अडानी पावर प्लांट के खिलाफ बिहार में राज्यव्यापी प्रतिवाद
तीसरा पक्ष ब्यूरो पटना, 22 सितम्बर 2025 – बिहार में किसानों और गरीबों की जमीन को कॉरपोरेट घरानों को सौंपने के खिलाफ भाकपा-माले और अखिल भारतीय किसान महासभा ने आज राज्यव्यापी प्रतिवाद आयोजित किया. आंदोलन का केंद्र बिंदु रहा भागलपुर जिले का पीरपैंती पावर प्लांट प्रोजेक्ट, जिसके लिए अडानी ग्रुप को महज़ 1 रुपये प्रति एकड़ के दर पर 1050 एकड़ उपजाऊ जमीन सौंप दी गई है.
पटना में यह विरोध मार्च जीपीओ गोलंबर से शुरू हुआ और पटना जंक्शन तक पहुंचकर प्रतिवाद सभा में तब्दील हो गया. सभा में किसानों और मजदूरों के साथ-साथ विभिन्न क्षेत्रों के नेताओं ने भाग लिया और डबल इंजन सरकार पर गरीबों और किसानों को ठगने का आरोप लगाया गया.
गरीबों को छत नहीं, कॉरपोरेट को खेत-बागान
सभा को संबोधित करते हुए भाकपा-माले के वरिष्ठ नेता कॉ. केडी यादव ने कहा कि,
सरकार की नीति साफ़ है—गरीबों को आवास योजना के तहत 3 डिसमिल जमीन भी नहीं मिलती, लेकिन जब बात अडानी की आती है तो पूरे 1050 एकड़ जमीन बाग-बगीचों सहित महज़ 1 रुपये में सौंप दी जाती है.यह बिहार की जनता के साथ सीधी लूट है.
यादव ने मोदी और नीतीश पर निशाना साधते हुए कहा कि एनडीए का असली नारा होना चाहिए – “जनता का साथ, अडानी का विकास”.
जल संकट और रोजगार का छलावा
फुलवारी विधायक गोपाल रविदास ने कहा कि पावर प्रोजेक्ट के नाम पर न केवल किसानों की जमीन छीनी जा रही है, बल्कि गंगा नदी के पानी का औद्योगिक दोहन करके पूर्वी बिहार को गंभीर जल संकट की ओर धकेला जा रहा है.
उन्होंने कहा कि प्रोजेक्ट से अस्थायी तौर पर 10-12 हजार मजदूरों को काम देने की बात की जा रही है, लेकिन ये सिर्फ़ अल्पकालिक ठेका श्रमिक होंगे.वहीं संचालन काल में 3000 स्थायी नौकरियों का दावा है, लेकिन अनुभव बताता है कि ऐसी नौकरियों में स्थानीय लोगों को शायद ही कोई अवसर मिलता है.
पूरे बिहार में दोहराई जा रही है जमीन की लूट
प्रतिवाद सभा में यह भी कहा गया कि अडानी पावर प्लांट का मामला कोई अपवाद नहीं है. शेखपुरा जिले के चेवड़ा प्रखंड में भी हंसापुर-अस्थावां की 250 एकड़ जमीन किसानों से औने-पौने दाम पर छीनी जा रही है.
छोटे और सीमांत किसान जिनकी पूरी आजीविका खेती पर निर्भर है, वे अब उजड़ने के कगार पर हैं. वक्ताओं ने कहा कि पहले से ही बिहार में अधिकांश उद्योग बंद हो चुके हैं और अब “नए उद्योग” के नाम पर जो कुछ जमीन बची है, उसे भी कॉरपोरेट घरानों को सौंपा जा रहा है.
ये भी पढ़े :नीतीश सरकार पर भ्रष्टाचार के आरोपों पर माले का बड़ा सवाल
ये भी पढ़े :राहुल गांधी ने केंद्र सरकार को घेरा, कहा – पंजाब को चाहिए बड़ा राहत पैकेज
विरोध करने पर दमन, किसानों को गुंडा करार
नेताओं ने सरकार पर गंभीर आरोप लगाते हुए कहा कि जब 20 सितम्बर को किसान महासभा ने इस फैसले के खिलाफ प्रदर्शन किया, तो प्रशासन ने लोकतांत्रिक अधिकारों को कुचलने की कोशिश किया है .
रिपोर्ट्स के मुताबिक, प्रदर्शनकारियों के आवेदन पत्र को अधिकारियों ने फाड़ दिया, किसान नेताओं को अपशब्द कहे गए और उन्हें “गुंडा” करार दिया गया. इतना ही नहीं, 4 किसान नेताओं पर मुकदमा ठोक दिया गया और लाउडस्पीकर व टोटो जब्त कर लिया गया.
सभा में वक्ताओं ने कहा कि यह स्पष्ट संकेत है कि सरकार गरीबों और किसानों की आवाज़ दबाने के लिए दमनकारी नीति पर उतर आई है.
राज्यव्यापी प्रतिवाद और जनसमर्थन
पटना के अलावा नालंदा, आरा, मसौढ़ी, फतुहा, जमुई, अरवल और नवादा समेत कई जिलों में भी प्रतिवाद सभाएं आयोजित की गईं.
पटना की सभा की अध्यक्षता रणविजय कुमार और संचालन राजेंद्र पटेल ने किया.कार्यक्रम में राज्य कमिटी सदस्य कमलेश कुमार, गुरुदेव दास, कृपा नारायण सिंह, मधेश्वर शर्मा, राजेश गुप्ता, संजय यादव, विनय कुमार, पन्नालाल सिंह, अनय मेहता, अनुराधा देवी, पुनीत पाठक, सत्येंद्र शर्मा, विभा गुप्ता और प्रमोद यादव समेत कई नेताओं ने शिरकत की.
निष्कर्ष
आज का यह आंदोलन साफ़ संदेश देता है कि बिहार की जनता अब अपनी जमीन और हक छीनने की साजिश को बर्दाश्त नहीं करेगी.किसानों और गरीबों की भूमि को कॉरपोरेट हितों के लिए लूटने का विरोध पूरे राज्य में तेज़ी से फैल रहा है.
यदि सरकार ने जनभावनाओं की अनदेखी की और दमनकारी रवैया जारी रखा, तो आने वाले दिनों में यह संघर्ष और उग्र रूप ले सकता है.

I am a blogger and social media influencer. I have about 5 years experience in digital media and news blogging.