अरवल विकास मंच ने किया पुतला दहन और सरकार से बर्खास्तगी की मांग
तीसरा पक्ष ब्यूरो अरवल (बिहार), 21 जुलाई:बिहार के उप पुलिस महानिदेशक (ADG) कुंदन कृष्णन द्वारा अपराध को लेकर दिए गए कथित अभद्र और असंवेदनशील बयान के खिलाफ पूरे राज्य में विरोध की लहर दौड़ गया है. इस कड़ी में अरवल जिला भी पीछे नहीं रहा. जहां अरवल विकास मंच के नेतृत्व में सैकड़ों लोगों ने आक्रोश मार्च निकाला और एडीजी कुंदन कृष्णन का पुतला दहन कर अपना गुस्सा जाहिर किया.

क्या है विवाद की जड़?
एडीजी कुंदन कृष्णन ने हाल ही में एक सार्वजनिक बयान में बिहार में बढ़ते अपराधों को लेकर टिप्पणी किया था. जिसे जनता ने अपमानजनक और गैर-जिम्मेदाराना बताया.उनके बयान को लेकर आरोप है कि वह न सिर्फ अपराध की गंभीरता को नजरअंदाज कर रहे हैं. बल्कि बिहार की आम जनता की समस्याओं का मज़ाक उड़ा रहे हैं. इसी के विरोध में अरवल जिले में व्यापक जन आक्रोश देखा गया.
अरवल में जोरदार विरोध प्रदर्शन
इस विरोध प्रदर्शन का नेतृत्व अरवल विकास मंच के अध्यक्ष मनोज सिंह यादव ने किया. जो रेल आंदोलन बिहार के मुख्य संयोजक भी हैं.उनके साथ मंच के दर्जनों कार्यकर्ता और जिले भर से आए नागरिक शामिल हुए. यह विरोध मार्च अरवल शहर के प्रमुख मार्गों से होते हुए बस स्टैंड पर पहुंचा.जहां लोगों ने एडीजी कुंदन कृष्णन का पुतला फूंका.प्रदर्शनकारियों के हाथों में तख्तियां थीं, जिन पर लिखा था –बिहार की जनता का अपमान बंद करो”अभद्र बयान देने वाले अधिकारी को बर्खास्त करो”,”जनता के धैर्य की परीक्षा मत लो”
मनोज सिंह यादव की तीखी प्रतिक्रिया
प्रदर्शन के दौरान मनोज सिंह यादव ने कहा:”एडीजी कुंदन कृष्णन जैसे पदाधिकारी से यह अपेक्षा नहीं की जाती कि वे अपराध पर ऐसा गैर-जिम्मेदाराना बयान दें। यह न सिर्फ बिहार की जनता के घाव पर नमक छिड़कने जैसा है, बल्कि लोकतांत्रिक जवाबदेही का भी उल्लंघन है। ऐसे अफसर को एक मिनट भी अपने पद पर बने रहने का अधिकार नहीं है। हम बिहार सरकार से मांग करते हैं कि उन्हें तुरंत बर्खास्त किया जाए और उनके खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई की जाए.
अन्य लोगों ने भी की कड़ी निंदा
इस विरोध प्रदर्शन में मंच के अन्य प्रमुख सदस्य भी शामिल रहे –गोवर्धन यादव, रजनीश कुमार, मंटू यादव, दिलीप कुमार, छोटन पासवान, देवनारायण यादव, देवचंद सिंह, उपेंद्र कुमार, गजेंद्र कुमार समेत सैकड़ों की संख्या में लोगों ने हिस्सा लिया.
सभी वक्ताओं ने एक सुर में कहा कि यदि सरकार इस मामले को गंभीरता से नहीं लेती है तो आने वाले दिनों में यह आंदोलन और तेज होगा और जरूरत पड़ी तो विधानसभा के समक्ष भी विरोध दर्ज कराया जाएगा.
प्रशासन की चुप्पी पर उठे सवाल
प्रदर्शनकारियों का कहना था कि जब आम जनता अपराध के कारण त्रस्त है. ऐसे में प्रशासनिक अधिकारी द्वारा तंज कसना निंदनीय है. लोगों ने सरकार पर सवाल उठाया कि ऐसे अधिकारियों की जवाबदेही क्यों तय नहीं की जाती? क्या बिहार की जनता की सुरक्षा की जिम्मेदारी प्रशासन की नहीं है?
सरकार से की गई मांगें:
- एडीजी कुंदन कृष्णन को तत्काल उनके पद से हटाया जाए
- उनके खिलाफ सख्त अनुशासनात्मक कार्रवाई की जाए
- सरकार अपराध के प्रति संवेदनशील दृष्टिकोण अपनाए
- जनता के प्रति जवाबदेही सुनिश्चित की जाए
निष्कर्ष: जनभावनाओं का सम्मान है जरूरी
बिहार में प्रशासनिक अधिकारियों से जनता अपेक्षा रखती है कि वे संवेदनशीलता, जिम्मेदारी और ईमानदारी के साथ अपना काम करें. लेकिन जब कोई अधिकारी अपने पद की गरिमा को भूलकर ऐसे बयान देता है जो जनता के घाव पर नमक का काम करें, तो विरोध होना स्वाभाविक है.
अरवल में हुआ यह प्रदर्शन महज एक जिला नहीं बल्कि पूरे बिहार की जनता की भावनाओं की अभिव्यक्ति है. अब यह सरकार पर निर्भर करता है कि वह जनभावनाओं का सम्मान करते हुए त्वरित और ठोस कदम उठाए.

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