.
कई यूज़र्स ने लिखा है कि,

हर साल यही हालत होती है, फिर भी कोई स्थायी समाधान नहीं.

सरकार सिर्फ़ आंकड़े दिखा रही है, ज़मीनी सच्चाई भयानक है.

ट्रेन में बच्चों और बुजुर्गों की हालत देखकर दिल दहल गया.

कई यात्रियों ने यह भी कहा कि मजबूरी में वे बस या ट्रक से सफर कर रहे हैं क्योंकि ट्रेन टिकट न मिलने के कारण किराए में भी कई गुना बढ़ोतरी हो गई है.

प्रवासी मजदूरों का दर्द और देश की सच्चाई

यह दृश्य सिर्फ़ भीड़ का नहीं, बल्कि उस वर्ग की पीड़ा का प्रतीक है जो देश की अर्थव्यवस्था की रीढ़ माने जाते हैं.
सूरत, मुंबई और दिल्ली की फैक्ट्रियों में दिन-रात काम करने वाले यही मजदूर साल में कुछ दिनों के लिए अपने परिवार के पास लौटने की आस रखते हैं.लेकिन जब उन्हें अपने ही देश में सुरक्षित सफर भी नसीब नहीं होता, तो यह व्यवस्था पर बड़ा सवाल खड़ा करता है.

AAP का संदेश स्पष्ट है — सरकार को जमीनी सच्चाई स्वीकार करनी चाहिए, सिर्फ़ आंकड़े नहीं दिखाने चाहिए.

निष्कर्ष

त्योहारों पर प्रवासियों की घर वापसी केवल यात्रा नहीं, बल्कि भावना की पराकाष्ठा है.
अगर सरकार और रेलवे वास्तव में जनता के साथ हैं, तो इस समस्या का समाधान स्थायी रूप से निकालना होगा — चाहे वह पर्याप्त ट्रेनों की व्यवस्था हो, टिकटिंग सिस्टम का सुधार हो या भीड़ प्रबंधन की नई नीति.

AAP के इस पोस्ट ने एक बार फिर बहस छेड़ दी है कि क्या विकास के दावे और जमीनी हकीकत के बीच की खाई बढ़ती जा रही है?

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