कारोबारियों और ग्राहकों के बीच तनाव बढ़ा
तीसरा पक्ष ब्यूरो लखनऊ, 26 सितंबर 2025 – भारतीय राजनीति में आर्थिक नीतियां हमेशा बहस का विषय रही हैं. खासकर जीएसटी (Goods and Services Tax) लागू होने के बाद से लगातार विपक्ष इसके प्रभावों पर सवाल उठाता रहा है.समाजवादी पार्टी (सपा) के राष्ट्रीय अध्यक्ष और उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने आज भाजपा सरकार की जीएसटी नीतियों को ‘गोलमाल’ करार दिया है. उनका कहना है कि यह नीति कारोबारियों और ग्राहकों दोनों के लिए संकट पैदा कर रहा है.
जीएसटी पर अखिलेश यादव का हमला
अखिलेश यादव ने अपने आधिकारिक पोस्ट में भाजपा की आलोचना करते हुए लिखा है,
“भाजपा ने दिखाने के लिए तैयार सामान पर जीएसटी घटाई, लेकिन उस सामान से बनने वाले कच्चे माल पर जीएसटी बढ़ा दिया है . यही है भाजपा के ‘जीएसटी गोलमाल’ का सच.
उनके अनुसार, जब कच्चे माल पर जीएसटी बढ़ता है, तो उत्पादन लागत स्वतः ही बढ़ जाती है. ऐसे में दुकानदार और कारोबारी तैयार माल पर सस्ता बेचने की स्थिति में नहीं रहते. परिणामस्वरूप, ग्राहक महंगे दाम चुकाने को मजबूर होते हैं और यह तनाव सीधे दुकानदार और ग्राहकों के रिश्तों पर असर डालता है.
कारोबारियों पर बढ़ता दबाव
छोटे और मझोले व्यवसाय जीएसटी नियमों से सबसे अधिक प्रभावित हो रहे हैं. पहले ही महंगाई, आपूर्ति श्रृंखला और मंदी से जूझ रहे व्यापारियों को अब अतिरिक्त टैक्स का बोझ उठाना पड़ रहा है.
अखिलेश ने तंज कसते हुए कहा कि –
“भाजपाई तो नारे लगाकर और 50% की राहत का भाषण देकर निकल गए, लेकिन असली संकट व्यापारियों पर आ पड़ा.
यह बात छोटे दुकानदारों और स्थानीय कारोबारियों की स्थिति को दर्शाती है, जिनकी बिक्री और मुनाफा दोनों प्रभावित हो रहे हैं.
ग्राहक-दुकानदार संबंधों पर असर
जीएसटी नीति के कारण दुकानदार और ग्राहक के बीच टकराव बढ़ रहा है. ग्राहक उम्मीद करते हैं कि सरकार की नीति से उन्हें सस्ते दाम पर सामान मिलेगा, लेकिन दुकानदार लागत बढ़ने के चलते उन्हें वह सुविधा नहीं दे पाते.
अखिलेश ने कहा कि ,
भाजपा सुधार नहीं कर रही, बल्कि ग्राहक-दुकानदार के संबंधों को बर्बाद कर रही है.
यह बयान इस बात की ओर इशारा करता है कि केवल आर्थिक ही नहीं, बल्कि सामाजिक स्तर पर भी यह नीति असंतोष को जन्म दे रही है.
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भाजपा की नीतियों पर सवाल
अखिलेश यादव का आरोप है कि भाजपा किसी की हितैषी नहीं है. उनकी जीएसटी नीति छोटे व्यापारियों और आम जनता को नुकसान पहुंचाने वाली है. उन्होंने यह सवाल उठाया है कि अगर सरकार वास्तव में राहत देना चाहता है तो कच्चे माल पर जीएसटी क्यों बढ़ाया गया?
उनका दावा है कि इस तरह की नीतियां बड़े कॉरपोरेट घरानों को फायदा पहुंचाने के लिएबनाया जाता है, जबकि छोटे कारोबारी और ग्राहक इस बोझ का खामियाजा भुगतते हैं.
उत्तर प्रदेश की सियासत और समाजवादी पार्टी की रणनीति
उत्तर प्रदेश भारत का सबसे बड़ा उपभोक्ता बाजार है. यहां छोटे और मझोले दुकानदारों की संख्या लाखों में है. ऐसे में जीएसटी जैसे मुद्दे सीधे सियासत को प्रभावित करता हैं.
विशेषज्ञों का मानना है कि अखिलेश यादव का यह बयान आनेवाले विधानसभा चुनाव की तैयारियों का हिस्सा है. समाजवादी पार्टी महंगाई, बेरोजगारी और कारोबारी समस्याओं को चुनावी एजेंडा बनाकर भाजपा को घेरने की कोशिश कर रही है.
निष्कर्ष
जीएसटी, जिसे कभी,वन नेशन, वन टैक्स के नाम पर कारोबार और उपभोक्ता दोनों के लिए फायदेमंद बताया गया था, अब विवादों के घेरे में है. अखिलेश यादव का यह बयान भाजपा की आर्थिक नीतियों पर बड़ा सवाल खड़ा करता है.
उनका कहना है कि यह नीति कारोबारियों को घाटे में और ग्राहकों को महंगाई के जाल में फंसा रही है.
अब देखना यह होगा कि भाजपा इन आरोपों का कैसे जवाब देती है और क्या सरकार जीएसटी नीति में कोई बदलाव करती है.
फिलहाल इतना तय है कि,जीएसटी गोलमाल का मुद्दा उत्तर प्रदेश और देश की राजनीति में नई बहस को जन्म दे चुका है.
मेरा नाम रंजीत कुमार है और मैं समाजशास्त्र में स्नातकोत्तर (एम.ए.) हूँ. मैं महत्वपूर्ण सामाजिक, सांस्कृतिक एवं राजनीतिक मुद्दों पर गहन एवं विचारोत्तेजक लेखन में रुचि रखता हूँ। समाज में व्याप्त जटिल विषयों को सरल, शोध-आधारित तथा पठनीय शैली में प्रस्तुत करना मेरा मुख्य उद्देश्य है.
लेखन के अलावा, मूझे अकादमिक शोध पढ़ने, सामुदायिक संवाद में भाग लेने तथा समसामयिक सामाजिक-राजनीतिक घटनाक्रमों पर चर्चा करने में गहरी दिलचस्पी है.



















