अतिपिछड़ा न्याय संकल्प: तेजस्वी यादव का बड़ा वादा,और बदलते राजनीतिक परिदृश्य

| BY

Kumar Ranjit

बिहार
अतिपिछड़ा न्याय संकल्प: तेजस्वी यादव का बड़ा वादा,और बदलते राजनीतिक परिदृश्य

क्या ‘अतिपिछड़ा न्याय संकल्प’ बदल देगा बिहार की राजनीति का समीकरण?

तीसरा पक्ष ब्यूरो पटना,25 सितंबर 2025 बिहार की राजनीति हमेशा से सामाजिक न्याय और वर्गीय संतुलन के इर्द-गिर्द घूमता रहा है.खासकर अतिपिछड़ा वर्ग , जो राज्य की राजनीति में सबसे बड़ी सामाजिक शक्ति होने के बावजूद दशकों से उपेक्षा का शिकार रहा है. तेजस्वी यादव ने अपने X (Twitter) पोस्ट के माध्यम से एक बड़ा ऐलान किया है. उन्होंने स्पष्ट कहा है कि नीतीश कुमार और भाजपा की सरकार ने बीते बीस वर्षों में अतिपिछड़ा समाज को सिर्फ आश्वासन दिए लेकिन वास्तविक विकास से वंचित रखा.

तेजस्वी यादव ने वादा किया कि अगर उनकी सरकार बनती है तो वे “अतिपिछड़ा न्याय संकल्प” लागू करेंगे, ताकि इस समाज को विकास के सभी पैमानों पर सशक्त और अग्रणीय बनाया जा सके.

अतिपिछड़ा वर्ग की स्थिति

बिहार की राजनीति में अतिपिछड़ा समाज की हिस्सेदारी काफी बड़ी है. इस वर्ग में नाई, लोहार, मल्लाह, तेली, गोड़िया, कहार, धोबी, माली सहित दर्जनों जातियां आती हैं.

संख्या की दृष्टि से यह वर्ग कुल जनसंख्या का लगभग 30% से ज्यादा हिस्सा रखता है.

लेकिन राजनीति और प्रशासनिक हिस्सेदारी में यह वर्ग हमेशा पीछे रहा.

शिक्षा, स्वास्थ्य, रोजगार और सामाजिक प्रतिनिधित्व में इनकी स्थिति संतोषजनक नहीं है.

यही वजह है कि अतिपिछड़ा समाज अपने राजनीतिक प्रतिनिधित्व और विकास के अवसर के लिए लंबे समय से संघर्ष कर रहा है.

तेजस्वी यादव का ट्वीट और संदेश

तेजस्वी यादव ने अपने पोस्ट में साफ कहा कि,

अतिपिछड़ा वर्ग पिछले बीस सालों से नीतीश-भाजपा सरकार की कुनीति और उपेक्षा का शिकार है. अतिपिछड़े समाज को जहाँ विशेष नीतियों का लाभ मिलना चाहिए था, वहीं सरकार की उपेक्षा के कारण वो और अधिक पिछड़ता चला गया.हम प्रण लेते हैं कि सरकार बनने पर हम ‘अतिपिछड़ा न्याय संकल्प’ को लागू करेंगे.

यह बयान न केवल एक राजनीतिक घोषणा है बल्कि आने वाले चुनावों में अतिपिछड़ा समाज के वोट बैंक को साधने की स्पष्ट रणनीति भी है.

अतिपिछड़ा न्याय संकल्प” क्या है?

तेजस्वी यादव का यह संकल्प सिर्फ एक चुनावी नारा नहीं, बल्कि एक सामाजिक-आर्थिक सुधार की योजना के रूप में देखा जा सकता है. इसके अंतर्गत निम्नलिखित पहलुओं पर जोर दिया जा सकता है:

शिक्षा में आरक्षण और सुविधाएं – अतिपिछड़ा वर्ग के बच्चों के लिए विशेष छात्रवृत्ति और स्कॉलरशिप योजनाएं.

रोजगार में प्राथमिकता – सरकारी नौकरियों में अतिपिछड़ा वर्ग की भागीदारी सुनिश्चित करना.

राजनीतिक प्रतिनिधित्व – पंचायत से लेकर विधानसभा तक उचित सीटों पर प्रतिनिधित्व बढ़ाना.

आर्थिक सशक्तिकरण – स्वरोजगार और छोटे उद्योगों के लिए आसान लोन और वित्तीय मदद.

सामाजिक उत्थान – स्वास्थ्य, आवास और बुनियादी सुविधाओं में प्राथमिकता देना.

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राजनीतिक महत्व

बिहार की राजनीति में अतिपिछड़ा वर्ग का वोट निर्णायक साबित होता है.

नीतीश कुमार ने लंबे समय तक इस वर्ग को साधकर सत्ता में बने रहने की रणनीति अपनाई थी.

भाजपा भी इस वर्ग को आकर्षित करने के लिए विभिन्न योजनाओं और आरक्षण की नीतियों का उपयोग करती रही है.

अब तेजस्वी यादव ने इस वर्ग को सीधे साधते हुए बड़ा ऐलान कर दिया है, जिससे राजनीतिक समीकरण बदल सकते हैं.

जनता की उम्मीदें

अतिपिछड़ा समाज इस घोषणा को उम्मीद की नजर से देख रहा है.उनके सामने शिक्षा, रोजगार और सामाजिक सम्मान जैसे मुद्दे सबसे महत्वपूर्ण हैं.अगर “अतिपिछड़ा न्याय संकल्प” वास्तव में लागू होता है, तो यह न सिर्फ सामाजिक संतुलन बनाएगा बल्कि बिहार में विकास की नई परिभाषा गढ़ेगा.

निष्कर्ष

तेजस्वी यादव का “अतिपिछड़ा न्याय संकल्प” बिहार की राजनीति में एक नया विमर्श पैदा कर सकता है.बीते दो दशकों की उपेक्षा झेल चुके अतिपिछड़े समाज के लिए यह संकल्प एक उम्मीद की किरण है. सवाल यह है कि आने वाले समय में यह ऐलान केवल चुनावी वादा साबित होगा या वास्तव में समाजिक बदलाव का आधार बनेगा.

अगर यह संकल्प सही मायने में लागू हुआ तो बिहार में अतिपिछड़ा समाज न सिर्फ राजनीतिक रूप से बल्कि सामाजिक और आर्थिक रूप से भी नई ऊंचाइयों को छू सकता है.

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