अखिलेश यादव ने यमुना में डाले गए केमिकल पर गंभीर सवाल उठाए

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Ajit Kumar

भारत
अखिलेश यादव ने यमुना में डाले गए केमिकल पर गंभीर सवाल उठाए

छठ पर्व से पहले नदियों की पवित्रता बचाना सरकार की नैतिक जिम्मेदारी

तीसरा पक्ष ब्यूरो पटना,21 अक्टूबर 2025 —देश की राजधानी दिल्ली में यमुना नदी का प्रदूषण लगातार चिंता का विषय बना हुआ है.ताज़ा घटनाक्रम में समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव ने इस मुद्दे पर एक गंभीर सवाल उठाया है.उन्होंने अपने आधिकारिक X (Twitter) पोस्ट में कहा कि छठ पर्व जैसे महत्वपूर्ण अवसर से पहले बिना जांच किए नदी में केमिकल डालना एक अत्यंत संवेदनशील और खतरनाक कदम है.

यमुना से गंगा तक — प्रदूषण की भयावह श्रृंखला

अखिलेश यादव ने लिखा है कि,

दिल्ली में यमुना नदी के प्रदूषण को दूर करने के लिए, मनुष्य के शरीर पर पड़ने वाले प्रभाव की जाँच किये बिना डाले गये केमिकल के बारे में इस गंभीर रिपोर्ट का तुरंत संज्ञान लिया जाए. छठ पर्व से पहले ये एक अति संवेदनशील विषय है.

यमुना से गंगा तक — प्रदूषण की भयावह श्रृंखला

अखिलेश यादव ने अपने बयान में यह भी रेखांकित किया कि यमुना का यह प्रदूषण केवल दिल्ली तक सीमित नहीं रहता। यह मथुरा, प्रयागराज और काशी तक पहुंचकर गंगा नदी को भी दूषित करता है.
उनके अनुसार, जब यमुना प्रयागराज में गंगा से संगम करती है, तब यह प्रदूषित जल आगे की पूरी धारा को प्रभावित करता है. इस तरह, एक शहर की गलती पूरे उत्तर भारत के नदी तंत्र पर असर डालती है.

उन्होंने कहा कि,

यही यमुना जी मथुरा होते हुए प्रयागराज पहुँचकर जब गंगा जी में संगमित होती हैं तो ये प्रदूषण काशी होते हुए और भी आगे बढ़ जाता है। इस तरह यमुना जी का प्रदूषण गंगा जी के जल को भी कुप्रभावित करता है.

भ्रष्टाचार और नाकामी पर सीधा आरोप

अखिलेश यादव ने बीजेपी सरकार पर तीखा हमला करते हुए कहा कि नदी स्वच्छता योजनाओं में भ्रष्टाचार ने नमामि गंगे जैसे अभियानों को खोखला बना दिया है.
उन्होंने सवाल किया कि,नदियों की सफाई के लिए आबंटित अरबों रुपये आखिर गए कहां?

उनका आरोप था कि सरकार न केवल नदियों को अविरल और निर्मल रखने में असफल रही है, बल्कि कई बार ऐसे निर्णय ले रही है जो जल प्रदूषण को और बढ़ा देते हैं.
उन्होंने कहा कि,

भाजपा सरकार भ्रष्टाचार के कारण यमुना जी और गंगा जी को अविरल-निर्मल रखने में पूरी तरह से नाकाम रही है.कम से कम और अधिक प्रदूषित तो न करे.

केमिकल से सफाई या केमिकल से खतरा?

दिल्ली में यमुना की सफाई के नाम पर हाल ही में कुछ विभागों द्वारा रासायनिक पदार्थों का छिड़काव किया गया था.दावा किया गया कि इससे झाग और बदबू में कमी आएगी.
लेकिन विशेषज्ञों का कहना है कि बिना वैज्ञानिक जांच के इस तरह के केमिकल नदी में डालना मानव स्वास्थ्य और जलीय जीवन दोनों के लिए हानिकारक हो सकता है.

विशेषज्ञ चेतावनी देते हैं कि यमुना का पानी पीने, स्नान या धार्मिक अनुष्ठानों में उपयोग के दौरान शरीर पर गंभीर असर डाल सकता है.
इस स्थिति में अखिलेश यादव का बयान केवल राजनीतिक नहीं बल्कि पर्यावरणीय और सामाजिक चेतावनी भी माना जा रहा है.

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छठ पर्व से पहले संवेदनशीलता की अपील

अखिलेश यादव ने अपने ट्वीट में यह भी लिखा कि छठ पर्व से पहले सरकार को तुरंत संज्ञान लेकर कार्रवाई करनी चाहिए.
छठ पूजा में लाखों श्रद्धालु यमुना और गंगा में स्नान कर सूर्य को अर्घ्य अर्पित करते हैं.ऐसे में प्रदूषित जल का होना सीधे धार्मिक भावना से जुड़ा मुद्दा बन जाता है.

उन्होंने कहा कि,

हमारे देश में नदी मात्र जल के बहाव का नहीं बल्कि भावनात्मक लगाव का विषय है.

इस वक्तव्य के जरिए उन्होंने नदियों की आध्यात्मिक और सांस्कृतिक महत्ता को रेखांकित किया.

नदी: सिर्फ जल नहीं, जन-भावना का प्रतीक

भारतीय समाज में नदियाँ केवल जल का स्रोत नहीं हैं, बल्कि आस्था, संस्कृति और जीवन की धारा का प्रतीक हैं.
गंगा और यमुना जैसी नदियों के प्रति लोगों का लगाव हजारों वर्षों पुराना है. ऐसे में जब इन्हीं नदियों का पानी जहरीला और काला दिखाई देता है, तो यह न केवल पर्यावरणीय असफलता है, बल्कि सांस्कृतिक आघात भी है.

अखिलेश यादव का यह बयान इस बात की याद दिलाता है कि विकास केवल इमारतों और सड़कों से नहीं, बल्कि स्वच्छ जल और सुरक्षित पर्यावरण से मापा जाना चाहिए.

सरकार से जांच और जवाबदेही की मांग

अखिलेश यादव ने अंत में यह मांग की कि यमुना और गंगा की सफाई पर खर्च हुए अरबों रुपये की स्वतंत्र जांच होनी चाहिए.
उन्होंने कहा कि अगर सरकार वास्तव में गंगा को स्वच्छ और निर्मल बनाना चाहती है, तो उसे पहले अपने ही सिस्टम में फैले भ्रष्टाचार को खत्म करना होगा.

निष्कर्ष

अखिलेश यादव का यह बयान केवल एक राजनीतिक टिप्पणी नहीं, बल्कि पर्यावरणीय चेतावनी है.
जब नदियाँ प्रदूषित होती हैं, तो उनका असर न केवल जलजीवों और पारिस्थितिकी पर, बल्कि लाखों श्रद्धालुओं और आम नागरिकों के स्वास्थ्य पर भी पड़ता है.

छठ पर्व जैसे अवसर पर यह जिम्मेदारी और भी बढ़ जाती है कि सरकार, प्रशासन और समाज — सभी मिलकर नदियों की रक्षा करें.
यमुना और गंगा का निर्मल रहना केवल धार्मिक मुद्दा नहीं, बल्कि राष्ट्र की आत्मा की पवित्रता का प्रतीक है.

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