प्रयागराज में आजाद का सामाजिक न्याय पर सशक्त संदेश
तीसरा पक्ष ब्यूरो,प्रयागराज, उत्तर प्रदेश — भीम आर्मी प्रमुख चंद्रशेखर आज़ाद रावण ने अस्तित्व बचाओ–भाईचारा बनाओ प्रबुद्ध जनसम्मेलन में समाज के वंचित वर्गों के अधिकारों और संविधान की रक्षा को लेकर कई गंभीर मुद्दे उठाये।यह कार्यक्रम न सिर्फ़ एक राजनीतिक भाषण था, बल्कि सामाजिक न्याय के लिए एक सशक्त संदेश भी था.

जातिवार जनगणना की मांग: सामाजिक प्रतिनिधित्व की नींव
चंद्रशेखर आज़ाद ने अपने संबोधन में कहा कि केंद्र सरकार द्वारा ओबीसी की जातिवार जनगणना को टालना एक सुनियोजित षड्यंत्र है.उनका कहना था कि जातिवार जनगणना से बहुजन समाज की वास्तविक संख्या सामने आएगी, जिससे उनके अधिकार और भागीदारी सुनिश्चित की जा सकेगी.
उन्होंने इसे सामाजिक न्याय के खिलाफ एक सोची-समझी चाल बताते हुये कहा कि जब तक प्रत्येक वर्ग की सटीक जनसंख्या नहीं जानी जाएगी , तब तक समान अवसर का दावा अधूरा ही रहेगा.
जातिवार जनगणना की मांग सिर्फ़ आंकड़ों की नहीं, बल्कि प्रतिनिधित्व और नीति निर्माण में समान हिस्सेदारी का है.आज़ाद ने इसे लोकतंत्र के संतुलन के लिए आवश्यक बताया है.
आरक्षण और संविधान की रक्षा का संकल्प
आजाद ने कहा कि वर्तमान शासन आरक्षण को कमजोर करने और संविधान की भावना को क्षति पहुँचाने का प्रयास कर रहा है.उन्होंने याद दिलाया कि डॉ. भीमराव अंबेडकर ने सामाजिक न्याय की जो नींव रखी थी, वह केवल कानून नहीं, बल्कि समाज सुधार की क्रांति थी.
आजाद के शब्दों में,
आरक्षण केवल सुविधा नहीं, बल्कि ऐतिहासिक अन्याय का प्रतिकार है.
उन्होंने समाज से आग्रह किया कि संविधान की आत्मा — समानता, स्वतंत्रता और बंधुत्व — की रक्षा के लिए हर नागरिक जागरूक और संगठित बने.
EVM प्रणाली पर सवाल: लोकतंत्र की पारदर्शिता पर खतरा
आजाद ने EVM प्रणाली को लोकतंत्र की पारदर्शिता के खिलाफ बताया है.
उनका तर्क था कि EVM चुनावों ने जनता के विश्वास को कमजोर किया है और यह सत्ता पक्ष के नियंत्रण का माध्यम बनती जा रही है.
उन्होंने पारदर्शी मतदान प्रक्रिया की मांग करते हुए कहा कि लोकतंत्र में भरोसा तभी रहेगा जब चुनाव पूरी तरह निष्पक्ष और जनता की निगरानी में होंगे.
दलित, पिछड़े, आदिवासी और अल्पसंख्यक समुदायों पर अत्याचार
उन्होंने कहा कि देश में दलित, पिछड़े, आदिवासी और मुस्लिम समाज पर अत्याचारों में चिंताजनक वृद्धि हो रही है.
आजाद ने इसे संवैधानिक मूल्यों पर सीधा हमला बताया और कहा कि यह व्यवस्था समाज के कमजोर वर्गों को डराने और हाशिए पर धकेलने की कोशिश कर रही है.
उन्होंने स्पष्ट कहा कि,
जब तक अन्याय पर मौन रहेगा समाज, तब तक लोकतंत्र अधूरा रहेगा.
ये भी पढ़े :हरियाणा में दलित IPS अधिकारी की आत्महत्या देश को झकझोरा
ये भी पढ़े :मान्यवर कांशीराम साहब को भारत रत्न देने की माँग तेज
प्राइवेट सेक्टर में आरक्षण की जरूरत
सरकारी संस्थानों के निजीकरण पर चिंता जताते हुए आजाद ने कहा कि इससे आरक्षण की अवसर सीमा घट रही है.
उन्होंने प्राइवेट सेक्टर में भी आरक्षण लागू करने की मांग की ताकि समावेशी विकास (Inclusive Growth) सुनिश्चित हो सके.
उनका मानना है कि जब अर्थव्यवस्था का बड़ा हिस्सा निजी हाथों में चला गया है, तो सामाजिक न्याय की गारंटी निजी क्षेत्र में भी अनिवार्य होनी चाहिये.
मंडल कमीशन की सिफारिशों का पूर्ण क्रियान्वयन
आजाद ने याद दिलाया कि मंडल कमीशन की सिफारिशें सामाजिक न्याय की दिशा में ऐतिहासिक कदम थीं.
उन्होंने कहा कि इन सिफारिशों का पूर्ण रूप से क्रियान्वयन ही सच्चे लोकतंत्र की पहचान होगा.
उनका कहना था कि जो समाज अपने अधिकारों की रक्षा के लिए संगठित रहता है, वही अपने भविष्य का निर्धारण करता है.
अस्तित्व की लड़ाई और भाईचारे का संदेश
चंद्रशेखर आज़ाद का यह सम्मेलन केवल एक राजनीतिक सभा नहीं, बल्कि समानता, न्याय और भाईचारे की पुकार था.
उनका संदेश स्पष्ट था,
जब तक हर वर्ग को समान सम्मान और अधिकार नहीं मिलेगा, तब तक लोकतंत्र अधूरा रहेगा.
यह कार्यक्रम सामाजिक चेतना और एकजुटता का प्रतीक बना, जिसमें बहुजन समाज के युवाओं, बुद्धिजीवियों और कार्यकर्ताओं ने एक स्वर में संविधान बचाओ, समाज जोड़ो का संकल्प लिया
मेरा नाम रंजीत कुमार है और मैं समाजशास्त्र में स्नातकोत्तर (एम.ए.) हूँ. मैं महत्वपूर्ण सामाजिक, सांस्कृतिक एवं राजनीतिक मुद्दों पर गहन एवं विचारोत्तेजक लेखन में रुचि रखता हूँ। समाज में व्याप्त जटिल विषयों को सरल, शोध-आधारित तथा पठनीय शैली में प्रस्तुत करना मेरा मुख्य उद्देश्य है.
लेखन के अलावा, मूझे अकादमिक शोध पढ़ने, सामुदायिक संवाद में भाग लेने तथा समसामयिक सामाजिक-राजनीतिक घटनाक्रमों पर चर्चा करने में गहरी दिलचस्पी है.



















