20 साल की सत्ता, लेकिन बिहार आज भी पिछड़ा – आलोक शर्मा

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Ajit Kumar

बिहार
20 साल की सत्ता, लेकिन बिहार आज भी पिछड़ा – आलोक शर्मा

कांग्रेस का भाजपा-जेडीयू सरकार पर बड़ा हमला

तीसरा पक्ष ब्यूरो, पटना — बिहार की राजनीति में इस समय चुनावी सरगर्मी बढ़ चुका है.विपक्ष लगातार सरकार के कामकाज पर सवाल उठा रहा है. इसी क्रम में कांग्रेस नेता आलोक शर्मा (@Aloksharmaaicc) ने एक बार फिर भाजपा-जेडीयू सरकार पर बड़ा हमला बोला है.शर्मा ने कहा कि,करीब 20 साल से भाजपा और जेडीयू की सरकार ने बिहार को विकास के बजाय बदहाली की ओर धकेल दिया है.

उनके अनुसार, शिक्षा, स्वास्थ्य, रोजगार और पलायन जैसे मूलभूत मुद्दे आज भी बिहार में जस के तस हैं.नीतीश कुमार ने प्रदेश का बंटाधार कर दिया है. हर क्षेत्र में हालात बदतर हैं और सरकार के पास कोई ठोस योजना नहीं है.

शिक्षा व्यवस्था पर निशाना: धर्मेंद्र प्रधान बिहार चुनाव प्रभारी क्यों?

आलोक शर्मा ने अपने पोस्ट में केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान को बिहार चुनाव का प्रभारी बनाए जाने पर भी सवाल खड़ा किया है.उन्होंने कहा कि,

नई शिक्षा नीति से लेकर देश की शिक्षा व्यवस्था का बंटाधार करने वाले धर्मेंद्र प्रधान को भाजपा ने आखिर किस आधार पर बिहार चुनाव का प्रभारी बनाया है?

शर्मा ने तंज कसते हुए लिखा है कि जिस मंत्री के कार्यकाल में NEET-UGC जैसी परीक्षाओं में भारी धांधली हुई, वह अब बिहार में चुनाव की ज़िम्मेदारी संभाल रहे हैं.क्या भाजपा बिहार को भी उसी शिक्षा मॉडल पर ले जाना चाहती है, जो देश के विद्यार्थियों के भविष्य से खिलवाड़ कर चुका है?

NTA और NEET घोटाले का जिक्र: क्या यही शिक्षा देने आए हैं?

आलोक शर्मा ने राष्ट्रीय परीक्षा एजेंसी (NTA) के अधीन आयोजित परीक्षाओं में हुई अनियमितताओं का मुद्दा उठाते हुए कहा कि धर्मेंद्र प्रधान के नेतृत्व में शिक्षा प्रणाली सवालों के घेरे में है. उन्होंने पूछा,

इन्हीं धर्मेंद्र प्रधान के अधीन आने वाली एजेंसी NTA ने NEET-UGC की परीक्षा आयोजित की थी, जिसमें भारी धांधली हुई थी.क्या वे यही शिक्षा देने यहां बिहार आए हैं?

यह बयान सीधे तौर पर भाजपा की विश्वसनीयता और शिक्षा नीति पर हमला माना जा रहा है.

शिक्षा से रोजगार तक – सवालों का पुलिंदा

कांग्रेस नेता ने यह भी कहा कि बिहार में शिक्षा व्यवस्था के साथ-साथ रोजगार और पलायन की स्थिति भी गंभीर है.

लाखों युवाओं को अब भी नौकरी के लिए दिल्ली, मुंबई, गुजरात और पंजाब जैसे राज्यों की ओर पलायन करना पड़ता है.

राज्य के विश्वविद्यालय और कॉलेज संसाधनों की कमी से जूझ रहे हैं.

शिक्षा में गिरावट का सीधा असर रोजगार पर पड़ रहा है.

शर्मा के अनुसार, बिहार के छात्र देशभर में मेहनती और होनहार माने जाते हैं, लेकिन सरकार ने उनकी प्रतिभा को पंख नहीं दिए. भाजपा-जेडीयू की नीतियों ने युवाओं को मजबूर कर दिया है कि वे अपने ही राज्य में बेरोजगारी से लड़ने के बजाय पलायन करें.

20 साल का शासन, लेकिन नतीजे निराशाजनक

कांग्रेस पार्टी लगातार यह सवाल उठा रही है कि 20 वर्षों के शासन के बावजूद भाजपा-जेडीयू गठबंधन बिहार को विकास की राह पर क्यों नहीं ला सका.

स्वास्थ्य सेवाएं बदहाल हैं

शिक्षा ढांचा चरमराया हुआ है

और उद्योग धंधों की हालत खराब है.

आलोक शर्मा ने कहा, नीतीश कुमार ने अपने कार्यकाल में केवल गठबंधन बदले हैं, न कि बिहार की तस्वीर.

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कांग्रेस का दावा: जनता अब बदलाव चाहती है

कांग्रेस के मुताबिक, बिहार की जनता अब बदलाव के मूड में है. पार्टी का कहना है कि भाजपा-जेडीयू का ‘विकास मॉडल’ केवल कागज़ों पर है, ज़मीनी हकीकत बिल्कुल अलग है.
आलोक शर्मा ने कहा कि कांग्रेस बिहार के हर जिले में जनता के बीच जाकर असली मुद्दे उठा रही है, शिक्षा, स्वास्थ्य, रोजगार और किसानों की समस्या हमारी प्राथमिकता है। सरकार से यही चार सवाल बार-बार पूछे जाएंगे.

निष्कर्ष: सवालों के घेरे में भाजपा-जेडीयू गठबंधन

आलोक शर्मा के ट्वीट ने बिहार की राजनीति में नई बहस छेड़ दिया है.जहां एक ओर भाजपा धर्मेंद्र प्रधान की संगठनात्मक क्षमता पर भरोसा जता रही है, वहीं विपक्ष यह पूछ रहा है कि शिक्षा में असफल मंत्री को बिहार चुनाव का नेतृत्व क्यों सौंपा गया?

आगामी विधानसभा चुनावों में यह मुद्दा विपक्ष के लिए एक बड़ा हथियार साबित हो सकता है.
शिक्षा और रोजगार जैसे विषयों पर जनभावनाओं को देखते हुए, भाजपा-जेडीयू गठबंधन को इन सवालों का सामना करना पड़ सकता है.

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